सुबह से देर शाम तक चली पूजा-अर्चना, अठवाईं चढ़ाकर मां को लगाया भोग
नवरात्र पर्व पर मंगलवार 30 सितंबर को महाअष्टमी पर शहर का वातावरण पूरी तरह भक्तिमय रहा। शहर के ढाई सौ साल पुराने सिद्धपीठ प्राचीन काली पाठ मंदिर में तडक़े से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था, जो देर शाम तक जारी रहा। भक्तों ने मां काली के चरणों में नमन कर सुख-समृद्धि और परिवार की मंगलकामना की। स्थानीय बस स्टैंड के समीप गौली मोहल्ले में स्थित काली मॉ का मंदिर शहर का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। करीब ढाई सौ वर्ष पूर्व निर्मित यह मंदिर तब से आस्था का केंद्र है, जब बालाघाट को ‘बूढ़ा’ नाम से जाना जाता था।
बुजुर्गों का कहना है कि यहां स्थापित मां काली की प्रतिमा स्वयंभू है या स्थापित की गई, इसका रहस्य अब तक अज्ञात है। कारण यही है कि यह स्थान भक्तों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है।
महा अष्टमी पर्व पर मंदिर परिसर में परंपरागत अठवाईं चढ़ाकर मां को भोग अर्पित किया गया। सुबह से लेकर देर रात तक मंदिर प्रांगण में भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजन चलते रहे। श्रद्धालु महिलाएं, पुरुष और बच्चे बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचे और माता रानी के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। इसी प्रकार शहर के त्रिपुर सुंदरी मंदिर, कालीपाठ, हनुमान चौक दुर्गा मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में भी विशेष पूजन, हवन और धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। देवी पंडालों में भारी भीड़ उमड़ी। घरों में कन्या पूजन और भोज का आयोजन किया गया।
इस बार तिथियों को लेकर असमंजस की स्थिति देखी जा रही है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार मंगलवार को अष्टमी पर्व रहा। वहीं दिन के हिसाब से नवमां दिन था। इस कारण अष्टमी और नवमीं पर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों जवारे, कलश के विसर्जन का दौर प्रारंभ हो गया है, जो बुधवार को भी जारी रहेगा। शहर के समीपस्थ के ग्रामों में ग्रामीण जवारें विसर्जन करते नजर आए। नवरात्र के अंतिम दौरान में लोगों में आस्था चरम पर दिखाई दे रही है।
Published on:
01 Oct 2025 11:47 am
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