
पत्रिका फाइल फोटो
Cough Syrup Death Case Big Revealed: मध्यप्रदेश में मासूम बच्चों की लगातार मौतों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। अब इस मामले में बड़ा खुलासा हर किसी को चौंका रहा है… मानवता को दरकिनार कर सर्दी-खांसी से राहत देने वाली कोल्ड्रिफ दवाई में अवैध और जहरीला केमिकल यूज किया जा रहा था, वो भी बिना किसी परीक्षण के। तमिलनाडू की कंपनी इस अवैध केमिकल से ही ये कफ सिरफ तैयार कर रही थी। ये वही सिरप है जिसने एमपी में अब तक 21 बच्चों को लील लिया है। तमिलनाडू सरकार की इस रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने सख्त रुख इख्तियार किया है। केंद्र ने 12 सदस्यीय जांच समिति का गठन कर टीम को जांच के लिए रवाना कर दिया है।
मध्यप्रदेश के शिवपुरी, गुना और भिंड, छिंदवाड़ा, बैतूल जिलों में पिछले कुछ दिनों में ही कई बच्चों को सर्दी-जुकाम बुखार के इलाज के बाद अचानक किडनी फेल होने से हुई मौतों के मामले सामने आए हैं। मौतों का ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में शुरुआती जांच में पाया गया कि सभी बच्चों ने खांसी-जुकाम के इलाज के लिए एक ही कफ सिरप Coldrif का सेवन किया था। बाकायदा डॉक्टर के प्रिस्किप्शन के बाद। अब जब इस सिरप के नमूने जांच के लिए भेजे गए, तो रिपोर्ट में पाया गया कि इसमें डायएथिलीन ग्लाइकोल (Diethylene Glycol-DEG) नाम का जहरीला केमिकल मिला हुआ था, जो मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक होता है और किडनी को पूरी तरह से फेल कर देता है।
यह सिरप Sresan Pharmaceuticals नामक कंपनी बना रही थी। इस कंपनी का प्लांट तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में है। जब दवा नियंत्रण विभाग की टीम वहां पहुंची, तो सिर पकड़कर बैठ गई। उसके सामने ऐसे चौंकाने वाले तथ्य आए कि सेहत का सिरप बनाने वाली कोई भी कंपनी ऐसा कैसे कर सकती है। दरअसल कंपनी ने न तो किसी सरकारी मान्यता प्राप्त लैब से टेस्ट कराया था और न ही उत्पादन के दौरान किसी भी तरह की गुणवत्ता जांच की थी। फैक्ट्री में हर तरफ गंदगी फैली थीं। कर्मचारी खराब मशीनों और बिना सुरक्षा उपकरणों से काम करते मिले। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने बताया कि कंपनी पिछले 14 साल से बिना गुणवत्ता मानकों के सिरप बना रही थी। इसमे ड्रग इंस्पेक्टर्स की लापरवाही भी उजागर हुई कि वे दवा समय पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे थे। दरअसल क्वालिटी असुरेंस विभाग यहां अब तक बना ही नहीं था और बैच रिलीज से पहले भी किसी तरह की कोई जांच नहीं की जाती थी।
बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने 26 पन्नों की रिपोर्ट में ये खुलासा किया गया है। ये रिपोर्ट औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से किए गए निरीक्षण के बाद तैयार की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने 350 तरह की गंभीर लापरवाहियां की हैं। इनमें से 39 लापरवाही क्रिटिकल जोन में आती हैं। वहीं 325 बड़ी खामियां मिली हैं। इस सिरप में 48.6 फीसदी डायएथिलीन ग्लाइकॉल मिला, जो किडनी खराब होने का कारण बना। यहां तक कि प्लांट का लेआउट डिजाइन भी दूषित होने का बड़ा कारण बना।
इस रिपोर्ट के मुताबिक प्लांट में कीटों या चूहों को रोकने के कोई इंतजाम नहीं थे। एयर कर्टेंस तक गायब मिले। वेंटिलेशन के साथ ही प्रोडक्शन एरिया में फिल्टर की गई हवा का कोई इंतजाम नहीं था।
मध्यप्रदेश में अब तक 21 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य कई मासूम नागपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं। एम्स भोपाल के एक्सपर्ट्स के मुताबिक DEG से बनी दवा का असर शरीर पर धीरे-धीरे होता है। इससे पहले उल्टियां, चक्कर और बुखार आता है, फिर ये केमिकल धीरे-धीरे किडनी को डैमेज कर देता है। अगर एक बार गुर्दे फेल हो जाएं, तो बच्चे की जान बचा पाना मुश्किल होता है।
इस भयावह घटना के उजागर होने के बाद केंद्र सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सिरप के उत्पादन और बिक्री पर देशभर में रोक लगा दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि 'कफ सिरप के सैंपल में DEG की मात्रा अनुमेय सीमा से कई गुना ज्यादा थी।
वहीं इस मामले पर मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि, दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। हमने सभी स्टॉक जब्त कर लिए हैं और कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
उधर तमिलनाडु सरकार ने भी कंपनी का लाइसेंस निलंबित कर दिया है और पूरी उत्पादन यूनिट को सील कर दिया गया है। अब केंद्र की ओर से गठित एक्सपर्ट टीम पूरे मामले की जांच करेगी। 12 सदस्यीय इस टीम में स्वास्थ्य मंत्रालय, औषधि नियंत्रण संगठन (CDSCO), और राज्य स्तरीय दवा नियंत्रक शामिल हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी कर दो हफ्तों में रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने कहा कि यह केवल एक राज्य या कंपनी की लापरवाही नहीं, बल्कि एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है, क्योंकि दवा सुरक्षा पर सरकारी निगरानी पूरी तरह नाकाम साबित हुई।
गौरतलब है कि भारत को 'दुनिया की फार्मेसी' कहा जाता है, लेकिन बार-बार भारतीय दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में भी पिछले वर्षों में भारतीय कंपनियों के कफ सिरप से बच्चों की मौतें हुई थीं। अब यह घटना देश की दवा नियंत्रण प्रणाली पर फिर सवाल खड़ा कर रही है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अब जरूरी है कि…
Updated on:
08 Oct 2025 11:51 am
Published on:
08 Oct 2025 11:41 am
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