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दोस्ती की ऐसी मिसाल भी…..बीमार दोस्त को मरते दम तक रखा साथ, दोस्त के बेटे ने भी पिता की तरह की सेवा, अब आसरा वृद्धाश्रम पहुंचे

पूरनसिंह को भोपाल के दोस्त कमर खान ने मरते दम तक अपने साथ रखा भोपाल.जहां खुद की संतान-परिवार बीमारी व वृद्धावस्था में साथ छोड़ देते हैं वहीं भिंड में एसआई के पद पर रहे चुके पूरनसिंह को भोपाल के दोस्त कमर खान ने मरते दम तक अपने साथ रखा। अभी तीन साल पहले कमर खान […]

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पूरनसिंह को भोपाल के दोस्त कमर खान ने मरते दम तक अपने साथ रखा

भोपाल.
जहां खुद की संतान-परिवार बीमारी व वृद्धावस्था में साथ छोड़ देते हैं वहीं भिंड में एसआई के पद पर रहे चुके पूरनसिंह को भोपाल के दोस्त कमर खान ने मरते दम तक अपने साथ रखा। अभी तीन साल पहले कमर खान की भी मृत्यु हो गई। कमर के बेटे जहिर ने भी अगले दो साल पर पूरनसिंह की देखभाल की। लेकिन कामकाज की वजह से ज्यादातर घर से बाहर रहते हैं, ऐसे में उनका ध्यान नहीं रख पाते, जिससे सामाजिक न्याय विभाग व सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से अब पूरनसिंह को आसरा में शिफ्ट कर दिया है। अभी करीब एक पखवाड़े से वे वहीं आसरा में है।

सडक़ दुर्घटना में हई थी पत्नी की मृत्यु

  • पूरनसिंह भिंड में एसआई के पद पर पदस्थ थे। एक सडक़ दुर्घटना में 1983 में उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई। इसके बाद वे परेशान रहने लगे और अपना मानसिक संतुलन खो बैठे। दोस्त की बिगड़ती स्थिति से कमर खान चिंतित थे, इसलिए उन्हेंभोपाल बुला लिया। पूरनसिंह 1985 में भोपाल आए और फिर लौटकर नहीं गए। परिजनों के अनुसार वे खेती बाड़ी में कमर खान की मदद करते थे, इसलिए किसी को परेशानी भी नहीं थी। अभी पूरनसिंह की उम्र 72 साल है।नहीं मिलने आए कोई परिजन
  • कमर खान के बेटे जहिर ने बताया जब से होश संभाला दादा को घर पर ही देखा। करीब 40 साल से पूरनसिंह घर पर है, लेकिन कोई परिजन उन्हें देखने नहीं पहुंचा। उन्हें पता भी नहीं कि उनके पीछे परिवार में कौन है। अब दादा आसरा में है, उनकी देखरेख यहां बेहतर होगी।