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अंतिम संस्कार की बुनियादी सुविधाओं के लिए भी दूसरे गांव पर निर्भर ग्रामीण-

गांव में नहीं है शांतिधाम, दूसरे गांव में जाकर करना पड़ता है अंतिम संस्कार खैरलांजी जनपद के दैतबर्रा गांव का मामला गांव में शांतिधाम स्वीकृति के बावजूद नहीं किया जा रहा निर्माण, अतिक्रमण बन रहे बाधा ग्रामीणों ने मुख्यालय पहुंचकर प्रशासन से लगाई गुहार

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गांव में नहीं है शांतिधाम, दूसरे गांव में जाकर करना पड़ता है अंतिम संस्कार

गांव में नहीं है शांतिधाम, दूसरे गांव में जाकर करना पड़ता है अंतिम संस्कार

जनपद खैरलांजी के सलेबर्डी ग्राम पंचायत अंतर्गत दैतबर्रा गांव के लोगों को अंतिम संस्कार जैसी बुनियादी आवश्यकता के लिए भी दूसरे गांवों पर निर्भर होना पड़ रहा है। शांति धाम निर्माण के लिए शासन द्वारा राशि स्वीकृत होने के बावजूद भी निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। बताया गया कि जिस भूमि पर श्मशान घाट बनाया जाना था, उस पर स्थानीय स्तर पर अतिक्रमण कर लिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से वे अंतिम संस्कार के लिए कई किमी दूर दूसरे गांवों का रुख कर रहे हैं। यह समस्या न केवल असुविधाजनक है, बल्कि बारिश, रात के समय या आपात स्थिति में बेहद कठिन हो जाती है।

मृतक के परिजनों के लिए यह स्थिति मानसिक पीड़ा का कारण बन रही है। दैतबर्रा के कई ग्रामीण जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट पहुंचे और अपनी समस्या विस्तार से बताते हुए अतिक्रमण हटाने व शांति धाम निर्माण कार्य तत्काल शुरू कराने की मांग की। ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत से लेकर जिला स्तर तक कई बार शिकायतें की। लेकिन अब तक एक भी शिकायत पर उचित कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि संबंधित अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण करना अपनी जिम्मेदारी नहीं समझा, जबकि समस्या बेहद गंभीर और संवेदनशील है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन चाहे तो कुछ ही दिनों में अतिक्रमण हटाकर शांति धाम के निर्माण का रास्ता साफ हो सकता है, लेकिन लगातार उदासीनता के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है।

अतिक्रमण हटाए जाने की मांग

ग्रामीणों ने बताया कि जिस भूमि पर श्मशान घाट स्वीकृत है, वह सार्वजनिक उपयोग की है, फिर भी कुछ लोगों ने उस पर अवैध कब्जा कर लिया है। यह कब्जा हटने पर ही शांति धाम का निर्माण संभव है। दैतबर्रा के ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की कि जल्द से जल्द जमींन को अतिक्रमण मुक्त करवाया जाए, ताकि गांव के लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार स मान पूर्वक अपने ही गांव में कर सकें।


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