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RSLP: राजस्थान में 175KM लंबी नहर का रास्ता साफ, ड्रोन सर्वे पूरा; जल्द जारी होगा जमीन अलॉटमेंट का डेटा

Ramjal Setu Link Project: रामजल सेतु लिंक परियोजना (RSLP) के तहत प्रस्तावित 175 किलोमीटर लंबी नहर के लिए ड्रोन सर्वे का काम पूरा हो गया है।

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अलवर में यहां से निकलेगी नहर। फोटो: पत्रिका

अलवर। रामजल सेतु लिंक परियोजना (RSLP) के तहत प्रस्तावित 175 किलोमीटर लंबी नहर के लिए ड्रोन सर्वे का काम पूरा हो गया है। सर्वे टीम ने नहर के मध्य आने वाले पूरे क्षेत्र का हाई-रेजोल्यूशन मैप तैयार कर लिया है, जिसमें भू-आकृतियों, पहाड़, नदी, तालाब, आबादी और सरकारी भूमि का विस्तृत डिजिटल डेटा शामिल है।

अब अलवर जिला प्रशासन जमीन अलॉटमेंट प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुट गया है। सर्वे के आधार पर तय होगा कि नहर किन हिस्सों से गुजरेगी, कौन-कौन सी जगह तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण हैं और किन स्थानों पर संरचनात्मक बदलाव की जरूरत होगी।

अधिकारियों का कहना है कि नहर निर्माण के मार्ग में आने वाली वन विभाग की जमीन का विकल्प देकर कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। जहां-जहां नहर का रूट वन विभाग की जमीन से गुजर रहा है, वहां उसकी भरपाई के लिए जिला प्रशासन वैकल्पिक भूमि उपलब्ध कराएगा। इस दिशा में जल्द ही काम शुरू होगा।

जमीन अधिग्रहण प्रस्ताव हो रहा तैयार

वहीं, अधिकारियों का कहना है कि नहर के मार्ग मे आने वाले किसानों की जमीन का अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके लिए कई इलाकों के पटवारियों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। जल्द ही किसानों की संख्या और कितनी जमीन नहर के लिए अधिग्रहण होगी, इसकी रिपोर्ट जारी होगी।

कुल 6492 करोड़ आएगी लागत

अलवर में रामजल सेतु लिंक परियोजना का पानी करौली जिले के खुर्रा-चैनपुरा से आएगा। इस नहर की अलवर-करौली के मध्य 150 किलोमीटर की दूरी है। नहर के माध्यम से अलवर को 200 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। पहले चरण में अलवर को केवल पीने का पानी मिलेगा। योजना के दूसरे चरण में किसानों को नहर का पानी मिलने की उम्मीद है। पहले चरण में नहर का निर्माण कार्य 3446 करोड़ रुपए से होगा। पूरी नहर निर्माण में 6492 करोड़ रुपए की लागत आएगी। नहर का निर्माण करने वाली एजेंसी की 20 साल तक मेंटिनेंस की जिम्मेदारी रहेगी। कार्यदायी एजेंसी को निर्माण कार्य साढे़ 4 साल में पूरा करना होगा।

इस तरह से बनेगा पानी के लिए रास्ता

करौली जिले के खुर्रा-चैनपुरा गांव से अलवर जिले की राजगढ़ तहसील में नहर प्रवेश करेगी। नहर का पानी सर्वप्रथम राजगढ़ के धमरेड़ बांध में आएगा। उसके बाद नटनी के बारां में पानी पहुंचाया जाएगा। वहां से पानी को दो भागों में बांटा जाएगा। इसमें एक लिंक नहर जयसमंद बांध और दूसरी लिंक नहर पानी को रूपारेल नदी के जरिए घाट बांध तक पहुंचाएगी। जयसमंद बांध से भी दो लिंक नहरों का निकाला जाएगा, जिसमें एक सिलीसेढ़ के लिए और दूसरी लिंक नहर कृत्रिम बांध के लिए जाएगी।

अलवर सहित 17 जिलों को मिलेगा पानी

रामजल सेतु लिंक परियोजना से राजस्थान के 17 जिलों को पानी मिलेगा। इन जिलों में जयपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, दौसा, करौली, धौलपुर, भरतपुर, डीग, अलवर, खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड़, अजमेर, ब्यावर और टोंक शामिल हैं।

दो बार बदला गया परियोजना का नाम

बता दें कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) अब रामजल सेतु लिंक परियोजना (RSLP) के नाम से जानी जाती है। जनवरी 2024 में इसका नाम बदलकर पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (PKC-ERCP) किया गया था और फिर जनवरी 2025 में इसे बदलकर रामजल सेतु परियोजना कर दिया था।

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