
नई दिल्ली/ जयपुर. राजस्थान में बच्चों में रक्त कैंसर के मामलों पर हुए पहले स्थानीय अध्ययन ने चेताया है कि बार-बार बुखार आने, प्लेटलेट घटने, संक्रमण और लिवर या तिल्ली बढऩे जैसे लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। रक्त कैंसर की चपेट में आए 124 बच्चों पर जारी रिपोर्ट में बताया गया कि उनमें से 97 बच्चों (यानी करीब 78 फीसदी) में बुखार सबसे आम लक्षण था। इसी तरह शरीर पर नीले-काले निशान या नाक, मसूड़ों, त्वचा आदि से खून बहना 34 फीसदी मामलों में लक्षण था, तो भूख न लगना 31.5 फीसदी, संक्रमण 30.6 फीसदी और शारीरिक कमजोर 26.6 फीसदी मामलों में मिला। इनकी जांच में 35.5 फीसदी बच्चों में लिवर बढऩा, 29.8 फीसदी में तिल्ली बढऩा और 19.3 फीसदी के गले, बगल या कमर के पास लिम्फ नोड्स या गांठ लक्षण के रूप में मिलीं। एक अन्य लक्षण एनीमिया भी था। बच्चों का औसत हीमोग्लोबिन सिर्फ 7.2 ग्राम था, जबकि सामान्य बच्चे में 11.5 से ऊपर होना चाहिए।यह रिपोर्ट सवाई माधोपुर और अलवर के राजकीय चिकित्सालयों और भरतपुर के श्री जगन्नाथ पहाडिय़ा व जयपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से जुड़े चिकित्सकों की टीम ने तैयार की है। बताया गया कि यह अभिभावकों के लिए संकेत की तरह है। रक्त कैंसर जितनी जल्दी पकड़ में आता है, इलाज उतनी ही आसानी से होता है। 90 से 95 फीसदी मामलों में अब पूरा इलाज संभव है।
अध्ययन पूरे देश के लिए अहम
यह डाटा राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों में रक्त कैंसर की पड़ताल के मानक बनाने में काम आ सकता है। कैंसर की पहचान के लिए एक कॉमन पैटर्न सामने रखता है। चिकित्सकों ने रिपोर्ट में बताया कि सामने आई जानकारियां स्थानीय स्तर की होने की वजह से मूल्यवान हैं, क्योंकि ऐसे अध्ययन अभी तक नहीं हुए हैं।
यह भी पता चला
कैंसर पीडि़त बच्चों में बालक-बालिका का अनुपात 1.6:1 था। इनकी औसत उम्र 9.9 वर्ष थी।
- 5 साल से छोटे बच्चे 27.4 फीसदी तो 5 से 10 साल के 16.9 फीसदी थे।
- 10-15 व 16-18 आयु वर्ग क्रमश: 31.5 व 24.2 फीसदी बच्चे थे।
रक्त कैंसर : कौन-सा कितना ?
इन बच्चों में रक्त कैंसर के 58.9 फीसदी मामले एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, 17.7 फीसदी एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया और 13 फीसदी टी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया के थे।
10 लाख में 131 मामले
रक्त कैंसर बच्चों में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। दुनिया में इसकी चपेट में हर साल दो लाख बच्चे आ रहे हैं। 80 फीसदी मामले विकासशील देशों से हैं। भारत में हर 10 लाख बच्चों में इसके 131.3 मामले मिल रहे हैं।
Published on:
24 Nov 2025 12:17 am
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