
कन्हैया गुलाटी
बरेली। निवेश पर मोटा मुनाफा देने का लालच, न्यूज सेमिनारों में बड़े-बड़े दावे और फिर रकम हड़पकर गायब… कैनविज कंपनी एक बार फिर ठगी को लेकर सुर्खियों में है। दिल्ली के सीआरपीएफ से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति युवक ने कंपनी के एमडी कन्हैया गुलाटी, फाउंडर सदस्य प्रमोद सिंह परिहार और डायरेक्टर आशीष महाजन के खिलाफ बारादरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
दिल्ली के सोनिया विहार निवासी ओंकारनाथ पुत्र मनीराम सीआरपीएफ से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। उन्होंने एसएसपी अनुराग आर्य को दिए शिकायती पत्र में बताया कि उन्हें परिचितों के जरिए कंपनी के एक बड़े निवेश सेमिनार में बुलाया गया था। सेमिनार नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुआ, जहां कन्हैया गुलाटी और प्रमोद सिंह परिहार ने 20 महीने तक 5 प्रतिशत मासिक ब्याज और 22वें महीने में मूलधन वापस करने का दावा किया। चेक और स्टाम्प पेपर पर एग्रीमेंट देने की बात कहकर भरोसा जीत लिया गया।
ओंकारनाथ के अनुसार कंपनी ने शुरु में भुगतान किया लेकिन बाद में सॉफ्टवेयर अपडेट, सिस्टम समस्या, टेक्निकल दिक्कत जैसे बहानों से पैसे रोक दिए। धीरे-धीरे फोन उठाना भी बंद कर दिया गया। पीड़ित का कहना है कि 60-70 से ज्यादा लोग इस स्कीम का शिकार हुए, कई ने तो लोन लेकर निवेश किया था। पीड़ित की शिकायत पर एसएसपी के आदेश पर बारादरी थाने में कन्हैया गुलाटी, प्रमोद सिंह परिहार और आशीष महाजन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
कैनविज कंपनी का नाम इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि एमडी कन्हैया गुलाटी पर बरेली सहित कई जिलों में ठगी और वित्तीय अनियमितताओं के मुकदमे पहले से दर्ज हैं। पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि वह निवेश पर कुछ महीनों तक ब्याज देकर लोगों का भरोसा जीतता है और फिर अचानक स्कीम बंद कर रकम लौटाने से इंकार कर देता है। बरेली के कई थानों में उनके खिलाफ शिकायतें लंबित हैं और कई मामलों की जांच भी जारी है। सूत्रों के मुताबिक, कन्हैया गुलाटी ने उत्तराखंड के उधमसिंहनगर और नैनीताल में भी इसी तरह के निवेश सेमिनार किए थे। दर्जनों लोगों ने वहां भी मोटी रकम लगाई, लेकिन भुगतान बंद होने पर धोखाधड़ी के केस दर्ज कराए गए।
दिल्ली के सेमिनार में कई पूर्व सैनिकों ने निवेश किया था। स्टाम्प पेपर पर एग्रीमेंट देने के बाद भी कंपनी ने निर्धारित अवधि के बाद भुगतान करना बंद कर दिया। दिल्ली पुलिस ने उस समय कर निवेशकों के बयान दर्ज किए थे। जांच एजेंसियों को पहले की पड़ताल में भी कई वित्तीय अनियमितताएं मिलीं। पैसा एक खाते से दूसरे खाते में घुमाया जाता था, ताकि वास्तविक ट्रांजैक्शन ट्रेल छिपाई जा सके।
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Published on:
28 Nov 2025 04:11 pm
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