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Guruvar Vrat Benefits : गुरुवार व्रत विधि : श्री हरि की कृपा और अखंड सौभाग्य चाहिए? तो भूलकर भी न करें ये काम

Guruvar Vrat Benefits : गुरुवार व्रत से पाएं धन और अखंड सौभाग्य। जानें भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजन विधि, मंत्र, आरती और वे गलतियां जिनसे आपको व्रत के दौरान बचना चाहिए। पढ़ें संपूर्ण जानकारी।

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भारत

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Manoj Vashisth

Nov 19, 2025

Guruvar Vrat Benefits

Guruvar Vrat Benefits : : गुरुवार व्रत विधि: धन, सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए ऐसे करें पूजन, जानें पूरी विधि। (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Guruvar Vrat Benefits : सनातन (हिंदू) धर्म में व्रत करना कई समस्याओं से निपटने का आसान तरीका होता है। इसी कड़ी में कई भक्त भगवान विष्णु और बृहस्पति देव के लिए व्रत रखते हैं। यह व्रत गुरुवार को करना खास फल देता है। इससे भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की अनंत कृपा प्राप्त होती है और दूसरे किसी ग्रह का विपरीत प्रभाव भक्त पर नहीं पड़ता। विस्तार से समझते हैं, इस व्रत के नियम, विधि और फायदे…।

महत्वपूर्ण और फलदायी है ये व्रत

पंडित नीलेश शांडिल्य (उज्जैन) के अनुसार, गुरुवार (बृहस्पतिवार) व्रत सनातन वैदिक हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और फलदायी व्रत है। यह धन ,विद्या ,वैभव ,सौभाग्य तथा सुखी दांपत्य जीवन के लिए किया जाता है। इस व्रत की परंपरा का उल्लेख प्राचीन वैदिक ग्रंथों में मिलता है। अग्नि पुराण ,बृहस्पति स्मृति तथा महाभारत में इसके महत्व के बारे में बताया गया है।

गुरुवार व्रत के लिए…

पूजन सामग्री : हल्दी, केला, गुड़, धूप दीप, चने का नैवेद्य, पीला आसन, पीला वस्त्र, हवन सामग्री, कपूर, नारियल, मोली, यज्ञोपवित आदि।

गुरुवार व्रत पूजन विधि :

  • गुरुवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • स्नान आदि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करें।
  • बाजोट या पटिए पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की मूर्ति स्थापित करें।
  • मूर्ति न हो तो तस्वीर या केले के पेड़ की पूजा भी कर सकते हैं।
  • सर्वप्रथम आचमन करके शुद्ध हो जाएं।
  • फिर स्वयं के माथे पर अनामिका उंगली से चंदन और केसर का तिलक लगा लें।
  • धूप और दीप जलाकर सबसे पहले भगवान गणपति गौरी का पूजन करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु और बृहस्पति देव का ध्यान करें।
  • बृहस्पति देव और भगवान विष्णु को पंचामृत स्नान आदि से निवृत करें।
  • स्वच्छ कपड़े से पोंछ वस्त्र ,यज्ञोपवीत आदि धारण कराएं।
  • बृहस्पति देव को हल्दी चढ़ाए और चने की दाल, गुड़, केले आदि का भोग लगाएं।
  • बृहस्पति देव के मंत्रों का 108 बार जप करें।
  • [जप (बीज) मंत्र : ॐ बृं बृहस्पतये नमः
  • गुरु मंत्र: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः]
  • जप के लिए हल्दी या रुद्राक्ष की माला प्रयोग करें।
  • फिर बीज मंत्र से ही 108 आहुति देकर हवन करें।
  • अंत में बृहस्पति देव और भगवान विष्णु की प्रेम पूर्वक आरती उतारें।
  • परिक्रमा करके पूजा में हुई गलती और त्रुटि की क्षमा प्रार्थना करें।
  • भगवान से धन, विद्या ,सौभाग्य ,सुखी दांपत्य जीवन एवं अपनी मनोकामनाएं मांग कर विसर्जन करें।
  • बृहस्पति देव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु जप अवश्य करें।

पूजन में ये गलती न करें

  • पूजन में पीले वस्त्र पहन कर ही बैठें।
  • पीला आसान ही पूजा में प्रयोग करें।
  • व्रत के दौरान केले का सेवन न करें, बल्कि छोटे बालक-बालिकाओं को केले दान करें।
  • संभव हो तो व्रत के दिन केले का पौधा लगा दें।
  • चैन से बनी चीजों का प्रयोग ही पूजा में करें और स्वयं भी वही खाएं।
  • एक आहार लें यानी व्रत के दिन एक बार ही भोजन करें।
  • इस दिन बाल कटवाना या बाल धोना वर्जित होता है।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।