
गोविन्दगढ़. सीएचसी गोविन्दगढ़ की बायो केमिस्ट सेमी ऑटो एनालाइजर मशीन 6 माह से खराब है। स्थिति यह है कि ब्लड शुगर, किडनी, लिवर सहित अन्य जरूरी जांचें अस्पताल में नहीं हो पा रही। तकनीकी खराबी दूर करने के बजाय मरीजों को जांच के लिए निजी लैब में जाने को मजबूर किया जा रहा है। इसका सीधा फायदा निजी लैब संचालकों को मिल रहा है। अस्पताल में प्रतिदिन 500 से 800 मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं, जिनमें से अधिकतर मरीज ब्लड जांच होते हैं। कई मरीजों ने बताया कि अस्पताल के ही कुछ कार्मिक और बाहर के एजेंट मिलकर मरीजों को निजी लैब में जांच को भेजते हैं। जहां ब्लड जांच पर 200 से 1200 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। खराब मशीन न जयपुर भेज रहे न रिपेयर का प्रस्ताव जिला स्तर पर प्रभावी रूप से आगे बढ़ा। कार्मिकों की माने तो मशीन कंडम है। अस्पताल में दिखाने आए किशोर सिंह का आरोप है कि एक डॉक्टर ने ब्लड टेस्ट लिखा, लेकिन लैब में बताया गया कि मशीन खराब है, बाहर से जांच करवाओ। मामले में बीसीएमएचओ अमरदीप गुर्जर का कहना है कि इस प्रकार की शिकायत नहीं आई। सीएचसी, पीएचसी पर पाबंद करेंगे कि बाहर से किसी भी प्रकार की जांच नहीं कराई जाए।
.....................एक्स-रे सेवा छह माह से ठप, सर्जन का भी अभाव
मालाखेड़ा. स्थानीय सरकारी अस्पताल का भवन जर्जर अवस्था में होने से मरीजों को लगातार असुविधाएं झेलनी पड़ रही हैं। अस्पताल में दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था होने के बावजूद मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं प्रभावित हैं। अस्पताल में इस समय लगभग 591 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन सर्जन चिकित्सक के अभाव में सर्जिकल दवा उपयोग में नहीं ली जा रही। एक्स-रे मशीन तकनीकी रूप से सही है, लेकिन भवन को कंडम घोषित किए जाने के कारण छह माह से एक्स-रे सेवाएं बंद पड़ी हैं। पिछले सात दिनों में अस्पताल की ओपीडी में करीब तीन हजार मरीज उपचार के लिए पहुंचे हैं। हालांकि डेंगू और मलेरिया के कोई मामले दर्ज नहीं हुए हैं। ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मालाखेड़ा डॉ. लोकेश कुमार मीणा का कहना है कि भवन कंडम घोषित होने से एक ही कमरे में दो-दो चिकित्सकों को बैठना पड़ता है। इससे मरीजों की भीड़ अस्पताल परिसर में बनी रहती है। नया भवन बनने के बाद चिकित्सा सुविधाओं में सुधार होगा।...................
चिकित्सकों के चार पद चल रहे रिक्त
प्रतापगढ़. क्षेत्र की पांच पंचायतों के करीब बीस हजार ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवाओं का भार प्रतापगढ़ सीएचसी में तैनात एकमात्र चिकित्सक पर है। अस्पताल में चार चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। प्रतिदिन करीब 500 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। अस्पताल में डॉक्टरों की कमी 18 माह से बनी हुई है। महिला रोग विशेषज्ञ के अभाव में नर्सों के सहारे प्रतिमाह लगभग 50 प्रसव कराए जा रहे हैं, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों की सुरक्षा को खतरा बना रहता है। मरीजों को बाहर से जांचें करानी पड़ती हैं। करीब 25 दिन पहले कलक्टर आर्तिका शुक्ला ने ग्रामीण सेवा शिविर के दौरान अस्पताल का निरीक्षण किया था। ग्रामीणों की शिकायत पर उन्होंने सीएमएचओ से वार्ता कर दो चिकित्सक नियुक्त करने के निर्देश दिए थे, लेकिन स्थिति अब भी यथावत है। मामले में सीएचसी प्रभारी, प्रतापगढ़ हनुमान सहाय गुर्जर का कहना है कि विभाग को अन्य चिकित्सकों की नियुक्ति कर ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। हम उपलब्ध संसाधनों से मरीजों को सर्वोत्तम सेवा देने का प्रयास कर रहे हैं।................
थानागाजी. कस्बे किशोरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को बजट घोषणा में सीएचसी में क्रमोन्नत तो कर दिया, मगर आज तक नए भवन नहीं हो सका। न स्टाफ बढ़ाया। करीब 30 गांवों के ग्रामीण एक चिकित्सक के भरोसे है। रोजाना पीएचसी के आउटडोर में वायरल बुखार, मलेरिया व डेंगू के लक्षण वाले रोगी आ रहे हैं। ग्रामीणों को महंगे दामों पर निजी लैब में जांच करानी पड़ रही है। एक मात्र चिकित्सक रामकिशन गुर्जर ने बताया कि चिकित्सालय में ओपीडी करीब 200 है। 5 चिकित्सकों के पद स्वीकृत है, जिनमें से 4 रिक्त हैं। 7 नर्सिग स्टाफ में से 6 पद रिक्त है। 1 रिडियोग्राफर, 2 वार्ड बॉय तथा 4 सफाई कर्मियों के स्वीकृत पद भी रिक्त है। पीएचसी लेवल की सभी 15 जांचें उपलब्ध है। सीएचसी लेवल की कोई मशीनें नही आई।बीसीएमओ बीएल यादव ने बताया कि नए भवन के लिए वर्तमान परिसर में पर्याप्त जगह है, जिसकी सूचना विभाग को भिजवा दी है।...................
एक सप्ताह में 7399 रोगी करा चुके उपचारराजगढ़. क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्वास, दमा के रोगी अस्पताल आ रहे हैं। एक सप्ताह में करीब 7399 रोगी उपचार को पहुंचे। सीएचसी में 688 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं। सीएचसी स्तर की 39 प्रकार की जांचें हो रही हैं। डेंगू, स्क्रब टायफस की जांचें नहीं होती। बीसीएमओ डॉ. विशाल सिद्ध का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र की प्रत्येक पीएचसी में पीएम सुरक्षित मातृ दिवस 9, 18, 27 का जो सेशन लगता हैं, उसमें सोनोग्राफी सहित सभी जांचे निःशुल्क होती हैं। गर्भवती महिला को मां योजना में सोनोग्राफी के लिए बाउचर दिया जाता हैं। सोनोलॉजिस्ट नहीं होने से सामान्य सोनोग्राफी की जाती हैं। सभी चिकित्सालयों में दवा पर्याप्त है। चिकित्सालय परिसर में बड़ी संख्या में चौपहिया वाहनों के खडे़ रहने से एम्बुलेंस का रास्ता बाधित होना आम बात है।
Updated on:
08 Nov 2025 12:38 am
Published on:
08 Nov 2025 12:16 am
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