
Bhopal Weather: बड़ा तालाब- सर्द मौसम ने ठिठुराया। (फोटो: सोशल मीडिया)
Weather Alert: राजधानी में नवंबर में कड़ाके की सर्दी का 84 साल पुराना रेकार्ड टूट गया है। सोमवार को न्यूनतम तापमान 5.2 डिग्री पर पहुंचा। यह नवंबर में सर्दी का नया रेकार्ड है। बता दें कि इन दिनों भोपाल के तापमान से ज्यादा कश्मीर का तापमान चल रहा है। वहां नवंबर में 10-20 डिग्री तापमान रहता है। जबकि भोपाल में नवंबर 1941 के बाद ऐसी सर्दी पड़ी है, जब भोपाल कश्मीर से भी सर्द हो चला है। जहां मौसम विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों के लिए मौसब में बदलाव का यह ट्रेंड शोध का विषय है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम वैश्विक विषय है, इसलिए किसी एक स्थान के आधार पर इसका आंकलन संभव नहीं है। हालांकि, कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन से मौसम चक्र प्रभावित हो रहा है। इसका असर मौसम के हर सीजन में दिखाई भी दे रहा है। पेश है प्रवीण सावरकर की रिपोर्ट...
कड़ाके की सर्दी को देखते हुए राजधानी के निजी सरकारी, सीबीएसई सहित स्कूलों के समय में बदलाव किया गया। नर्सरी से लेकर कक्षा आठवीं तक के सभी स्कूल सुबह 8.30 बजे के बाद संचालित होंगे। जिला शिक्षा कार्यालय ने सोमवार को इसके निर्देश जारी किए हैं अभिभावकों ने समय में बदलाव की मांग उठाई थी। इसके आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी नरेन्द्र अहिरवार ने ये निर्देश जारी किए हैं।
राजधानी भोपाल में दस दिनों से तापमान सामान्य से कम है। शीत लहर जैसी स्थिति है। सोमवार को सर्दी ने 30 नवंबर 1941 में 6.1 डिग्री का रेकार्ड तोड़ दिया। अभी दो दिन तापमान इसी तरह रहने की संभावना है। हवा का रुख पूर्वी हुआ तो थोड़ी राहत मिल सकती है। इस समय उत्तरी शुष्क हवाएं सीधी आ रही हैं। राजस्थान में एक प्रति चक्रवात सक्रिय है। यह रेगिस्तान की ठंडी हवा को प्रदेश की ओर भेज रहा है। नमी बेहद कम है। इसके कारण ज्यादा सर्दी महसूस हो रही है।
आइसर के वैज्ञानिक डॉ. सोमिल स्वर्णकार का कहना है कि 84 साल का रेकार्ड टूटना महज प्राकृतिक उतार-चढ़ाव नहीं, बल्कि भूमि के उपयोग में हो रहे बदलाव का भी असर है। फॉरेस्ट लैंड को कृषि भूमि में बदला गया है, पेड़ों की संख्या घटी है। हरित आवरण कम हुआ है। जंगल तापमान को नियंत्रित रखते हैं, नमी संचित करते हैं और हवा के प्रवाह को स्थिर बनाते हैं। हरियाली घटने का असर दिख रहा है। वैसे भी कृषि भूमि दिन में तेजी से गर्म और रात में जल्दी ठंडी होती है। इससे स्थानीय तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव बढ़ जाता है।
मौसम विशेषज्ञ और पर्यावरणविद डॉ.जीडी मिश्रा का कहना है कि नवंबर में सर्दी का रेकार्ड टूटना और इतनी सर्दी होना चिंता का विषय है। इसके लिए जिम्मेदार भूमंडलीय पर्यावरणीय परिवर्तन और मानवीय छेड़छाड़ है। लगातार वन संपदा नष्ट हो रही है। पक्की इमारतें, सीमेंट क्रांक्रीट के रोड बन रहे हैं। सीमेंट गर्मियों में ज्यादा गर्म और सर्दियों में ज्यादा सर्द होता है। नकारात्मक आइओडी और लॉ नीना का प्रभाव अब लगातार दिखाई दे रहा है।
कृषि विशेषज्ञ एचडी वर्मा का कहना है कि मौसम में परिवर्तन का असर खेती पर भी दिख रहा है। पहले अच्छी बारिश जून में होती थी। सितंबर के बाद बारिश खत्म हो जाती थी। अब अक्टूबर तक बारिश होती है। फरवरी से ही गर्मी की शुरुआत होने लगती है। मौसम चक्र के हिसाब से फसल चक्र को बदलने की जरूरत है। इस साल नवंबर में ही तापमान 5 डिग्री या उससे कम है। जल्द ही पाला पड़ सकता है इससे खेती को नुकसान हो सकता है। इस वर्ष नवंबर में सामान्य से अधिक सर्दी पड़ रही है जो क्लाइमेट चेंज का प्रभाव है।
मौसम विभाग का कहना है कि राजधानी भोपाल समेत पूरे एमपी में अगले तीन से चार दिन ऐसी ही ठंड लोगों को ठिठुराने वाली है। 21 नवंबर के बाद कुछ राहत मिल सकती है।
Updated on:
18 Nov 2025 11:46 am
Published on:
18 Nov 2025 09:01 am
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