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मुनीम से फोन पर ही बात करने के दौरान चिल्लाए हरीश…ठुक गई-ठुक गई

6 घंटे तक चले सर्च अभियान के बाद बुधवार देर रात दो बजे पानी में डूबी कार को बाहर निकाला गया। गाड़ी के अंदर ड्राइवर सीट पर खंडेलवाल मृत हालत में मिले। सीट बेल्ट बंधी हुई थी।

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बारां

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Mukesh Gaur

Sep 19, 2025

6 घंटे तक चले सर्च अभियान के बाद बुधवार देर रात दो बजे पानी में डूबी कार को बाहर निकाला गया। गाड़ी के अंदर ड्राइवर सीट पर खंडेलवाल मृत हालत में मिले। सीट बेल्ट बंधी हुई थी।

source patrika photo

मेज नदी में कार गिरी, सीसवाली के व्यापारी की मौत, हादसे के समय हरीश कर रहे थे मुनीम से फोन पर बात

बूंदी/सीसवाली. लाखेरी के पास बुधवार शाम पापड़ी पुलिया से मेज नदी में कार गिरने से सीसवाली निवासी व्यापारी हरीश खंडेलवाल की मौत हो गई। करीब 6 घंटे तक चले सर्च अभियान के बाद बुधवार देर रात दो बजे पानी में डूबी कार को बाहर निकाला गया। गाड़ी के अंदर ड्राइवर सीट पर खंडेलवाल मृत हालत में मिले। सीट बेल्ट बंधी हुई थी। पुलिस ने शव को लाखेरी अस्पताल पहुंचाया, जहां गुरुवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया।

काम के सिलसिले में कोटा आए थे

परिजनों ने जानकारी देते हुए बताया कि हरीश बुधवार को दिन में कोटा में एक खाद्य तेल कम्पनी की डीलर मीट में भाग लेने आए थे। इसके बाद शाम को वे कोटा में ही महावीर नगर प्रथम में रहने वाली अपनी विवाहित बेटी से मिलने चले गए थे। शाम को छह बजे वे बेटी-दामाद से लाखेरी किसी से मिलने जाने की बात कहकर निकले थे। वहां से लौटते समय उन्होंने अपनी पत्नी को मोबाइल पर मैसेज किया कि वे लाखेरी से रवाना हो रहे है। उन्होंने 7 बजकर 14 मिनट पर अपने मुनीम को फोन कर दुकान बंद करने के लिए कहा, तभी अचानक उनके मुंह से निकला.. ठुक गई-ठुक गई। इसके बाद मोबाइल बंद हो गया।

मुनीम से दुकान बंद करने को कहा

परिजनों ने बताया कि बुधवार को हरीश खण्डेलवाल कोटा में एक मीङ्क्षटग में गए थे। वहां पर वे दोपहर 2:30 बजे तक रुके, इसके बाद वे बेटी-दामाद से मिलने चले गए। शाम 4 बजे दामाद से बातचीत में उन्होंने कहा कि वे सीसवाली जा रहे हैं और वहां से निकल पड़े। शाम लगभग 7 बजे उन्होंने अपनी पत्नी प्रमिला को संदेश भेजा कि वे लाखेरी से रवाना हो गए हैं। इसके बाद 7:14 पर हरीश ने अपने मुनीम घासीलाल गोचर को फोन कर दुकान बंद कर घर चले जाने के लिए कहा, साथ ही यह भी बताया कि आज मेले में खाटूश्यामजी के कार्यक्रम है। तुम लोग तो कार्यक्रम देखने जाओगे, इतने में ही मोबाइल पर संपर्क कट गया। इसके बाद उनका फोन बंद आता रहा। मृतक के एक बेटा व एक बेटी है।

जब रात ग्यारह बजे तक नहीं पहुंचे तो शुरू की तलाश

मृतक के साढ़ू दिनेश खंडेलवाल ने बताया कि हरीश ने शाम को घरवालों से सीसवाली में चल रहे तेजाजी के मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम में जाने की बात कही थी। रात को जब 11 बजे तक वे घर नहीं पहुंचे और फोन बंद मिला तो उनकी मां ने छोटे भाई लोकेश को सारी बात बताई। इसके बाद हरीश की तलाश शुरू हुई। इसी दौरान लाखेरी में एक गाड़ी के नदी में गिरने की जानकारी मिली तो परिजन देर रात लाखेरी पहुंचे। वहां पुलिस ने हरीश की मोबाइल की अंतिम लोकेशन निकाली तो वह पुलिया पर बता रही थी। जैसे ही परिजनों ने पानी के अंदर हरीश की कार देखी तो उनका कलेजा मुंह को आ गया।

महिला ने कार नदी में गिरते देखी तो चिल्लाई

बड़ाखेड़ा [बूंदी]. बुधवार शाम करीब सवा सात बजे एक महिला पापड़ी स्थित मेज नदी के पुल से गुजर रही थी। तभी उसे लाखेरी से कोटा की तरफ तेज गति से जाती हुई कार पुलिया के पिलर से टकराकर नदी में गिरती देखी। यह देख उसने शोर मचाना शुरू किया। उसकी चीख पुखार सुनकर नदी किनारे वाटरपम्पर पर ड्यूटी कर रहे कर्मचारी फोटूलाल गुर्जर, हरिशंकर मीणा, सांवरा मीणा बाहर निकले। उन्होंने आसपास के लोगों को हादसे की सूचना दी, लेकिन किसी को यह पता नहीं था कि नदी में कौनसी गाड़ी गिरी है। उसमें कितने लोग सवार है। नदी में गाड़ी गिरने की सूचना आसपास आग की तरफ फैल गई। बड़ी संख्या में लोग मेज नदी की पुलिया पर पहुंच गए। सूचना मिलने पर लाखेरी थानाधिकारी सुभाषचंद शर्मा जाप्ते के साथ मौके पर आ गए।

रस्सी में बांधी चुम्बक, कई बार चट्टान मिली

्रबूंदी से रात दस बजे एसडीआरएफ की टीम पहुंची। टीम ने नदी में नाव उतारकर ऑपरेशन शुरू किया। पानी अधिक होने से नाव इधर-उधर बह रही थी। गाड़ी को तलाशने के लिए एसडीआरएफ ने रस्सी में चुम्बक बांधकर पानी की गहराई में डालते रहे। नदी में तेज बहाव व गहराई अधिक होने से पानी के चट्टानें भी गाड़ी की तरह लग रही थी। जहां पर बांस नीचे नहीं जाता, वहीं नाव को रोककर गोताखोर पानी में नीचे उतर जाते और तलाश करते, तब पता चलता कि वह तो चट्टान है। करीब तीन घंटे के बाद पुलिया के पिलर और वाटर पम्प के बीच गहराई में चुम्बक डालकर देखी तो लोहे का अहसास हुआ। यहां एसडीआरएफ का गोताखोर पानी में अंदर गया तो उसे कार नजर आई। इसके बाद कार निकालने की कवायद शुरू कर दी। मौके पर बड़ी क्रेन पहले से ही मंगवाकर रखी गई थी।

बीस मिनट तक प्रयास

पानी की गहराई और बहाव अधिक होने से गाडी तक पहुंचना आसान नहीं था। इके बाद एसडीआरएफ का डीप डाइवर आशाराम आक्सीजन सिलेंडर लगाकर पानी में नीचे उतरा। करीब 20 मिनट बाद गाड़ी को रस्सों के सहारे बांधकर वह ऊपर आया। क्रेन से गाड़ी को खींचना शुरू किया, लेकिन रस्सा टूट गया। थोड़ी देर बाद वापस नए रस्से के सहारे गाड़ी को निकालने की कोशिश की गई। खासी मशक्कत के बाद बुधवार देर रात 2 बजे गाड़ी को नदी से बाहर निकाला जा सका।

खाना छोडकऱकर भागे

एसडीआरएफ के टीम लीडर हनुमान ने बताया कि वह अपने अन्य साथियों के साथ बूंदी कलक्ट्रेट परिसर स्थित कंट्रोल रूम में खाना खा रहे थे। रात पौने आठ बजे मेज नदी में गाड़ी गिरने की सूचना पर सभी साथी खाना छोड़ कर मौके पर जाने के लिए तैयार हो गए। वे लोग बूंदी से रात दस बजे मौके पर पहुंचे और सर्च शुरू कर दिया।

मछुआरों की नाव का सहारा लिया

कुछ युवा नदी में कूद गए। उन्होंने पानी के अंदर जाकर गाड़ी को तलाशने की कोशिश की, लेकिन तेज बहाव और अधिक गहराई होने के कारण उन्हें कुछ नजर नहीं आया। आसपास रहने वाले मछुआरों की नाव को पानी में उतारकर रेस्क्यू शुरू किया गया। बांस से पानी के अंदर गाड़ी को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। उस समय पुलिया और आसपास रोशनी भी नहीं थी। मौके पर पहुंचे प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने जेनरेटर मंगवाकर पुलिया से नदी की तरफ रोशनी की व्यवस्था की। इस दौरान तलाशी का कार्य रोक दिया गया

घटनास्थल से सौ मीटर दूर गहराई में मिली कार

एसडीआरएफ के गोताखोर आशाराम के अनुसार पुलिया से करीब 100 मीटर गहरे पानी में कार उल्टी नजर आई। कार के अंदर ड्राइवर सीट पर एक जना था। यह देखकर वह वापस ऊपर आया। वह क्रेन से बंधा हुआ रस्सा लेकर वापस पानी अंदर गया। उसने कार के अगले हिस्से को रस्से से बांधा। रस्से के सहारे कार को पुलिया के पास खींचकर लाया गया। इसके बाद कार को पानी से बाहर निकालकर पुलिया पर लाया गया। आशाराम के अनुसार पहली बार देर रात पानी के अंदर इस तरह का सर्च अभियान किया गया।