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शहर की सड़कों पर ‘काल’ बने अवैध डम्पर, नो-एंट्री में भी नहीं रुकती रफ्तार

राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में दुपहिया और पैदल राहगीरों की सबसे ज्यादा मौतें डम्पर टक्कर में हुई हैं। भारी वाहन चालक रफ्तार, ओवरलोडिंग और दबंगई के चलते आम नागरिकों के लिए सड़कें मौत का मैदान बन रही हैं।

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अजमेर। वर्ल्ड रिमेंबरेंस डे पर जब लोग सड़क हादसों में मारे जाने वालों को याद कर रहे थे उसी दिन सुबह-सवेरे ही शहर की सड़कों पर डम्पर कालदूत बनकर बेखौफ दोड़ रहे थे। गौरव पथ और शहर के मुख्य मार्गों पर नो-एंट्री जोन में बजरी से भरे डम्परों की रफ्तार नहीं थम रही।

हालांकि आए दिन इनसे निर्दोषों की सांसें जरूर थम रही हैं। कई डम्पर के तो पीछे नम्बर प्लेट तक नहीं थी। परिवहन विभाग हर महीने 200 से ज्यादा चालान करने का दावा कर रहा है, लेकिन सड़कों पर इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा।

को वर्ल्ड रिमेंबरेंस डे पर शहर में मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया। सैकड़ों लोग मैराथन में शामिल हो स्वास्थ्य का संदेश दे रहे थे। वहीं यातायात पुलिस और परिवहन विभाग चुप्पी लगाए था। सुबह 7:30 बजे के बाद भी शहर की मुख्य सड़कों पर डम्परों की तेज रफ्तार जारी थी।

बजरी से ओवरलोड डम्पर गौरव पथ पर दनदनाते गुजरते रहे। यातायात पुलिस भी सड़क पर दौड़ते डम्परों से अनजान बनी हुई है। ठेकेदार फर्म की आड़ में दर्जनों डम्पर शहर में दौड़ रहे हैं।

बिना नंबर प्लेट दे रहे कानून को चुनौती

पत्रिका की पड़ताल में कई डम्पर पीछे नंबर प्लेट के बिना दौड़ते नजर आए। बिना नंबर प्लेट वाहनों को पकड़ना और ट्रैक करना चुनौती होने के साथ ही कानून और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। बजरी ढोने वाले कई वाहन जानबूझकर नंबरप्लेट हटाकर चलाते हैं। ताकि हादसा होने पर कार्रवाई से बच सकें।

नो-एंट्री में धड़ल्ले से प्रवेश

शहर में सुबह 6 बजे बाद गौरव पथ, केसरगंज, वैशालीनगर, आगरा गेट, किशनगढ़ मार्ग सहित कई मार्गों पर नो-एंट्री होती है, लेकिन डम्परों पर इसका कोई असर नहीं। पैदल चलने वाले, मॉर्निंग वॉक पर निकले लोग और दुपहिया वाहन चालकों पर हर पल जोखिम रहता है।

हर महीने 200 चालान…जस के तस हालात

परिवहन विभाग का दावा प्रति माह 200 से ज्यादा चालान करने का है। लेकिन इसके बावजूद डम्परों की आवाजाही बढ़ने के साथ ही बेखौफ रनिंग होती है। डम्पर माफिया की ऊपर तक पहुंच और अफसरों का नाकारापन इसका बड़ा कारण है।

प्रदेशभर में डम्पर बन रहे काल

राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में दुपहिया और पैदल राहगीरों की सबसे ज्यादा मौतें डम्पर टक्कर में हुई हैं। भारी वाहन चालक रफ्तार, ओवरलोडिंग और दबंगई के चलते आम नागरिकों के लिए सड़कें मौत का मैदान बन रही हैं।

जिम्मेदारी किसकी-और कार्रवाई कब?

सड़क सुरक्षा अभियान चलाने वाले विभागों की लापरवाही से लोगों में नाराजगी। सवाल उठ रहा है जब रोजाना डम्पर नियम तोड़ते दिखते हैं, तो फिर कार्रवाई कागजी क्यों। ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग कार्रवाई की मंशा ही नहीं रखते।

इनका कहना है…

बिना नम्बर प्लेट चलने वाले डम्पर के हर महीने 200 से ज्यादा चालान बनते हैं। इसके बाद भी डम्पर मालिक नहीं सुधरते। नो-एन्ट्री में कार्रवाई की जिम्मेदारी यातायात पुलिस की है। अवैध खनन में चलने वाले वाहन पर अक्सर नम्बर प्लेट नहीं होती है।

राजीव शर्मा, जिला परिवहन अधिकारी अजमेर