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बीमार सांपों को वन विहार में सेहत, तीन माह में 150 का इलाज

- ट्रांजिट सेंटर में कोबरा, रसल वायपर सहित जहर और बिना जहर के सांप - शहर से पकड़े गए सांपों को वन विहार में इलाज, इस माह 30 पहुंचे, तीन माह चलेगा इलाज

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भोपाल

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Shakeel Khan

Dec 05, 2025

snake

Photo Source: AI

भोपाल। सांपों की सेहत सुधारने में वन विहार नया केन्द्र साबित हो रहा है। यहां शहर के अलग अलग हिस्सों में निकले सांपों को इलाज दिया जा रहा है। पिछले तीन माह में यहां डेढ़ सांपाें को संरक्षण मिला। इनका नया रातापानी है। इसमें जहरीली ओर सामान्य दोनों शामिल हैं। ये वे सांप हैं जो शहर के अलग हिस्सों से पकड़े गए।

वन विहार में सांपों के लिए सांपों के लिए ट्राजिट सेंटर बना है। हर माह तीस से चालीस सांप यहां पहुंचते हैं। वन विहार को सांपों का रेस्क्यू सेंटर भी बनाया गया है। इनकी सेहत पर नजर रखने के लिए चिकित्सक हैं। सर्प विशेषज्ञ सलीम ने बताया इस माह चार इमली, शिवाजी नगर सहित कई हिस्साें से तीस सांप पकड़े थे। इसमें कोबरा भी शामिल था। इन सभी को वन विहार भेजा गया है।
एक साल में 400 से पांच सौ सांप, ठंड में हीटर

वन विहार के अधिकारियों के मुताबिक शहर में निकले सांपों का वन विहार में इलाज होता है। इसमें मरहम पट्टी से लेकर दवाई तक शामिल हैं। स्वास्थ्य निगरानी के बाद इन्हें रिलीज कर दिया जाता है। रातापानी के अलग अलग हिस्सों में साल में चार सौ से पांच सौ सांप रिलीज किए गए हैं। वाइल्ड लाइफ अधिनियम के तहत इस पर काम किया जाता है।

इस तरह इलाज

स्नेक ट्रांजिट सेंटर रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर है। बचाव, पुनर्वास और संरक्षण के लिए काम करता है।

वन विहार में अभी ये सांप

- करैत, रसल्स वाइपर, पिट वाइपर, हॉर्न्ड वाइपर, अजगर, दक्षिणी पेफर स्नेक, नॉन-वेनोमस स्नेक्स।

वन विहार में हर माह सांप आते हैं। इनमें वन विभाग के जरिए भी सांपों को लाया जाता है। रेस्क्यू सेंटर में तापमान मेंटेन करने के लिए हीटर लगाए गए हैं। यहां तीन माह निगरानी में रखने के बाद रातापानी केे जंगलों में छोड़ दिया जाता है।

विजय कुमार, संचालक वन विहार