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Rajasthan: माही से उठेगी ऊर्जा की लहर… राजस्थान बनेगा पावर स्टेट, विकास को मिलेगी नई रफ्तार

Mahi Banswara Atomic Power Project: माही बांसवाड़ा राजस्थान एटोमिक पावर प्लांट पीएचडब्ल्यूआर तकनीक पर काम करेगा। चार यूनिट में 2800 मेगावाट बिजली बनेगी।

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माही बांसवाड़ा राजस्थान एटोमिक पावर प्लांट। फोटो: पत्रिका

बांसवाड़ा। आमतौर पर कोयले से बिजली उत्पादन प्रदूषणकारक होता है, लेकिन माही बांसवाड़ा राजस्थान एटोमिक पावर प्लांट (एमबीआरएपीपी) प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) तकनीक पर काम करेगा। चार यूनिट में 2800 मेगावाट बिजली बनेगी।

इस तकनीक में नेचुरल यूरेनियम ईंधन और भारी पानी (D2O) का इस्तेमाल होता है। भारी पानी न केवल रिएक्टर को ठंडा करता है, बल्कि न्यूट्रॉन्स की गत्ति को नियंत्रित कर चेन रिएक्शन को स्थिर बनाए रखता है। इस तरह रिएक्टर सुरक्षित और निरंतर बिजली उत्पादन की स्थिति में रहता है।

गति पकड़ेगा, फिर स्थिर हो जाएगा

प्रस्तावित रिएक्टर में क्रिटिकल अवस्था का प्रयोग होगा। इसका मतलब है कि रिएक्टर में जितने न्यूट्रॉन खत्म होंगे, उतने ही नए पैवा होंगे और चेन रिएक्शन स्थिर रूप से चालेगी। स्टार्टअप या पावर बढ़ाने के समय रिएक्टर थोड़े समय के लिए सुगरक्रिटिकल होकर तेजी से ऑपरेटिंग पावर तक पहुंचेगा, जिसके बाद यह फिर से क्रिटिकल अवस्था में स्थिर हो जाएगा। संचालन के दौरान सुरक्षा के लिए कंट्रोल रॉड्स, इमरजेंसी कूलिंग सिस्टम और मॉडरेटर की व्यवस्था रहेगी।

गर्म पानी कूलिंग टावर में होगा ठंडा

रिएक्टर से निकलता गर्म पानी विशेष कूलिंग टॉवर में ठंडा होगा। इसका तापमान सामान्यतः लगभग 30-40°C तक होता है। प्लांट में तापमान नियंत्रण और डिस्चार्ज नियमों का पालन अनिवार्य होता है। जिससे यह किसी प्रकार का खतरा पैदा नहीं करता।

यूरेनियम का इस्तेमाल, पर्यावरण के अनुकूल

विशेषज्ञ बताते हैं कि पीएचडब्ल्यूआर तकनीक के प्रयोग से भारत में प्राकृतिक यूरेनियम के संसाधनों का अधिकतम और बेहतर उपयोग होगा। यह पर्यावरण के अनुकूल बिजली उत्पादन सुनिश्चित करेगा। यह प्रोजेक्ट पूरी तरह भारतीय तकनीक पर आधारित है, जो नियंत्रित और सुरक्षित रूप से संचालित होगा। इसमें आधुनिक सुरक्षा और कूलिंग सिस्टम लगेगे। प्लांट बिजली उत्पादन के साथ पर्यावरण और सुरक्षा मानकों पर काम करते हुए राजस्थान के ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा योगदान देगा।

पीएचडब्ल्यूआर की कार्यप्रणाली

-क्रिटिकल अवस्था में न्यूट्रॉन चेन रिएक्शन
-गर्म पानी का कूलिंग और डिस्चार्ज प्रोसेस

एटोमिक पावर प्लांट पर एक नजर...

क्रमांकविवरणजानकारी
1प्रोजेक्ट नाममाही बांसवाड़ा राजस्थान एटोमिक पावर प्लांट (MBRAPP)
2शुरुआती लागत₹42,000 करोड़
3बिजली उत्पादन शुरुआतवर्ष 2033 से
4रिएक्टर प्रकारPHWR (Pressurized Heavy Water Reactor)
5ईंधनप्राकृतिक यूरेनियम (U-235 का कम प्रतिशत)
6कुलैंट (Coolant)भारी पानी (D₂O)
7मॉडरेटरभारी पानी (D₂O)
8आवासीय क्षेत्र60 हेक्टेयर
9ग्रीन बेल्ट205.59 हेक्टेयर (33%)
10कंपनीअणुशक्ति विद्युत निगम लिमिटेड (NPCIL)
11भविष्य योजनायोजना पूरी होने पर यहीं एक और रिएक्टर स्थापित होगा
12देश में स्थितिभारत का 8वां परमाणु रिएक्टर

यह भी जानना जरूरी

परियोजना स्थल नापला माही नदी के किनारे स्थित है। वर्तमान में, एनपीसीआईएल और भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (भाविनी) को परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण और संचालन की अनुमति है। सरकार ने 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। वर्तमान में, एनपीसीआईएल देश में 8780 मेगावाट क्षमता वाले 24 वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का संचालन करती है। 2031-32 तक इसे बढ़ाकर 22,480 मेगावाट करने की योजना है।

इनका होगा लोकार्पण

1400 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं एवं 925 मेगावाट का नोख सोलर पार्क, फलौदी (10710 करोड़ रुपए)। पीएम कुसुम-सी के तहत 895 मेगावाट के विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्र (3,132 करोड़ रुपए)। ईसरदा बांध, धौलपुर लिफ्ट, बत्तीसानाला एवं अन्य सिंचाई परियोजनाओं के कार्य (2,365 करोड़ रुपए)। बाडमेर, अजमेर, ब्यावर, डूंगरपुर, भर्तृहरि नगर बांसवाड़ा, राजसमन्द, उदयपुर जिलों में 7 सडकों के कार्य (1.758 करोड़ रुपए)। बाड़मेर जिले में 220 केवी जीएसएस व लाइन निर्माण (142 करोड़ रुपए)। डीडवाना-कुचामन में सीवरेज एवं झुंझुनूं में सीवरेज व जल प्रदाय परियोजना का कार्य (226 करोड़ रुपए)।


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