
बहरोड़. जिले के नीमराणा सीएचसी पर बना एनबीएसयू वार्ड।
बहरोड़. कोटपूतली-बहरोड़ जिले के अधिकतर ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर असामयिक नवजात व कम वजन वाले शिशुओं के उपचार के लिए उचित चिकित्सा सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। जिसके कारण चिकित्सक असामयिक नवजात व कम वजन वाले नवजात शिशुओं को अन्य चिकित्सा संस्थान में रेफर कर रहे है। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि कोटपूतली-बहरोड़ जिले में वर्तमान में 18 सीएचसी में से महज 7 सीएचसी पर ही एनबीएसयू वार्ड की सुविधाएं उपलब्ध है। जहां पर असामयिक नवजात व कम वजन वाले नवजात शिशुओं के ईलाज करने की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा जिले की 11 सीएचसी में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। अगर समय से पूर्व शिशु का जन्म होता है या जन्म के समय उसका वजन कम होता है तो उसे चिकित्सक एनबीएसयू वार्ड वाले चिकित्सा संस्थान में रेफर करते है।न्यूबोर्न स्टेबिलाईजेशन यूनिट(एनबीएसयू) वार्ड का मुख्य कार्य जन्म के समय बीमार, असामयिक नवजात शिशुओं की देखभाल और ऐसे शिशु जिनकी जन्म के बाद हालात स्थाई नहीं है। उन्हें एनबीएसयू वार्ड में उपचार किया जाता है और उसके बाद ही ऐसे बीमार नवजात शिशुओं को आगे ईलाज के लिए रेफर किया जाता है।
इन सात सीएचसी पर है एनबीएसयू वार्ड
कोटपूतली-बहरोड़ जिले में वर्तमान में बर्डोद,पावटा,नीमराणा, बानसूर,नारायणपुर,विराटनगर,मांढण सीएचसी के साथ ही जिला अस्पताल बहरोड़ में यह वार्ड संचालित हो रहे है। अधिकतर सीएचसी में एनबीएसयू वार्ड सिर्फ शोपीस बने हुए है। जहां पर वार्ड तो बने हुए है और शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक कार्यरत है लेकिन उसके बाद भी कई सीएचसी में यह वार्ड संचालित नहीं हो रहे है और यहां पर जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं का चिकित्सक ईलाज करने की बजाय अन्य चिकित्सा संस्थान में रेफर कर रहे है।
जिले में वर्तमान में 18 सीएचसी में से सिर्फ 7 सीएचसी पर ही न्यूबोर्न स्टेबिलाईजेशन यूनिट स्थापित है। जहां नवजात शिशुओं के ईलाज की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही जिला अस्पताल बहरोड़ में भी यह सुविधा है। जहां कही पर नाममात्र के एनबीएसयू वार्ड चल रहे हैं उनका निरीक्षण कर संचालन के लिए पाबंद किया जाएगा।
- डॉ. अरविन्द अग्रवाल, आरसीएचओ कोटपूतली-बहरोड़
Published on:
09 Sept 2025 11:26 pm
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