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प्राध्यापकों को मिलेगा ’10-10 हजार’ रुपए का मानदेय, ‘एरियर’ भी तैयार

MP News: प्रदेशभर के कार्यरत और सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को 10-10 हजार रुपए मानदेय का भुगतान दिसंबर तक करना निर्धारित है।

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प्रतिकात्मक फोटो (Photo Source - Social Media)

प्रतिकात्मक फोटो (Photo Source - Social Media)

MP News: उच्च शिक्षा विभाग ने अक्टूबर में प्राध्यापकों को 10 हजार रुपए मानदेय भुगतान का आदेश तो जारी कर दिया, कॉलेजों ने प्राथमिकता सूची और एरियर भी तैयार कर लिया, लेकिन विभाग का नया सॉटवेयर अब तक तैयार न होने से भुगतान की प्रक्रिया बीच राह में अटक गई है।

परिणामस्वरूप, दिसंबर तक राशि देने की विभागीय मंशा खुद विभागीय लापरवाही में फंसती नजर आ रही है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अक्टूबर में जारी आदेश के अनुसार प्रदेशभर के कार्यरत और सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को 10-10 हजार रुपए मानदेय का भुगतान दिसंबर तक करना निर्धारित है।

नहीं होनी चाहिए देरी

विभाग की ओर से साफ निर्देश जारी किए गए थे कि भुगतान प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर देरी नहीं होनी चाहिए और 23 नवंबर तक सभी कॉलेज अपनी तैयार रिपोर्ट उच्च शिक्षा आयुक्त को भेज दें। निर्देश मिलते ही प्रदेश के कॉलेज प्रशासन ने तेजी दिखाई और कॉलेज स्तर पर मानदेय प्राप्तकर्ताओं की प्राथमिकता सूची तैयार कर ली गई। सबसे पहले रिटायर्ड प्राध्यापकों व कर्मचारियों की रिपोर्ट बनाकर एरियर भी जोड़ दिया।

पुराने में एक किस्त में भुगतान का विकल्प

लेकिन अब सबसे बड़ी मुश्किल विभागीय तकनीकी तैयारी में सामने आ रही है। कॉलेज प्राचार्यों के अनुसार विभाग द्वारा नया सॉटवेयर अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। विभाग ने तय किया है कि मानदेय का भुगतान तीन किस्त में होना है, जबकि वर्तमान में जो सॉटवेयर कॉलेजों के पास है, वह केवल एक किस्त में भुगतान का विकल्प देता है। इस तकनीकी अंतर के कारण भुगतान की फाइलें आगे नहीं बढ़ पा रही हैं।

6 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान के आदेश

कॉलेजों का कहना है कि यदि विभाग नया अपडेटेड सॉटवेयर नहीं देता, तो भुगतान स्वीकृत होते ही अटक जाएगा। विभाग ने रिपोर्ट तय समय सीमा में भेजने का दबाव बनाया था, बल्कि चेतावनी भी जारी की थी कि देरी होने पर आहरण एवं संवितरण अधिकारियों से 6 प्रतिशत ब्याज सहित राशि वसूली जाएगी।

दिसंबर तक काम पूरा होने पर सशंय

प्राचार्य स्पष्ट कह रहे हैं कि भुगतान प्रक्रिया अब कॉलेजों के हाथ में नहीं, विभाग की तकनीकी तत्परता पर निर्भर है। यदि नया सॉटवेयर जारी नहीं हुआ, तो दिसंबर में भुगतान होना संभव नहीं दिखाई देता।