
बरेली। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरेली में 26 सितंबर को भड़की हिंसा से जुड़ी एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया याची अदनान के खिलाफ अपराध का स्पष्ट संकेत मिलता है, ऐसे में एफआईआर रद्द करना जांच और कानून-व्यवस्था दोनों के लिए घातक होगा। पीठ ने यह कहते हुए याचिका निस्तारित कर दी कि याची चाहे तो अन्य कानूनी उपायों का सहारा ले सकता है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और सहायक महाधिवक्ता पारितोष मालवीय ने अदालत को बताया कि घटना के दौरान पुलिस पर ईंट-पत्थरों, तेजाब से भरी बोतलों और यहां तक कि गोलियों से हमला किया गया था। पुलिसकर्मी, जिनका काम शहर की कानून व्यवस्था बनाए रखना है, उस दिन भीड़ के निशाने पर थे। कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए और हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को आत्मरक्षा में गोलियां चलानी पड़ीं।
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि मौलाना तौकीर रज़ा द्वारा इस्लामिया इंटर कॉलेज में समुदाय विशेष को संबोधित करने के आह्वान के बाद यह उपद्रव शुरू हुआ था। बीएनएस की धारा 163 के तहत लागू निषेधाज्ञा के बावजूद 200–250 लोगों की भीड़ मौलाना आज़ाद इंटर कॉलेज से श्यामगंज चौराहे तक पहुंची और हाथों में तख्तियां लेकर भड़काऊ नारे लगाने लगी। पुलिस की चेतावनी पर भीड़ और उग्र हो गई और दोनों ओर से झड़प शुरू हो गई।
अभियोजन के अनुसार हमले के दौरान कई पुलिसकर्मियों के कपड़े फट गए, दो अधिकारी घायल हुए और भीड़ लगातार पथराव व तेजाब फेंकती रही। भीड़ की आक्रामकता इस कदर बढ़ गई कि वहां मौजूद पुलिस बल को पीछे हटना पड़ा और बाद में आत्मरक्षा में जवाबी फायरिंग करनी पड़ी।
उपद्रव से जुड़े मामलों में मौलाना तौकीर रज़ा पर पांच थानों में कुल 30 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें से सात मुकदमों में मौलाना को नामजद आरोपी बनाया गया, जबकि तीन मामलों में विवेचना के दौरान उनका नाम सामने आया। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि यदि ऐसे गंभीर मामलों में कार्रवाई नहीं हुई तो इससे सार्वजनिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर गहरा संकट पैदा हो सकता है।
राज्य सरकार ने हरियाणा राज्य बनाम भजनलाल और निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र राज्य के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि इस स्तर पर एफआईआर रद्द करने जैसी राहत जांच को बाधित करेगी। याची पक्ष ने अंततः एफआईआर निरस्तीकरण पर जोर न देने की बात कही, जिसके बाद अदालत ने राहत देने से इनकार कर दिया।
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Updated on:
21 Nov 2025 09:43 am
Published on:
21 Nov 2025 09:42 am
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