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‘नली-कली’ कार्यक्रम पर पुनर्विचार करेगी सरकार

कई शिक्षाविद् और पूर्व शिक्षक ‘नली-कली’ प्रणाली के खिलाफ हैं। इनके अनुसार यह कार्यक्रम पूरी तरह अवैज्ञानिक है। यह बच्चों में पढऩे, लिखने और तार्किक सोचने की क्षमता विकसित नहीं करता। परिणामस्वरूप, बच्चे कक्षा 4, 5 और 6 में पहुंचने पर पीछे रह जाते हैं।

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- बंद होगा या बदलेगा पाठ्यक्रम

राज्य Karnataka के सरकारी स्कूलों में कक्षा 5 के विद्यार्थियों की पढऩे, लिखने और बुनियादी गणित की क्षमता और प्राथमिक स्तर पर द्विभाषी शिक्षा प्रणाली लागू करने की योजना को लेकर चल रही बहस के बीच, स्कूल शिक्षा विभाग अब यह विचार कर रहा है कि ‘नली-कली’ कार्यक्रम को बंद किया जाए या उसमें बड़े पैमाने पर संशोधन किया जाए ताकि कक्षा 1 से 3 के छात्र उच्च कक्षाओं के लिए बेहतर तैयारी कर सकें।

कई शिक्षाविद् और पूर्व शिक्षक ‘नली-कली’ प्रणाली के खिलाफ हैं। इनके अनुसार यह कार्यक्रम पूरी तरह अवैज्ञानिक है। यह बच्चों में पढऩे, लिखने और तार्किक सोचने की क्षमता विकसित नहीं करता। परिणामस्वरूप, बच्चे कक्षा 4, 5 और 6 में पहुंचने पर पीछे रह जाते हैं।

समान पाठ्यक्रम हो

सेवानिवृत्त शिक्षक ए. प्रभु के अनुसार इन पाठ्यपुस्तकों में सिर्फ चित्र होते हैं। जब तक बच्चे अक्षर और अंक नहीं सीखेंगे, वे पढऩा-लिखना कैसे सीखेंगे? कक्षा 1 से 3 तक सभी स्कूलों में समान पाठ्यक्रम होना चाहिए, जिसमें पाठ, कविताएं और गणित के प्रश्न हों, साथ ही अंत में गतिविधियां भी शामिल की जाएं।

शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक

शिक्षा विशेषज्ञ कात्यायिनी चामराज ने कहा, ‘नली-कली’ कार्यक्रम मूल रूप से एक ही कक्षा में अलग-अलग आयु के बच्चों के बीच सामूहिक शिक्षा को बढ़ावा देता है। यह शिक्षक की कमी से निपटने के लिए शुरू किया गया था। सरकार चाहे तो गतिविधि-आधारित शिक्षा जारी रखे, लेकिन अक्षर और अंक सिखाने के लिए अलग-अलग शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक है।

द्विभाषी शिक्षा प्रणाली

सर्व शिक्षा अभियान की एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कार्यक्रम फिलहाल बंद नहीं किया जाएगा, लेकिन पाठ्यक्रम में संशोधन किया जा सकता है, क्योंकि सरकार प्राथमिक स्तर पर द्विभाषी शिक्षा प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है।

योजना के बारे में

इस कार्यक्रम की शुरुआत 2009-10 के शैक्षणिक वर्ष में कक्षा 1 से 3 के विद्यार्थियों के लिए की गई थी। इस कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को एक ही कक्षा में सामूहिक रूप से पढ़ाया जाता है और उन्हें उनके सीखने के स्तर के आधार पर समूहों में बांटा जाता है। यह गतिविधि-आधारित शिक्षण पद्धति है, जिसमें प्रत्येक बच्चे को एक कार्य-पुस्तिका दी जाती है, जिसमें वे हर पाठ से जुड़ी गतिविधियां पूरी करते हैं। साथ ही, प्रगति दर्ज करने के लिए प्रत्येक छात्र को एक प्रगति कार्ड दिया जाता है और शिक्षक अपनी टिप्पणियां दर्ज करते हैं। कार्यक्रम में किसी पर दबाव नहीं होता है। उदाहरण के लिए, कक्षा 2 के विद्यार्थी यदि कक्षा 1 की गतिविधियां पूरी नहीं कर पाए हों, तो वे पहले उन्हें पूरा कर सकते हैं और फिर कक्षा 2 के पाठ्यक्रम पर आगे बढ़ सकते हैं।

बैठक के बाद ही निर्णय

शिक्षकों, स्कूल विकास और निगरानी समितियां और अन्य हितधारकों के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया जाएगा कि दशक पुराना यह कार्यक्रम बंद किया जाए या संशोधित किया जाए।

-मधु बंगारप्पा, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री