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Anta By Election Result 2025: अंता विधानसभा क्षेत्र की जनता ने उपचुनाव में सत्ता को नकारते हुए कांग्रेस का साथ दिया। कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के मोरपाल सुमन को 15612 वोटों से हराया। भाया को 69571 मत मिले। भाजपा के मोरपाल को 53 हजार 959 और निर्दलीय नरेश मीणा को 53 हजार 800 वोट मिले।
लगातार पांचवीं बार अंता से मैदान में उतरे भाया को तीसरी बार जीत मिली है। वे वर्ष 2003 से 2008 तक बारां से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। अंता विधानसभा उप चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित हुआ। वैसे तो विशेष तौर पर कोई मुद्दा नहीं था।
भ्रष्टाचार का मुद्दा खूब जोर-शोर से उठाया गया था। भ्रष्टाचार के अलावा चार विषय जरूर महत्वपूर्ण थे। पहला विषय राज्य में दो वर्ष पहले गठित हुई भाजपा की भजनलाल सरकार के कार्यकाल की परख और दूसरा विषय पूर्व की अशोक गहलोत सरकार की योजनाओं पर भरोसा दांव पर था।
इसके अलावा जातीय समीकरण और सोशल मीडिया का जादू भी लोगों की नजर में था। जनता ने इन सब से इतर सामान्य जाति के उम्मीदवार कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया को हजारों मतों से जिताया। इससे यह चर्चा आम हो रही है कि दोनों सरकार के कार्यकाल ओर योजनाओं को दरकिनार कर मतदाताओं ने व्यक्ति को चुना है।
अंता विधानसभा सीट सामान्य जाति के लिए आरक्षित है। विधानसभा क्षेत्र में माली सैनी, मीणा, नागर-धाकड़ और एससी मतदाता अधिक हैं। जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा ने माली मतदाताओं को साधने के लिए मोरपाल सुमन को उतारा था। नरेश भी जातीय समीकरण को देखते हुए मैदान में उतरे थे। 2023 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से कंवरलाल मीणा जीते थे, लेकिन इस चुनाव में मतदाताओं ने जातीय समीकरण को भी दरकिनार कर दिया।
इस विधानसभा उप चुनाव में सोशल मीडिया का भी खूब उपयोग किया गया। बड़ी संख्या में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से यूट्यूबर और विभिन्न चैनल पहुंचे थे। प्रत्याशियों की कई तरह की रील चल रही थी। आरोप-प्रत्यारोप के ऑडियो व वीडियो का भी बोलबाला रहा। इससे चुनाव-प्रचार खासा रोचक बन गया था, लेकिन चुनाव नतीजों के अनुसार मतदाताओं पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ा।
निर्दलीय नरेश मीणा ने अंता विधानसभा उपचुनाव को संघर्षपूर्ण और रोचक बना दिया था। नरेश के धुआंधार प्रचार को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन अंता के मतदाताओं ने भाजपा को नकारते हुए कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया पर भरोसा जताया।
प्रमोद जैन भाया ने चुनाव 15,612 मतों के बड़े अंतर से जीता, लेकिन चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा और दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी मोरपाल सुमन के मतों में केवल 159 वोटों का ही अंतर रहा।
कांग्रेस से अलग हुए बागी नरेश मीणा ने अधिकांश मीणा वोट अपने पक्ष में कर लिए, जो कि 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार कंवरलाल मीणा के पक्ष में गए थे।
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीणा समुदाय से निर्दलीय उम्मीदवार को वोट न देने की अपील भी की थी। गहलोत ने कहा था कि मीणा समुदाय कांग्रेस पार्टी की रीढ़ है। पता नहीं नरेश किनके हाथों में खेल रहा है, जो इसे गाइड कर रहा है, वो इसका दुश्मन है, हितैषी नहीं।
गहलोत यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा था कि मुझे दुख होता है कि नरेश जैसा नौजवान लड़का मिसगाइड होकर राजनीति कर रहा है। बेवजह मीणा समाज को क्यों परेशान कर रहा है? मैं मीणा समाज से अपील करता हूं कि समझदारी से काम लें।
कांग्रेस की ओर से अंता उपचुनाव का टिकट न दिए जाने पर नरेश मीणा ने अकेले ही चुनाव लड़ा और अपने प्रचार अभियान के दौरान आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल, पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा, आम आदमी पार्टी और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया सहित कई दलों से समर्थन जुटाया।
नरेश मीणा की यह लगातार तीसरी हार है। अंता उपचुनाव में अगर उन्हें सर्वसमाज का समर्थन मिलता, तो शायद तस्वीर कुछ और होती, लेकिन उनकी छवि और मिजाज के कारण चुनाव परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहा।
यही उनकी लगातार हार का अहम कारण है। हालांकि निर्दलीय नरेश मीणा भले ही चुनाव हार गए हों, लेकिन उनका प्रयास काबिले-तारीफ रहा। उम्मीद है वे अपनी हार से सबक लेंगे।
नरेश मीणा ने 2023 में छबड़ा विधानसभा क्षेत्र से अपना पहला चुनाव लड़ा। इसमें वे तीसरे नंबर पर रहे थे। इसके बाद 2024 में देवली-उनियारा उपचुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान टोंक जिले के समरावता गांव में एक सरकारी अधिकारी को थप्पड़ मारने के बाद नरेश मीणा विवादों में घिर गए थे। बाद में उनको गिरफ्तार कर लिया गया और 8 महीने जेल में बिताने पड़े।
देवली-उनियारा उपचुनाव 2024 में भाजपा के राजेंद्र गुर्जर ने 50 प्रतिशत से अधिक वोटों के साथ जीत दर्ज की थी। नरेश मीणा 59,345 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे।
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वहीं छबड़ा विधानसभा चुनाव में नरेश मीणा 43,921 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार करण सिंह की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। 59,892 वोट पाने वाले करण सिंह भाजपा के प्रताप सिंह सिंघवी से 65,000 वोटों से हार गए।
Updated on:
15 Nov 2025 06:31 pm
Published on:
15 Nov 2025 05:49 pm
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