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परदेस में परचम : साधारण परिवार से शुरू हुआ सिंघी का सफर, टाइपिस्ट से डिबेंचर किंग तक

शिक्षा, सेवा और संकल्प की मिसाल बने डॉ. एम एम सिंघी, राजस्थान के जोधपुर की मिट्टी- अहमदाबाद की मंजिल राजेश भटनागर अहमदाबाद. राजस्थान के जोधपुर से निकलकर अहमदाबाद तक अपनी अलग पहचान बनाने वाले डॉ. एम एम सिंघी आज सिर्फ एक सफल कारोबारी नहीं, बल्कि उन लोगों के प्रेरणास्रोत भी हैं जिनके सपने बड़े होते […]

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डॉ. एम एम सिंघी

शिक्षा, सेवा और संकल्प की मिसाल बने डॉ. एम एम सिंघी, राजस्थान के जोधपुर की मिट्टी- अहमदाबाद की मंजिल

राजेश भटनागर

अहमदाबाद. राजस्थान के जोधपुर से निकलकर अहमदाबाद तक अपनी अलग पहचान बनाने वाले डॉ. एम एम सिंघी आज सिर्फ एक सफल कारोबारी नहीं, बल्कि उन लोगों के प्रेरणास्रोत भी हैं जिनके सपने बड़े होते हैं, लेकिन रास्ते कठिन।
31 दिसंबर 1939 को जोधपुर में जन्में डॉ. सिंघी का बचपन बेहद साधारण परिस्थितियों में बीता। राजस्थान के फालना में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की संसाधन सीमित थे, लेकिन सपने नहीं। युवा अवस्था में वे गुजरात के स्थापना दिवस के दिन अहमदाबाद आए। उन्होंने टाइपिस्ट के रूप में कार्य आरंभ किया। एल ए शाह लॉ कॉलेज से 1962 में एलएलबी की। एलएलएम में दो बार असफल होने के बावजूद तीसरी बार में 1967 में सफलता पाई।
हालांकि वे कोर्ट में प्रैक्टिस करने नहीं गए लेकिन कोर्ट संबंधी ड्राफि्टंग के क्षेत्र में दक्षता हासिल की।1979 में उन्होंने अपनी फर्म मैसर्स सिंघी एंड कंपनी की स्थापना की। उन्होंने डिबेंचर सुरक्षित करने में विशेषज्ञता हासिल की और वे डिबेंचर किंग कहलाने लगे। आज उनकी फर्म भारत की प्रतिष्ठित विधि फर्मों में गिनी जाती है।

अनुशासन और समय प्रबंधन-सफलता की रीढ़

डॉ. सिंघी का मानना है कि सफलता पाने के लिए सबसे जरूरी है- समय की कद्र, अनुशासन, और निरंतर सीखने की प्रवृत्ति। उनकी दिनचर्या बेहद सुसंगठित है। वे कहते हैं कि सपने मुफ्त होते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने की कीमत मेहनत से चुकानी पड़ती है।

शिक्षा, चिकित्सा सेवा : दो क्षेत्र जहां दिल से जुड़ाव

अहमदाबाद में बिताए दशकों में सिंघी ने कभी भी समाजसेवा, शिक्षा व चिकित्सा सेवा से दूरी नहीं बनाई। उन्होंने अस्पतालों, विद्यालयों, मंदिरों और गौशालाओं से जुड़कर सेवा भी की। अहमदाबाद में एम.एम. सिंघी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग और पत्नी के नाम पर वीणा सिंघी कॉलेज ऑफ नर्सिंग की स्थापना की।

कई संस्थाओं से जुड़े

उन्होंने अहमदाबाद में जोधपुर एसोसिएशन की स्थापना की। वे राजस्थान अस्पताल, लायंस क्लब ऑफ कर्णावती फाउंडेशन, कर्णावती लायंस एजुकेशन फाउंडेशन ट्रस्ट, सुलभ हार्ट एंड हेल्थकेयर फाउंडेशन, प्रेक्षा ध्यान अकादमी के ट्रस्टी हैं। अहमदाबाद के पास ओगणज में एम एम सिंघी लायंस अस्पताल की शुरुआत की। वे राजस्थान के बीकानेर स्थित श्री वर्धमान शिक्षण समिति, उदयपुर के श्री जवाहर जैन शिक्षण संस्थान स्कूल और जोधपुर की ग्लोबल विजन सोसाइटी के सलाहकार हैं। उन्होंने 3 मंदिर भी बनवाए।

राजस्थान कॉन्क्लेव में आमंत्रित

उन्हें राजस्थान सरकार ने जयपुर में राजस्थान कॉन्क्लेव में आमंत्रित किया। लायंस क्लब इंटरनेशनल ने कोलकाता में चैंपियन ऑफ चेंज का अवार्ड दिया। जैन धर्म में भगवान आदिनाथ को मानने वाले सिंघी को कोविड के समय अपने गुरुदेव आचार्य विजय शांतिसूरीश्वर के जीवन पर 1008 प्रश्न-उत्तर बनाने पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड्स भी प्राप्त हुआ।

परिवार-सफलता का सबसे मजबूत स्तंभ

डॉ. सिंघी अपनी उपलब्धियों का श्रेय परिवार को देते हैं। उनका मानना है कि सप्ताह में एक बार भी परिवार के साथ बैठकर भोजन करना रिश्तों में मजबूती लाता है। उनका कहना है कि ईश्वर सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। आस्था सही मार्ग दिखाती है।

युवा पीढ़ी के लिए उनका संदेश

85 वर्ष के हो चुके डॉ. सिंघी आज भी युवाओं से मिलकर संवाद करते हैं। वे आज भी रोजाना 11 घंटे काम करते हैं। उनका कहना है कि- लक्ष्य साफ रखें, मेहनत ईमानदारी से करें, समय की कद्र करें और सबसे ज़रूरी विनम्रता कभी न छोड़ें। वे कहते हैं कि जब सपने बड़े हों, तो बहाने छोटे हो जाने चाहिए।