Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यहां एक ही शिला पर विराजमान हैं सात माताओं की प्रतिमा

मंदिर में स्थापित सात माताओं की मूर्तियां एक ही शिला पर विराजमान हैं, जो इसे देश का अनूठा धार्मिक स्थल बनाती हैं। मां अम्बिका मंदिर का स्थापत्य अत्यंत आकर्षक है। मंदिर भूपसी नदी के किनारे, घने जंगल में स्थित है, जिससे यह एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।

2 min read

बारां

image

Mukesh Gaur

Sep 26, 2025

मंदिर में स्थापित सात माताओं की मूर्तियां एक ही शिला पर विराजमान हैं, जो इसे देश का अनूठा धार्मिक स्थल बनाती हैं। मां अम्बिका मंदिर का स्थापत्य अत्यंत आकर्षक है। मंदिर भूपसी नदी के किनारे, घने जंगल में स्थित है, जिससे यह एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।

मंदिर में स्थापित सात माताओं की मूर्तियां एक ही शिला पर विराजमान हैं, जो इसे देश का अनूठा धार्मिक स्थल बनाती हैं। मां अम्बिका मंदिर का स्थापत्य अत्यंत आकर्षक है। मंदिर भूपसी नदी के किनारे, घने जंगल में स्थित है, जिससे यह एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।

भूपसी नदी के किनारे मां अम्बिका मंदिर आस्था और स्थापत्य के लिए विख्यात

गऊघाट. मुसेन गांव का मां अंबिका माता मंदिर अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए जिलेभर में विख्यात है। यहां स्थित मां अम्बिका मंदिर में प्रतिमा का विग्रह अत्यंग जीवंत और मनोहारी है। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और प्राकृतिक पृष्ठभूमि इसे और भी विशेष बनाती है।

कृष्ण-रुकमणि विवाह से जुड़ी मान्यताएं

मान्यता है कि इसी पूजा के प्रभाव से श्री कृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर विदर्भ क्षेत्र में विवाह संपन्न किया। इसके बाद श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध भी किया। मंदिर में स्थापित सात माताओं की मूर्तियां एक ही शिला पर विराजमान हैं, जो इसे देश का अनूठा धार्मिक स्थल बनाती हैं। मां अम्बिका मंदिर का स्थापत्य अत्यंत आकर्षक है। मंदिर भूपसी नदी के किनारे, घने जंगल में स्थित है, जिससे यह एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है। मंदिर के आसपास वन्यजीवों और वनस्पतियों की भी अच्छी संख्या है। यहां नीम, कचनार और ब्यूटिया मोनोस्पर्मा जैसे पौधे पाए जाते हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं।

कभी कुंदनपुर था यहां का प्राचीन नाम

कहा जाता है कि यह स्थल महाभारत काल से जुड़ा है। प्राचीन समय में इसे कुंदनपुर कहा जाता था। ङ्क्षकवदंती है कि यहां के राजा भीष्मक की बेटी रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से तय किया गया था। रुक्मिणी के ह्रदय में श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम था। विवाह से पूर्व रुक्मिणी ने यहां के ही मंदिर में मां अम्बिका की पूजा की।

हर साल लगता है मेला

हर वर्ष अप्रैल में यहां मेला लगता है, जो लगभग एक महीने तक चलता है। इस मेले में बैल, गाय और उनके बछड़ों का व्यापार होता है और यह बारां जिले का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। मेले में जिले भर के लोग आकर धार्मिक उत्सव और व्यापार दोनों का लाभ उठाते हैं। मां अम्बिका मंदिर में आने वाले श्रद्धालु रोगों से मुक्ति, सफलता, सरकारी नौकरी और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। सोमवार के दिन विशेष रूप से मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है। प्रात: और संध्या दोनों समय आरती का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि मां अम्बिका की कृपा से यहाँ आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर न केवल धार्मिक ²ष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति, ऐतिहासिक कथाएं और प्राकृतिक सुंदरता का जीवंत उदाहरण भी है।