
संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग, भरतपुर का आफिस। फोटो पत्रिका
Rajasthan : राजस्थान के पशुपालन विभाग में डेपुटेशन (प्रतिनियुक्ति) के नाम पर बड़े पैमाने पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। विभाग में कर्मचारियों की ड्यूटी दिखाने के लिए दो-दो हाजिरी रजिस्टर चल रहे हैं। इनमें एक असली और दूसरा ‘डेपुटेशन’ वाला है, जिससे प्रतिनियुक्ति के खेल पर पर्दा डाला जा सके। विभागीय नियमों के अनुसार प्रत्येक कर्मचारी को अपनी उपस्थिति दर्ज कर हाजिरी रजिस्टर की फोटो व अपनी लाइव लोकेशन विभाग के व्हाट्सएप ग्रुप में भेजनी होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारी वास्तव में फील्ड या कार्यालय में मौजूद है, लेकिन डेपुटेशन पर लगे कर्मचारियों का दूसरा रजिस्टर व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजा ही नहीं जा रहा है।
हालांकि कर्मचारी ग्रुप पर अपनी हाजिरी दर्ज करा रहे हैं, लेकिन संभवतया मुख्यालय के संज्ञान में ही नहीं है कि कौन कर्मचारी कहां तैनात है। इससे यह खेल खुलेआम चल रहा है। पड़ताल में सामने आया है कि तीन कर्मचारी दूसरे रजिस्टर में हस्ताक्षर कर कार्यालय में ही अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं। कर्मचारी इस व्यवस्था का लाभ उठाकर मनचाहे काम का वेतन उठा रहे हैं, जब कभी कोई अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचता है तो डेपुटेशन रजिस्टर छिपा दिया जाता है और केवल मुख्य उपस्थिति रजिस्टर ही दिखाया जाता है।
सूत्रों के अनुसार कुछ उच्च अधिकारियों की मौन सहमति से यह पूरा तंत्र चल रहा है। डेपुटेशन पर कार्यरत कर्मचारियों को अपने मनपसंद स्थानों पर पदस्थ कर दिया जाता है, जहां से वे न तो फील्ड में जाते हैं और न ही नियमित रिपोर्ट देते हैं। विभागीय फाइलों में हालांकि सब कुछ नियमों के अनुरूप दर्शाया गया है। मुख्य रूप से तीन पशु धन निरीक्षक अपने मूल पद पर कार्य नहीं करते हुए कार्यालय में हाजिरी दे रहे हैं। इनमें एक डीग से, दूसरा मोबाइल यूनिट से और तीसरा ऊंचा नगला से यहां सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा एपीओ होकर आए दो अन्य कर्मचारी भी दूसरे रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
प्रदेश स्तर पर भी पशुपालन विभाग के निदेशालय ने कई बार मोबाइल लोकेशन आधारित उपस्थिति प्रणाली को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन जिलों में बड़े अधिकारियों की मेहरबानी से इसका पालन नहीं हो रहा है। सरकार की मंशा ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सालयों के बेहतर संचालन और घर-घर तक मोबाइल यूनिट के जरिए उपचार देने के हों, लेकिन अधिकारियों की मंशा से सरकारी योजना धूमिल होती नजर आ रही है।
स्थानीय स्तर से कोई भी डेपूटेशन नहीं है, जो प्रतिनियुक्ति हैं, वे निदेशालय के स्तर पर की गई हैं। डेपूटेशन पर लगे कर्मचारियों के हस्ताक्षर को अलग रजिस्टर है।
डॉ. रामकिशन महावर, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग, भरतपुर
Published on:
28 Oct 2025 02:41 pm
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