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राजस्थान की ‘जलपरी’, 3 साल की उम्र में हुआ पोलियो, फिर भी नहीं मानी हारी, जीत चुकी हैं 23 मेडल

Motivational Story: तीन साल की उम्र में पोलियो से प्रभावित हुई सीता देवी आज पैरा स्विमिंग में राजस्थान की जलपरी के रूप में जानी जाती हैं।

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Sita Devi

फोटो पत्रिका नेटवर्क

बालोतरा। तीन साल की उम्र में पोलियो से प्रभावित हुई सीता देवी आज पैरा स्विमिंग में राजस्थान की जलपरी के रूप में जानी जाती हैं। बेहद साधारण परिवार में जन्मी सीता ने संघर्षों के बीच खेलों से 10 साल का लंबा अंतराल लेने के बावजूद दमदार वापसी की और अब तक स्टेट और नेशनल लेवल पर 23 पदक अपने नाम कर चुकी हैं। उनकी प्रेरणादायक यात्रा साहस, हौसले और आत्मविश्वास की मिसाल है।

बचपन में दिव्यांग, लेकिन हिम्मत कभी नहीं टूटी

बागावास निवासी ओमाराम माली की पुत्री सीता को मात्र तीन साल की उम्र में तेज बुखार आने पर लगाए गए इंजेक्शन से पैर में पोलियो हो गया। इसके बावजूद बचपन से ही खेलों के प्रति उनका जुनून बना रहा। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर ग्रेजुएशन तक सुचेता कृपलानी शिक्षा निकेतन माणकलाव, जोधपुर से अध्ययन किया। खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाने के साथ ही साल 2011 में सीता की शादी मालियों की ढाणी, नेवाई निवासी मेहराराम से हुई।

शादी के बाद 10 साल खेलों से दूरी, फिर नई शुरुआत

शादी के बाद सीता ने खेलों से दूरी बना ली। परिवार की जिम्मेदारियों के कारण वे 10 साल तक मैदान से दूर रहीं। इस दौरान उनकी मित्र निर्मला चौहान ने उन्हें फिर से खेलों में लौटने के लिए प्रेरित किया। उस समय लोगों ने ताने दिए कि अब क्या खेलोगी, घर-परिवार संभालो, लेकिन उनके पति मेहराराम ने हर कदम पर साथ देते हुए कहा कि लोगों की मत सुनो, अपने खेल पर ध्यान दो, तुम अब भी कर सकती हो। यही हौसला सीता की नई उड़ान बना।

परिवार का सहयोग, भारत के लिए मेडल जीतना सपना

सीता कहती हैं कि मेरी सासू मां का सबसे बड़ा योगदान है। उनका सपना है कि मुझे सरकारी नौकरी मिले और मैं भी इसे पूरा करना चाहती हूं। पति मेहराराम किराना दुकान चलाते हैं और हर मुश्किल समय में प्रेरित करते हैं। दो जुड़वां बच्चों की जिम्मेदारी के बीच खेल और परिवार का संतुलन साधना चुनौती थी, लेकिन संकल्प और परिवार के सहयोग से उन्होंने हर बाधा को पीछे छोड़ा। सीता कहती हैं कि मैं अपने देश के लिए खेलना चाहती हूं और भारत के लिए मेडल जीतकर तिरंगे को ऊंचा लहराना मेरा सबसे बड़ा सपना है।

स्टेट से नेशनल तक जीते मेडल

सीता ने साल 2021 में तैराकी प्रतियोगिता में स्टेट लेवल पर एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता। यहां से उनका पहला नेशनल सिलेक्शन हुआ, लेकिन तैयारी कम होने के कारण मेडल नहीं मिल पाया। इसके बाद उन्होंने कोच शेराराम परिहार के नेतृत्व में जोधपुर मेडिकल कॉलेज में 6 महीने कठोर अभ्यास किया, जिसकी बदौलत वे लगातार पदक जीतने लगीं और बालोतरा जिले को गौरवान्वित किया।

  • साल 2022 में स्टेट प्रतियोगिता में 3 गोल्ड और नेशनल गुवाहाटी में 1 गोल्ड, 1 सिल्वर, 1 ब्रॉन्ज जीता।
  • साल 2023 में स्टेट प्रतियोगिता में 3 गोल्ड और नेशनल ग्वालियर में 1 ब्रॉन्ज मिला।
  • साल 2024 में स्टेट में 3 गोल्ड और नेशनल में 1 सिल्वर, 1 ब्रॉन्ज जीता।
  • साल 2025 में सीकर स्टेट प्रतियोगिता में 3 गोल्ड और हाल ही में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में 1 ब्रॉन्ज जीता।

सीता अब तक कुल 23 मेडल जीत चुकी हैं और लगातार चार वर्षों से स्टेट लेवल पर अपनी तीनों कैटेगरी में गोल्ड मेडल चैंपियन बनी हुई हैं।