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बॉर्डर पर सुरक्षा में सुराख न बन जाए यह लापरवाही

पांच साल से प्रस्ताव ठंडे बस्ते में: बीएसएफ को फॉल्ट होते ही 50 लाख का फटका, तार-तार, खंभे-खंभे पैदल ढूंढते हैं फॉल्ट, इधर बॉर्डर पर फ्लड लाइट रहती है बंद

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भीखभारती गोस्वामी
गडरारोड़ (बाड़मेर). राजस्थान राज्य विद्युत वितरण प्रसारण निगम लिमिटेड के 132 के वी फीडर गडरारोड की बदइंतजामियां बीएसएफ को 50 लाख का फटका एक रात में लगा लेती हैै और 40 हजार किसानों और उपभोक्ताओं को भी वैकल्पिक इंतजाम पर लाखों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। 05 साल से इस फीडर को चौहटन से जोडऩे का प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में पड़ा है। ताज्जुब तो इस बात का कीजिए कि फाल्ट होते ही सूचना शिव मुख्यालय को दी जाती है और वहां से गडरारोड को आदेश मिलते हैं तब फॉल्ट दुरुस्त होता है।


बॉर्डर फ्लड लाइट्स गडरारोड़ फीडर से जुड़ी है। इन फ्लड लाइट्स को प्रतिदिन सामरिक दृष्टि से अति आवश्यक होनेे से भारत-पाक सीमा पर ऑन ही रखा जाता है। लाइट गुल होते ही डीजल जलाकर लाइट्स ऑन रहती है। गडरारोड़ के फीडर पर एक कनिष्ठ अभियंता ही कार्यरत है। बिजली गुल होने पर मरम्मत के लिए शिव मुख्यालय पर शिकायत की जाती है। मुख्यालय से यह संदेश मिल जाता है कि फॉल्ट किस इलाके में है जिसके बाद बाड़मेर से हेल्पर व अन्य कार्मिक गंतव्य तक रवाना होते है जो 40 से 50 किमी दूर होता है। वहां से फिर पैदल तार-तार, खंभे-खंभे आगे बढ़ते है।

यहां पर फाल्ट तलाशते हैं। वजह यह है कि इन कार्मिकों के पास कोई अत्याधुनिक संसाधन है। फॉल्ट तलाशने के बाद पुन: सूचित किया जाता है। फिर, बाड़मेर में ठेकाप्रथा में लगे कार्मिक पहुंचते है और फॉल्ट दुरस्त करते है। इस पूरी प्रक्रिया में 20 घंटे लग जाते हैं।


इस फीडर को चौहटन से जोड़ने का प्रस्ताव बनाया था ताकि समस्या से कुछ निजात मिले लेकिन यह प्रस्ताव भी पांच साल से ठण्डे बस्ते में पड़ा है। सामरिक और आम आदमी समस्या को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

बीस घंटे तक डीजल पर चलती लाइट
बिजली गुल होने पर सीमा चौकसी के लिए लगी फ्लड लाइटों को डीजल जनरेटर पर लिया जाता है। एक घंटे में 16 से 20 लीटर डीजल जल जाता है। इससे एक रात में अनुमानित 50 लाख का डीजल खप जाता है।

40 हजार उपभोक्ता जुड़े
इस फीडर से 40 हजार उपभोक्ता जुड़े हैं, इसमें किसान भी है। इन उपभोक्ताओं को 20-20 घंटे इंतजार करना पड़ता है। अन्य फीडर से जोड़ा भी जाता है तो बिजली बहुत ही मद्धम रहती है, जिसमें चिमनी जैसी रोशनी रहती है। इसका होना न होना एक जैसा रहता है।

दुबारा प्रयास करेंगे
इस समस्या को देखते हुए हमने इसके लिए चौहटन से जोड़ने के लिए लिखा था, लेकिन ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एरिया होने के कारण फाइल रोक दी गई है। अभी रेलवे के लिए भी विद्युत लाइन अंडर ग्राउंड जाएगी। हम दुबारा प्रयास करेंगे।

  • उदय सिंह मीणा, अधीक्षण अभियंता, राराविप्रनि लिमिटेड बाड़मेर