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अंता उपचुनाव: नरेश मीणा की बगावत से त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस को क्यों माना जा रहा तीसरे नंबर पर? जानें समीकरण

Anta Assembly By-election: राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में सियासी पारा चढ़ा हुआ है।

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Naresh Meena

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Anta Assembly By-election: राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। यह सीट भाजपा के पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई थी। कंवरलाल को 20 साल पुराने मामले में पिस्टल दिखाने की सजा मिली, जिसके बाद मई 2025 में उनकी विधायकी गई।

अब यहां भाजपा के मोरपाल सुमन, कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया और निर्दलीय नरेश मीणा के बीच त्रिकोणीय जंग है। कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन असली लड़ाई इन तीनों के बीच मानी जा रही है।

दरअसल, नरेश मीणा की एंट्री ने पूरे समीकरण बदल दिए हैं। कांग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए नरेश मीणा को जब प्रमोद जैन भाया को टिकट मिला, तो उन्होंने बगावत कर दी। कांग्रेस ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। नरेश ने निर्दलीय नामांकन किया और अब वे मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं। देवली-उनियारा उपचुनाव 2024 में निर्दलीय लड़कर उन्होंने 60 हजार वोट लेकर कांग्रेस की जमानत जब्त करवाई थी। अब अंता में भी वही इतिहास दोहराने की तैयारी है।

क्या नरेश मीणा टक्कर में हैं? बिलकुल हां। मीणा समुदाय के वोटरों (लगभग 25-30 हजार) और युवाओं में उनकी अच्छी पकड़ है। अंता में मीणा, माली (45 हजार से ज्यादा), एससी और अन्य जातियों का समीकरण निर्णायक है। नरेश को आरएलपी के हनुमान बेनीवाल, आप के अरविंद केजरीवाल, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान और भीम आर्मी का खुला समर्थन मिला है।

आज 8 नवंबर को मांगरोल में बड़ी रैली है, जिसमें बेनीवाल, संजय सिंह, राजेंद्र गुड्ढा और अतुल प्रधान जैसे नेता पहुंच रहे हैं। सोशल मीडिया पर #अंता_मांगे_नरेश_मीणा ट्रेंड कर रहा है। जनता उन्हें किसान नेता और गरीबों का सहारा मान रही है। खजूरना खुर्द में तो समर्थकों ने उन्हें खून से तौला है।

अब सवाल यह कि कांग्रेस को तीसरे नंबर पर क्यों माना जा रहा है? मुख्य वजह नरेश मीणा की बगावत। कांग्रेस का पारंपरिक मीणा वोट बैंक बुरी तरह बंट रहा है। प्रमोद जैन भाया अनुभवी हैं, दो बार जीते, मंत्री रहे, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप और 'भाया रे भाया, खूब खाया' जैसे नारे उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। 2023 में वे कंवरलाल से 5861 वोटों से हारे थे।

अब नरेश के कारण कांग्रेस के वोट कट रहे हैं, जैसा देवली-उनियारा में हुआ जहां कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। राजस्थान के राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि नरेश कांग्रेस के वोट ज्यादा काटेंगे, भाजपा को फायदा होगा। कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है- 56 नेता गांव-गांव प्रभारी, सचिन पायलट रोड शो कर रहे हैं, लेकिन ग्राउंड पर नाराजगी साफ नजर आ रही है।

भाजपा के मोरपाल सुमन लोकल हैं, सैनी समुदाय से, वसुंधरा राजे के करीबी। भाजपा बागी रामपाल मेघवाल को मना चुकी है। सीएम भजनलाल शर्मा और वसुंधरा रोड शो कर चुके हैं। भाजपा सीट बचाने में जुटी है। अंता में 2.27 लाख वोटर हैं, मतदान 11 को, नतीजे 14 नवंबर को।यह उपचुनाव सिर्फ सीट नहीं, हाड़ौती की सियासत की दिशा तय करेगा। नरेश अगर मजबूत दिखे तो 2028 के लिए बड़ा संदेश। कांग्रेस के लिए यह करो या मरो की लड़ाई है, क्योंकि पिछले उपचुनावों में वे पांच हार चुकी हैं।