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‘स्त्री: देह से आगे’: डॉ. गुलाब कोठारी ने समझाया ‘क्या है शादी और क्यों पिता करता है बेटी का कन्यादान ?’

Stree Deh Se Aage: भोपाल में हुए 'स्त्री: देह से आगे' विषय पर विशेष संवाद के दौरान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने शादी के पवित्र बंधन की अद्भुत व्याख्या की...।

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DR GULAB KOTHARI

भोपाल में आयोजित 'स्त्री: देह से आगे' संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते डॉ. गुलाब कोठारी

Stree Deh Se Aage: गहन और आध्यात्मिक चिंतन के लिए जाने जाने वाले पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने भोपाल में आयोजित 'स्त्री: देह से आगे' विषय पर विशेष संवाद के दौरान स्त्री के विभिन्न रूपों के साथ ही शादी के पवित्र बंधन की अद्भुत व्याख्या की। डॉ. कोठारी ने बताया कि कैसे मंत्रों के उच्चारण से शादी के दौरान दो आत्माएं जुड़ती हैं और फिर उनका सात जन्मों का अटूट रिश्ता बनता है। इस दौरान उन्होंने पिता के द्वारा किए जाने वाले बेटी के कन्यादान की रस्म के बारे में भी विस्तार से बताया।

'शादी दो शरीरों का नहीं बल्कि दो आत्माओं का मिलन'

डॉ. गुलाब कोठारी ने अपने संबोधन के दौरान बताया कि एक बहुत बड़ा परिवर्तन शादी के वक्त लड़का-लड़की में आता है। विवाह दो शरीरों का नहीं होता है दो आत्माओं का होता है। दोनों आत्माएं अदृश्य होती हैं और अगर आत्माओं को जोड़ना है तो उसे मंत्रों के द्वारा ही जोड़ा जाता है। विवाह की पद्धति प्राणात्मक होने से हमको ये अधिकार मिल जाता है और हमारा संबंध सात पीढ़ियों के लिए बंध जाता है इस तरह से हम सात जन्मों के बंधन में बंध जाते हैं। ये बात विज्ञान भी मानता है लेकिन एक बहुत बड़ा अंतर ये कि जब पुरुष अग्नि जो सत्य रूप में है और स्त्री रिक्त रूप में है, सत्य में आकृति है सत्य के पास बीज है लेकिन रिक्त के पास आकृति नहीं है वो सोम्य है। क्योंकि स्त्री के पास बीज नहीं है और वो सोम्य है इसलिए वो हमेशा अग्नि में आहूत होती है। यही कारण है कि स्त्री हमेशा पुरुष के साथ जाकर रहती है। ये सारा मंत्रों का खेल है और इसकी गहनता बहुत बहुत ही नाजुक है। जो हमें किताबों में भी नहीं पढ़ाया जा रहा है। ये उन पवित्र मंत्रों की ही शक्ति है जिसके कारण स्त्री शादी के बाद अपने घर जाने के लिए तैयार नहीं होती है।

'पिता क्यों करता है कन्यादान ?'

डॉ. गुलाब कोठारी ने कन्यादान की रस्म को विस्तार से समझाते हुए बताया कि आजकल लोग कन्यादान को बुरा भला कहते हैं, कहते हैं कि कन्या दान की चीज नहीं है। लेकिन वास्तव में ये कन्या का दान नहीं है बल्कि ये उसके प्राणों का ट्रांसफर है जो शादी से पहले कन्या के पिता के पास रहते हैं और शादी के वक्त पिता मंत्रोच्चार के बीच कन्या के पति को देता है, यही कन्यादान होता है।