
फाइल फोटो
प्रशासन की जांच में सनराइज यूनिवर्सिटी का फर्जीवाड़ा सही मिला है। बैक डेट में सैकड़ों छात्रों के दाखिले मिले हैं। छात्र आते हैं या नहीं, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। यूनिवर्सिटी को अपने संविधान के मुताबिक नियुक्तियां करनी चाहिए थी, लेकिन कई नियुक्तियां फर्जी मिली। नाम किसी का और वेतन किसी अन्य व्यक्ति के खाते में जा रहा था।
चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। प्रशासन ने पूरी जांच रिपोर्ट सरकार को भेजी है। अब वहां से शिकंजा कसा जाएगा। वर्ष 2022 में एक निजी यूनिवर्सिटी में दाखिले के नाम पर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया, तो उसके तार सनराइज यूनिवर्सिटी से जुड़ गए। इस मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया और जांच शुरू कर दी। कुछ शिकायतें भी की गईं। प्रशासन ने यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दस्तावेज मांगे, लेकिन समूचे नहीं दिए गए। दिए गए दस्तावेज के मुताबिक छात्रों के दाखिले बैक डेट में मिले हैं।
यानी उन्हें केवल डिग्री देने का उद्देश्य रहा। यह छात्र स्नातक कोर्सेज के हैं। कई छात्रों के नाम में भी कांट-छांट की गई है। यूनिवर्सिटी के कुछ पदों पर जिन लोगों की तैनाती दिखाई गई है, उनके खाते में वेतन न जाकर, किसी अन्य व्यक्ति के खाते में जा रहा है। यानी फर्जीवाड़ा किया गया है। नियुक्तियां नाम की दिखाई गई हैं ताकि पैसे खर्च न हों। यूनिवर्सिटी ने अपने ही संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं।
सनराइज यूनिवर्सिटी पर फर्जी डिग्री बांटने सहित कई अन्य आरोपों में यूजीसी ने कुछ समय पहले ही 5 साल के लिए पीएचडी पर प्रतिबंधित लगाया था। इसी को लेकर प्रदेश सरकार ने जांच शुरू करवाई। उच्च शिक्षा विभाग के नेतृत्व में बनी टीम में अलवर कलक्टर आर्तिका शुक्ला व पुलिस अधीक्षक भी सदस्य हैं। इन अधिकारियों ने विश्वविद्यालय से रिकॉर्ड तलब किए और उसके बाद जांच की गई।
सनराइज यूनिवर्सिटी के दस्तावेजों की जांच में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। बैक डेट में छात्रों के दाखिले किए गए हैं। नियुक्तियों में भी घालमेल है। जांच रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है - बीना महावर, एडीएम सिटी
Published on:
31 Oct 2025 12:18 pm
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