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पोस्टमार्टम करते जागा वैराग्य, सरकारी नौकरी छोड़ी, MBBS डॉक्टर अब लेंगे दीक्षा

MP News: थूबोन जी जैन तीर्थ अशोकनगर में दीक्षा कल: युवाओं में से किसी ने सरकारी पद तो किसी ने डॉक्टरी छोड़ी... लाखों रुपए की कमाई वाला कारोबार भी त्यागा

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MP News(फोटो: पत्रिका)

MP News: अशोकनगर से करीब 32 किमी दूर स्थित श्री दिगंबर जैन दर्शनोदाय अतिशय तीर्थक्षेत्र थूबोन जी में रविवार को इतिहास बनने जा रहा है। निर्यापक मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज लगभग 12 ब्रह्मचारी भैया को जैनेश्वरी दीक्षा देंगे। इनमें सागर जिले के तीन ब्रह्मचारी हैं, जो लाखों का कारोबार और डॉक्टर की नौकरी छोड़ दीक्षा लेने जा रहे हैं।

जबलपुर जिले के चरगवां निवासी सगे भाई सोनू जैन और मोनू जैन भी दीक्षा लेंगे। बीएससी व ट्रिपल एमए डिग्रीधारी 39 वर्षीय सोनू 80 हजार रुपए मासिक वेतन पर शासकीय शिक्षक थे। 2011 में मुनि सुधासागर से जुड़े। 2024 में घर-नौकरी छोड़ धर्म की राह पर निकल पड़े हैं। 40 वर्षीय मोनू संस्कृत से एमए हैं। 10 साल सीए रहे। 2014 में ब्रह्मचर्य व्रत लिया।

फिर घर नहीं लौटे

असम के 32 वर्षीय अंकुर जैन सिविल इंजीनियर हैं। ६ साल रक्षा मंत्रालय के साथ भी काम किया। बीते वर्ष मुनि सुधासागर महाराज के शिविर में शामिल हुए। इस बार अशोकनगर में संस्कार शिविरमें आए तो घर लौटे ही नहीं। अध्यात्म की राह पकड़ ली है।

ये भी चले धर्म मार्ग पर

राहतगढ़ निवासी (MP News) सुयश भैया की राहतगढ़ में जैन ट्रेडर्स किराना दुकान है। लाखों का कारोबार छोड़ मुनि बनने जा रहे हैं। पिता वीरेंद्र कुमार और माता शिमला जैन हैं। इनके भाई डॉ. यश जैन भाग्योदय अस्पताल सागर में डॉक्टर हैं। बीते साल भाग्योदय तीर्थ में मुनि सुधा सागर महाराज का चातुर्मास हुआ तभी सुयश मुनि संघ से जुड़े थे। एक वर्ष में ही संसार के बंधन को छोड़ मुनि बनने के रास्ते पर निकल पड़े।

एमबीबीएस डॉक्टर थे अंकित भैया

सागर जिले के बांदरी तहसील में एमबीबीएस डॉक्टर अंकित भैया सरकारी अस्पताल में कार्यरत थे। छह वर्ष से नौकरी कर रहे थे। बीते साल से मुनि सुधा सागर के सान्निध्य में धर्म की राह पर चल रहे हैं। पिता चौधरी अनिल जैन के अनुसार एक बार मालथौन में करीब 20 साल की बच्ची ने फांसी लगा ली थी। पोस्टमार्टम अंकित कर रहा था। तभी अंकित का हृदय परिवर्तित हो गया। लगने लगा था कि संसार असार है। अंकित तीन भाई हैं। डॉ. सौरभ सोनल जैन भाग्योदय अस्पताल में हैं। बेटा शिवम जैन और बहूसोनम जैन भी डॉक्टर हैं, जबकिमां सुषमा गृहिणी हैं।

बचपन से थी मुनि बनने की चाह

ब्रह्मचारी अतिशय भैया को बचपन से मुनि बनने की चाह थी। 8 साल की उम्र में सांगानेर में पढ़ाई करने निकल गए थे। लौटने पर जैन धर्म के कई विधान व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए। अभी उम्र 23 वर्ष है। जीजा रचित जैन ने बताया कि अतिशय भैया के पिता जितेंद्र कुमार नमक मंडी में क्रॉकरी की दुकान चलाते हैं। लाखों का कारोबार है। मां वंदना जैन गृहिणी हैं। बहन स्तुति जैन और छोटा भाई अक्षत जैन है। उन्होंने बताया कि मुनि सुधा सागर का पिछले वर्ष चातुर्मास हुआ था, तभी अतिशय भैया ने ब्रह्मचारी व्रत ले लिया था। एक वर्ष से मुनि संघ के साथ में हैं। बचपन से ही उनकी रुचि मुनि बनने की थी। अतिशय ने धीरे-धीरे संसार के मोह-बंधन से अपने आप को दूर कर लिया था।