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काव्य रचनाओं में विसंगतियों पर तीखा प्रहार, गांव की खुशबू और संस्कृति की झलक

- राजस्थान पत्रिका बाड़मेर संस्करण के 15वें स्थापना दिवस पर काव्य गोष्ठी का आयोजन - वरिष्ठ और युवा कवियों की हास्य, वीर और व्यंग्य रचनाओं को श्रोताओं ने खूब सराहा

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राजस्थान पत्रिका के बाड़मेर संस्करण के 15वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में अंतर प्रान्तीय कुमार साहित्य परिषद बाड़मेर व राजस्थान पत्रिका की ओर से आयोजित काव्य गोष्ठी में उपस्थित कवि एंव श्रोत्रागण।

बाड़मेर. राजस्थान पत्रिका के बाड़मेर संस्करण के 15वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में अंतर प्रान्तीय कुमार साहित्य परिषद बाड़मेर व राजस्थान पत्रिका की ओर से भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं का ऐसा रसपान कराया कि सभागार देर तक तालियों से गूंजता रहा।
गोष्ठी में हास्य, व्यंग्य, देशप्रेम, सामाजिक सरोकार और ग्रामीण परिवेश से जुड़ी कविताओं ने सभी को बांधे रखा। किसी ने समाज की विसंगतियों पर तीखा प्रहार किया तो किसी ने देशभक्ति की ज्वाला भड़काई। वहीं कुछ रचनाकारों ने गांव-ढाणी की सोंधी मिट्टी, रिश्तों की गरमाहट और संस्कृति की झलक पेश की।

राजस्थान पत्रिका अखबार लोगों को जागृत कर रहा है
इस अवसर पर डॉ. बंशीधर तातेड़ ने कहा कि राजस्थान पत्रिका अखबार लोगों को जागृत कर रहा है। कला, संस्कृति की रक्षा के साथ कई रूपों में समाज की सहायता कर रहा है। उन्होंने ‘आया है जो वो सुनाकर ही जाएगा, उड़ चुका परिंदा जो लौट कर ना आएगा’ कविता सुनाई। डॉ. राम कुमार जोशी ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति से समाज में व्याप्त बुराइयों पर कटाक्ष किया। उन्होंने अपनी रचना ‘पुष्प तो वह बड़भागी’ सुनाई। कवयित्री ममता शर्मा तरिणी ने नारी शक्ति और संवेदनाओं से जुड़ी कविता ‘मन हार गया तू हारेगी’ का पाठ कर सराहना पाई। ओम अंकुर और चंद प्रकाश गुप्ता ने अपनी ओजस्वी कविताओं से मंच को ऊर्जावान बना दिया।

थारी आदत तू जाणे, तू टांग अड़ाई करतो जा’
पवन संखलेचा नमन ने ‘प्यारा भारत मेरा देश महान’, गोवर्धन सिंह जहरीला ने ‘थारी आदत तू जाणे, तू टांग अड़ाई करतो जा’ और गौतम संखलेचा चमन ने हास्य और व्यंग्य की धारदार रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। जीत परमार सरपंच व स्वरुप पंवार ने ग्रामीण जीवन की वास्तविकता पर आधारित कविताओं से दर्शकों का दिल जीत लिया।

‘नीम की छांव में गांधी बाबा’
नीलम जैन ने नीलम जैन ने ‘रावण की प्रवृत्ति हर पल मरे’, चंद्रवीर आबदार ने ‘नीम की छांव में गांधी बाबा’और दिलीप राठी ने ‘कर्म करें चाहे जैसे भी हमको तो तकदीर पसंद है‘ जैसी सामाजिक सरोकारों को केंद्र में रखकर अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। मेघराज और महेश पन्नू ने भावपूर्ण गीतों से माहौल को काव्यमय बना दिया। वंदना पंवार ने युवाओं के नजरिए से समाज की तस्वीर को शब्द दिए। जगदीश सारण और पारस जोशीला की ओजस्वी कविताओं ने श्रोताओं को देर तक रोमांचित रखा। काव्य गोष्ठी के दौरान श्रोताओं ने हर प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट से कवियों का उत्साह बढ़ाया। साहित्य और कला को समर्पित इस आयोजन ने राजस्थान पत्रिका के स्थापना दिवस को यादगार बना दिया।