
बरेली। शहर के बीचों-बीच तीन दशक से फल–फूल रहे अवैध निर्माणों पर अब सीधी चोट शुरू हो चुकी है। बरेली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष (IAS) डॉ. ए. मणिकंडन ने साफ कहा है कि “अब कागजी खानापूर्ति नहीं होगी। जहां भी अवैध निर्माण है—ध्वस्तीकरण और सीलिंग की कड़ी कार्रवाई होगी। फाइक इन्क्लेव सहित सभी विवादित साइटें रडार पर हैं।” प्रशासनिक सख्ती के बाद बीडीए का बुलडोजर दफ्तर से निकल कर मैदान में पहुँच चुका है—पहला एक्शन शाहजहाँपुर रोड स्थित हमसफर बरातघर की सीलिंग से शुरू हो चुका है, जिस पर 2024 का ध्वस्तीकरण आदेश फाइलों में दबा हुआ था।
बीते 30 वर्षों में मौलाना तौकीर रज़ा के करीबी बताए जाने वाले कालोनाइज़रों ने फाइक इन्क्लेव में बिना नक्शा स्वीकृति के दर्जनों भवन खड़े कर दिए। शहर की महत्त्वपूर्ण लोकेशंस पर स्काईलार्क होटल, फ्लोरा गार्डन, फहम लान और कई बरातघर/वाणिज्यिक भवन नियमों को ताक पर रखकर बनते रहे। आरोप यह भी है कि सीलिंग/सरकारी भूमि और प्रतिबंधित क्षेत्र पर कब्ज़े तक किए गए। नोटिस और ध्वस्तीकरण आदेश जारी होते रहे, पर फाइलों से बाहर कार्रवाई नहीं निकल सकी।
1995 से अब तक बीडीए में 29 उपाध्यक्ष बदल चुके हैं। 1995–2003 के दौरान कालोनी 50 मकानों से बढ़कर पूर्ण विकसित हुई, मगर रोकथाम नहीं हुई। बाद में “एक्सटेंशन” के नाम पर विस्तार भी हुआ। बीच-बीच में जाँचें बैठींदो वर्ष पहले कमिश्नरी स्तर पर हुई जाँच में सीलिंग/सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और 60 से अधिक मकानों का बिना मानचित्र निर्माण सामने आया। उस समय उपाध्यक्ष जोगिंदर कुमार थे। फाइल जाँच पूरी होने के बावजूद अमल नहीं हुआ। डॉ. ए. मणिकंडन के कार्यभार संभालने के बाद फाइलें फिर से खोली गईं और मैदान-स्तर की कार्रवाई शुरू हुई। किसी भी कीमत पर अवैध निर्माण नहीं रहने दिया जाएगा। फाइक इन्क्लेव और अन्य सभी अवैध प्रोजेक्ट्स पर नियम–कानून के तहत सख्त कार्रवाई होगी।
बीडीए टीम ने शाहजहाँपुर रोड पर हाजी शराफत के हमसफर बरातघर को सील कर दिया। अधिकारियों के अनुसार इस पर 2024 में ध्वस्तीकरण आदेश जारी था, परंतु वह किसके दबाव में रुका रहा—अब इसकी भी जाँच होगी। इससे पहले पीलीभीत बाइपास क्षेत्र में स्काईलार्क होटल, फ्लोरा गार्डन, फहम लान सहित कई परिसरों पर नोटिस/सीलिंग की कार्यवाही तेज की गई है। फाइक इन्क्लेव में 200 से अधिक निर्माणों की मैदानी सूची दुबारा तैयार कराई गई है।
शहर में कोई भी निर्माण करने से पहले स्वीकृत मानचित्र (नक्शा) अनिवार्य है। प्रक्रिया में
आर्किटेक्ट से प्लान, बीडीए में टेक्निकल जाँच, निरीक्षण, शुल्क जमा और औपचारिक स्वीकृति शामिल है।
इसके बावजूद फाइक इन्क्लेव सहित कई साइटों पर बिना स्वीकृति निर्माण, नक्शे के विपरीत विस्तार, और सीलिंग/सरकारी जमीन पर कब्ज़े सामने आए।
बीडीए ने थानाक्षेत्र–वार जेई, एई, एक्सईएन और विशेष कार्याधिकारी नामित कर रखे हैं। प्राइमरी मॉनिटरिंग जेई की, एस्केलेशन एई/एक्सईएन की और निर्णय सचिव/उपाध्यक्ष स्तर का होता है। डॉ. मणिकंडन ने संकेत दिए हैं कि जिस अवधि में जो अधिकारी तैनात थे, उनकी भूमिका और लापरवाही की भी जाँच होगी—जवाबदेही तय की जाएगी।
1995: फाइक इन्क्लेव में लगभग 50 मकानों के साथ निर्माण शुरू।
2003: कालोनी बड़ा आकार ले चुकी; रोकथाम नहीं।
2013–2020: नोटिस/ध्वस्तीकरण आदेशों की खानापूर्ति का सिलसिला।
2023–2024: कमिश्नरी जाँच; 60+ बिना नक्शा भवन, सीलिंग/सरकारी जमीन पर कब्ज़ा चिह्नित; हमसफर पर ध्वस्तीकरण आदेश (2024)।
सितंबर–अक्टूबर 2025: शासन की सख्ती; डॉ. ए. मणिकंडन की अगुवाई में मैदानी कार्रवाई—सीलिंग/ध्वस्तीकरण का चरणबद्ध प्लान।
साइट–वाइज इन्वेंटरी: फाइक इन्क्लेव और संबंधित परिसरों का ताज़ा GIS/मैदानी मैपिंग।
कानूनी पहलू: लंबित मामलों में ठोस पैरवी; स्टे/विचारणीय मामलों का शीघ्र निस्तारण।
तोड़–फोड़/सीलिंग: प्राथमिकता सूची—from सीलिंग/सरकारी भूमि, हाई-रिस्क (कमर्शियल) उपयोग, और जन–सुरक्षा प्रभावित परिसरों पर।
जिम्मेदारी तय: संबंधित जेई–एई–एक्सईएन और अनुमोदन श्रृंखला की भूमिका जाँच।
पब्लिक नोटिस: खरीदारों/किरायेदारों के लिए चेतावनी और वैधता सत्यापन की सार्वजनिक व्यवस्था।
स्वीकृत नक्शा/ले–आउट और भूमि का शीर्षक खुद देखें, RTI/ऑनलाइन रिकॉर्ड मिलान करें।
“फैक्टरी–मेड NOC” पर भरोसा न करें; BDA/कमिश्नरी से सत्यापन लें।
कमर्शियल बुकिंग से पहले उपयोग–परिवर्तन/कम्पलीशन प्रमाणपत्र देखें।
बरेली शहर में अवैध निर्माण की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी। हर मामले में नियमानुसार, तेज़ और निष्पक्ष कार्रवाई होगी—चाहे वह किसी के भी प्रभाव में क्यों न बना हो।”
Published on:
01 Oct 2025 08:55 am
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