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ड्रग विभाग: गुनहगारों पर करम और कुछ पे सितम, ये जुर्म न कर, आगरा की एफआईआर में नाम, बरेली में कार्रवाई नहीं…

शहर के कुछ दवा कारोबारियों पर करम और कुछ पे सितम, बरेली के औषधि विभाग के अफसरों के इस दोहरे मापदंड के कारनामों ने सवाल खड़े कर दिये हैं। आगरा में नकली दवा रैकेट का खुलासा होने पर बरेली की शिव मेडिको का नाम सामने आया था।

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ड्रग इंस्पेक्टर अनामिका अंकुर जैन व सहायक आयुक्त संदीप कुमार

बरेली। शहर के कुछ दवा कारोबारियों पर करम और कुछ पे सितम, बरेली के औषधि विभाग के अफसरों के इस दोहरे मापदंड के कारनामों ने सवाल खड़े कर दिये हैं। आगरा में नकली दवा रैकेट का खुलासा होने पर बरेली की शिव मेडिको का नाम सामने आया था। इसके बाद आगरा कोतवाली में औषधि निरीक्षक कपिल शर्मा की तहरीर पर आगरा की बंसल मेडिकल एजेंसी और बरेली की शिव मेडिको एजेंसी के खिलाफ मुकदमा कराया गया था। इस मामले में बरेली की ड्रग इंस्पेक्टर अनामिका अंकुर जैन ने शिव मेडिको के खिलाफ रिपोर्ट आगरा भेजी थी, लेकिन तीन माह बाद भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। बरेली के औषधि विभाग ने कार्रवाई उन दवा कारोबारियों पर कर दी, जिनका एफआईआर में नाम नहीं है। जिन्होंने पक्के बिलों पर दवा मंगाई और पक्के बिलों पर आगे दुकानदारों को बिक्री कर दी।

ई-वे बिल में अंतर, बरेली औषधि विभाग ने आगरा भेजा था पूरा रिकॉर्ड

बरेली की औषधि निरीक्षक अनामिका अंकुर जैन ने व्हाट्सऐप के जरिए जो बिल और ई-वे बिल साझा किए हैं, उससे कई अहम सवाल खड़े होते हैं। बंसल मेडिकल ऐजेंसी, आगरा द्वारा शिवा मेडिको, सुपर मार्केट को जारी बिल की कुल राशि 5,70,467 रुपये दर्शाई गई है, लेकिन शिवा मेडिको की ओर से प्रस्तुत बिल 5,70,458.01 रुपये का है। यही बिल औषधि अधिकारी नरेश मोहन दीपक (बस्ती मंडल) को भी भेजा गया, जिसकी राशि फिर 5,70,467 रुपये ही निकली। बिल और ई-वे बिल में ये अंतर जांच को और संदिग्ध बनाता है, लेकिन विभाग की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। ड्रग विभाग की ओर से महज एक स्थानीय स्तर पर सिर्फ नोटिस जारी किया, जबकि मुकदमे में नाम साफ दर्ज है।

गुनीना और शिवा मेडिकोज को लेकर औषधि विभाग में चुप्पी क्यों

दवा कारोबारियों का आरोप है कि आगरा में दर्ज मुकदमे में शिवा मेडिको और बंसल मेडिकल एजेंसी का नाम स्पष्ट है। लेकिन बरेली में अब तक सिर्फ नोटिस देकर मामले को हल्के में लिया जा रहा है। कई दवा कारोबारी पूछ रहे हैं कि जिस एजेंसी से नकली दवा की सप्लाई हुई, उस पर विभाग चुप क्यों है। गुनीना फार्मास्यूटिकल्स के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। नोटिस देकर मामले को कोर्ट में भेज दिया गया। जिससे वह अपना कारोबार करते रहें, वहीं विभागीय सूत्रों का कहना है कि एफआईआर में नाम आते ही शिवा मेडिकोज का लाइसेंस सस्पेंड होना चाहिये था। लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।

तीन महीने में सत्यापन नहीं कर पाया औषधि विभाग

प्रदेश की योगी सरकार जिस नकली दवाओं को लेकर इतनी सख्त और सक्रिय है। उसी सरकार का औषधि विभाग तीन महीने में हैप्पी मेडिकोज के बिलों का सत्यापन नहीं कर पाया। दवा वितरक हैप्पी मेडिकोज की दवाएं बाबा ट्रांसपोर्ट पर पकड़ी गई थीं। व्यापारी के अनुसार उसने बिल, चेक और ऑनलाइन पेमेंट की रसीदें भी दिखाई थीं। विभाग ने उनका लाइसेंस सस्पेंड कर दिया, लेकिन अभी तक उन बिलों का सत्यापन नहीं हो पाया।

दवा कारोबार में चयनित कार्रवाई का आरोप, चौतरफा सवाल

एक तरफ लाइसेंस निलंबित कर छोटे कारोबारियों पर कड़ी कार्रवाई हो रही है, वहीं दूसरी तरफ आगरा केस में नामजद एजेंसी पर कार्रवाई न होने से औषधि विभाग की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। दवा व्यापारी इसे चयनित कार्रवाई टारगेट दबाव और एकतरफा जांच बता रहे हैं।

अफसरों के बयान

ड्रग इंस्पेक्टरों को सत्यापन के लिये कहा गया है। उनकी रिपोर्ट आते ही कार्रवाई होगी। बरेली के सभी मामले में ड्रग इंस्पेक्टर ही देख रहे हैं। उनके स्तर पर ही कार्रवाई लंबित है। आप उनसे ही पूछ लीजिये।
संदीप कुमार, सहायक आयुक्त, औषधि बरेली

सभी को नोटिस जारी किये जा चुके हैं। रिपोर्ट सहायक आयुक्त कार्यालय को भेजी जा चुकी है। अगर किसी की सत्यापन रिपोर्ट रह गई है। उस बारे में बुधवार को पता कर पूरी रिपोर्ट जल्द ही सहायक आयुक्त कार्यालय भेजी जायेगी। दूसरी ड्रग इंस्पेक्टर अनामिका अंकुर जैन छुट्टी पर हैं। जल्द ही वह भी आ जायेंगी। हमारे स्तर पर कोई रिपोर्ट लंबित नहीं है। निर्णय सहायक आयुक्त को लेने हैं।
राजेश कुमार, ड्रग इंस्पेक्टर बरेली