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अकेले बेंगलूरु में हर साल बर्बाद होता है 943 टन खाद्यान्न

यह भोजन के प्रति अहंकार और अन्नब्रह्म का अपमान भोजन की बर्बादी से हर साल होता है 360 करोड़ रुपए का नुकसान

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खाद्यान्न की बरबादी पर गंभीर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा कि अकेले बेंगलूरु में हर साल 943 टन चावल बर्बाद हो जाता है। यह अन्नब्रह्म का अपमान है।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की ओर से आयोजित विश्व खाद्य दिवस पर उन्होंने कहा कि भूख का दर्द और चावल की कीमत उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। इसलिए उन्होंने अन्न भाग्य योजना लागू की। उन्होंने कहा कि बेंगलूरु में खाने की बर्बादी खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। हम कभी चावल के लिए अमरीका पर निर्भर थे और अब हम इसे दूसरे देशों को निर्यात करने की स्थिति में पहुंच गए हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भोजन की बर्बादी बढ़ रही है।

भोजन के प्रति अहंकार

उन्होंने जीकेवीके के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि बेंगलूरु में सालाना 360 करोड़ रुपए के खाद्यान्न बर्बाद होते हैं। जानबूझकर भोजन की बर्बादी को भोजन के प्रति अहंकार दिखाना करार देते हुए मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि महात्मा गांधी ने भोजन की बर्बादी को पाप कहा था। मुख्यमंत्री ने कहा, कांग्रेस यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि कोई भी भूखा न सोए। उन्होंने खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को दिया और कहा कि भाजपा ने इसका विरोध किया था। उन्होंने घोषणा की कि अन्नभाग्य योजना के तहत चावल की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए अब 10 किलो चावल के बजाय 5 किलो चावल के साथ 5 किलो दाल मिलेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि योजना के चावल की अवैध बिक्री करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।