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SIR अभियान: एमपी में वोटर लिस्ट से कटेंगे 50 हजार नाम !

MP News: एसआइआर अभियान में बड़ी संख्या में रिकॉर्ड संदेहास्पद श्रेणी में चले गए हैं, जो आगे चलकर नाम हटाने के रूप में सामने आ सकते हैं।

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(सोर्स: सोशल मीडिया)

(सोर्स: सोशल मीडिया)

MP News: मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान में इस बार बड़ी चुनौतियां सामने आ रही हैं। शहर के बीएलओ 4 नवंबर से घर-घर सर्वे में जुटे हैं, लेकिन फॉर्म समय पर उपलब्ध न होने और कई तकनीकी स्थितियों को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश न मिलने से काम की रफ्तार काफी धीमी पड़ गई है।

सबसे बड़ी समस्या उन मतदाताओं के सत्यापन की है, जो लंबे समय से शहर में रहते ही नहीं। जैसे, एनआरआइ (अप्रवासी भारतीय) और वे युवा जिनके माता-पिता 2003 के बाद किसी कारण से उपलब्ध नहीं हैं।

आगे चलकर हट सकते हैं नाम

सूत्रों के मुताबिक, इंदौर जिले में ऐसे लगभग 50 हजार नाम चिन्हित हुए हैं, जिनकी वर्तमान स्थिति स्पष्ट नहीं है। इनमें विदेशों में बस चुके एनआरआइ, 2003 के बाद जन्मे वे युवा, जिनके अभिभावक अब नहीं हैं और वे लोग जो सालों पहले स्थानांतरित हो चुके हैं, शामिल हैं।

बीएलओ इन नामों का सत्यापन नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि चुनाव आयोग ने इन दोनों संवेदनशील वर्गों एनआरआइ और अभिभावकविहीन युवाओं के लिए कोई अलग प्रक्रिया अभी तक निर्धारित नहीं की है। ऐसे में बड़ी संख्या में रिकॉर्ड संदेहास्पद श्रेणी में चले गए हैं, जो आगे चलकर नाम हटाने के रूप में सामने आ सकते हैं।

2003 का पारिवारिक लिंक रिकॉर्ड अनिवार्य

इस बार आयोग ने सभी मतदाताओं के लिए 2003 का पारिवारिक लिंक रिकॉर्ड अनिवार्य किया है। जिन परिवारों का अब अस्तित्व ही नहीं है या जिनके सदस्य विदेश में हैं, उनके रिकॉर्ड तैयार नहीं हो पा रहे। कई जगह बीएलओ को घर बंद मिल रहे हैं और कई रिकॉर्ड सालों से अपडेट नहीं हुए हैं। ऐसे सैकड़ों मतदाता हैं, जिनके नाम सूची में हैं, लेकिन वे सालों से विदेश में हैं। इनमें से कई चुनाव के समय भारत आकर वोट भी डालते हैं, लेकिन स्थायी रूप से बाहर रहने के कारण बीएलओ उनकी पहचान की पुष्टि नहीं कर पा रहे हैं।

20-25% फॉर्म बीएलओ को नहीं मिले

जिले के 9 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 2625 मतदान केंद्रों पर पुनरीक्षण का कार्य चल रहा है। इस अभियान के तहत मृत, स्थानांतरित या दोहराए गए नाम हटाए जाएंगे, हर बूथ पर मतदाताओं की अधिकतम सीमा 1200 तय की गई है। करीब 20-25 प्रतिशत फॉर्म अभी तक बीएलओ को नहीं मिल पाए हैं, जिससे कई वार्डों में प्रक्रिया शुरू भी नहीं हो सकी। अधिकारियों का दावा है कि अगले कुछ दिनों में सभी फॉर्म बांटे जाएंगे और सर्वे कार्य गति पकड़ लेगा।