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जब पांचवी बार ‘मुख्यमंत्री’ नहीं बन पाए ‘शिवराज’ तो क्या था रिएक्शन, खुद बताया सच…

Shivraj Singh Chouhan: केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने पांचवी बार सीएम न बनने पर रिएक्शन दिया।

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Shivraj Singh Chouhan

Shivraj Singh Chouhan: वक्त था साल 2023 का विधानसभा चुनावों में भाजपा को बंपर सीटें मिली। लेकिन मध्यप्रदेश में तब शिवराज सिंह चौहान की जगह विधायक दल की बैठक में आखिरी पंक्ति में बैठे डॉ मोहन यादव को नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। शिवराज के मुख्यमंत्री न बनने पर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं चली। इन्हीं चर्चाओं के बीच दो साल बाद शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री न बनने को लेकर बड़ी बात कही है।

दरअसल, केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान रविवार को रवींद्र भवन में किरार समाज के दीपावली मिलन में शामिल हुए। यहां पर उन्होंने साल 2023 में विधानसभा चुनाव में मिली जीत का जिक्र किया। और कहा कि बंपर बहुमत मिला था। सबको लगा था कि अब सब कुछ स्वाभाविक है, लेकिन जब तय हुआ कि मुख्यमंत्री मोहन जी होंगे। मेरे माथे पर बल नहीं पड़ा।

सीएम न बन पाने पर क्या था शिवराज का रिएक्शन...

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अलग-अलग रिएक्शन हो सकते थे। गुस्सा भी आ सकता था कि मैंने इतनी मेहनत की, लोगों ने किसको वोट दिया? लेकिन दिल ने कहा- शिवराज, ये तेरी परीक्षा की घड़ी है। माथे पर शिकन मत आने देना। आज तू कसौटी पर कसा जा रहा है। और मैंने उनका (मोहन यादव) का नाम प्रस्तावित किया। यही जीवन की असली परीक्षा होती है। बाद में मुझे प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में दिल्ली में काम करने का मौका मिला।

कोचिंग क्लास से डिप्टी कलेक्टर बनकर निकले

आगे शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेरी पत्नी साधना सिंह ने प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग शुरु की। उन्होंने बताया इस बात की जानकारी उन्हें तब जाकर मिली, जब बी-8 में कोचिंग की पूरी बिल्डिंग तैयार हो चुकी थी। साधना की कोचिंग क्लास से भुवनेश खड़े जैसे डिप्टी कलेक्टर बनकर निकले हैं। ये क्लास लगातार चलती रहनी चाहिए।

सरकार के सामने नहीं फैलाएंगे हाथ

शिवराज ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री नहीं रहे। केंद्र में कृषि मंत्री के रूप में दिल्ली गए तो व्यवस्था थोड़ी प्रभावित हुई। इस दौरान एक बड़ा काम पूरा हुआ। समाज की मांग थी कि भोपाल में उनका खुद का भवन हो। कुछ लोग सरकारी जमीन लेने के पक्ष में थे, लेकिन साधना और उनकी टीम ने तय कर लिया था कि सरकार के सामने झोली नहीं फैलाएंगे। समाज की खरीदी हुई जमीन पर भवन लगभग तैयार है। जो कि एक बड़ी उपलब्धि है।