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यूपी के इस जिले में सूख चुकी नदी में फिर उमड़ी जीवनधारा, CM योगी की पहल पर 56 किमी में हुई पुनर्जीवित

भारत माता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले ठाकुर रोशन सिंह पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान की धरती शाहजहांपुर ने एक बार फिर असंभव को संभव कर दिखाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘एक जिला–एक नदी’ मिशन की ताकत और जनता के अभूतपूर्व सहयोग ने वह कर दिखाया, जिसकी कल्पना वर्षों से कोई नहीं कर पा रहा था। 56 किलोमीटर तक सूखी पड़ी भैंसी नदी महज 20 दिनों में दोबारा जीवन से भर उठी।

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बरेली। भारत माता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले ठाकुर रोशन सिंह पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान की धरती शाहजहांपुर ने एक बार फिर असंभव को संभव कर दिखाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘एक जिला–एक नदी’ मिशन की ताकत और जनता के अभूतपूर्व सहयोग ने वह कर दिखाया, जिसकी कल्पना वर्षों से कोई नहीं कर पा रहा था। 56 किलोमीटर तक सूखी पड़ी भैंसी नदी महज 20 दिनों में दोबारा जीवन से भर उठी। कभी खेतों की प्यास बुझाने और गांवों की खुशहाली की पहचान रही भैंसी नदी, अतिक्रमण, उपेक्षा और अवैध कब्जों के कारण लगभग मृत प्राय हो चुकी थी, अब फिर से गांव-खेड़ों की नब्ज़ बन गई है।

जनता व प्रशासन के संयुक्त सहयोग से 13 जून को पड़ी नदी पुनर्जीवन अभियान की नींव

योगी सरकार के आदेश पर 13 जून 2025 को पुवांया के पन्ना घाट से नदी पुनर्जीवन अभियान का शुभारंभ हुआ। जैसे ही जिला प्रशासन ने मशीनरी उतारी, अभियान जन आंदोलन में बदल गया। दो दर्जन से अधिक जेसीबी एक साथ मैदान में उतरीं। प्रत्येक मशीन को दो किलोमीटर की जिम्मेदारी दी गई।

पंचायत व डीएम की दैनिक मॉनिटरिंग ने कर असंभव को संभव बनाया

ग्राम पंचायतों, संगठनों और युवाओं ने सुबह से शाम तक नदी की ढलान साफ की। जो काम वर्षों से नहीं हुआ, वह 20 दिनों में निपट गया। शाहजहांपुर डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने तहसील और पंचायत बार नदी की मॉनिटरिंग की। उन्होंने प्रतिदिन मौके पर स्थलीय निरीक्षण भी किया। उनकी मेहनत लगन और लोगों के प्रति विश्वास ने नदी को पुनर्जीवित कर दिया।

प्रकृति भी खुश हुई: पहली बारिश ने कर दिया चमत्कार

पुरानी पटरी साफ होते ही बारिश भी जैसे वरदान आयी। सूखी, फटी हुई जमीन पर अचानक चमकदार पानी की धारा दौड़ पड़ी। तालाब भरने लगे, खेतों में नमी लौटी और किसानों की आंखों में नई उम्मीद जग उठी। मृतप्राय नदी में फिर बहने लगा जीवन। प्रशासन और शाहजहांपुर के लोगों के मेहनत रंग लाई और नदी बहने लगी।

भैंसी बनीं शाहजहांपुर की पहचान, लोगों के गर्व का केंद्र

आज जब लोग भैंसी नदी का नाम लेते हैं, तो चेहरे पर गर्व की मुस्कान तैर जाती है। सालों की खोई पहचान वापस मिल गई। यह उपलब्धि सिर्फ एक प्रशासनिक जीत नहीं,यह एक मिसाल है कि यदि जनता और सरकार साथ खड़े हों, तो कोई भी सूखी धारा फिर जीवन बनकर लौट सकती है। भैंसी नदी अब शाहजहांपुर के भविष्य की धड़कन है। एक ऐसा संदेश, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि “संघर्ष, संकल्प और सामूहिक प्रयास से नदियों को भी पुनर्जीवन दे सकते हैं।


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