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सलवा जुडूम के बाद अब जमीन पर संकट, विस्थापितों की पुश्तैनी संपत्ति पर उद्योगपतियों का कब्जा

Chhattisgarh News: गांवों के विस्थापित ग्रामीणों की 120 एकड़ से ज्यादा जमीन रायपुर के उद्योगपतियों और कंपनियों के नाम दर्ज हो चुकी है।

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सलवा जुडूम के बाद अब जमीन पर संकट (photo source- Patrika)

सलवा जुडूम के बाद अब जमीन पर संकट (photo source- Patrika)

Chhattisgarh News: जब गांव में थे तो नक्सल हिंसा की वजह से गांव और घर छोड़ना पड़ा। सब कुछ छोड़कर सुरक्षित स्थान पर लौट गए। अब शांति बहाली के बाद वापस लौटे हैं तो सिस्टम की मार झेलनी पड़ रही है। यह दर्द उन ग्रामीणों का है जिनके पुरखों की जमीन अब एक उद्योगपति के नाम हो गई है। पत्रिका ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

Chhattisgarh News: उद्योगपतियों के दखल बढ़ने को भी चिंतनीय

ग्रामीणों गांव से दूर थे और उनकी 120 एकड़ से ज्यादा जमीन का सौदा हो गया। रायपुर के एक उद्योगपति के नाम सारी जमीन एक झटके में एक ही तारीख पर करने की बात सामने आ रही है। भैरमगढ़ के बैल, धरमा और बड़ेपल्ली गांवों में सलवा जुडूम हिंसा में उजड़े परिवारों की ज़मीन अब मीनू गोयनका, धनवंतरी इंफ्रास्ट्रक्चर और निसार्क इस्पात जैसी कंपनियों के नाम हो चुके हैं। सलवा जुडूम की आग से जो गांव खाली हुए थे वहां अब किसी और का नाम दर्ज है।

जो खेत कभी आदिवासियों की आजीविका के साधन थे वे अब उद्योगपतियों के हिस्से आ चुके हैं। सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं भैरमगढ़ ब्लॉक के तीन गांवों में विस्थापित परिवारों की ज़मीनें रायपुर के कारोबारी परिवारों और कंपनियों के नाम कर दी गईं। ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार मामले में दखल दे और उन्हें उनकी जमीन लौटाई जाए। क्षेत्र में उद्योगपतियों के दखल बढ़ने को भी चिंतनीय बताया जा रहा है।

धरमा गांव धनवंतरी इंफ्रास्ट्रक्चर व महेंद्र गोयनका के नाम

भैरमगढ़ के धरमा गांव के चेतन नाम पिता संपत की जमीन खसरा संया 233, 291/2 और 293 में दर्ज कुल 2.8040 हेक्टेयर भूमि धनवंतरी इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर महेंद्र गोयनका के नाम स्थानांतरित हुई है। आदेश की तारीख 17 नवंबर 2022 को हुई यह वही समय था जब विस्थापित परिवार अपनी पैतृक ज़मीनों पर लौटने की कोशिश कर रहे थे।

सभी दस्तावेजों की जांच चल रही

विकास सर्वे, एसडीएम, भैरमगढ़: मामला संज्ञान में आया है और इसकी जांच जारी है। इस संबंध में तहसील स्तर पर सभी अभिलेखों की समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी, क्योंकि संबंधित जमीनों का नामांतरण वर्ष 2022 में किया गया था। इस प्रकरण की निगरानी तहसीलदार द्वारा की जा रही है।

कहीं सुनवाई नहीं और जमीन का सौदा हो गया तय

Chhattisgarh News: स्थानीय सूत्रों का कहना है कि विस्थापित परिवारों को अपनी ज़मीनों के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई। जब वे लौटे तो पाया कि उनके खेतों पर किसी और का नाम चढ़ा हुआ है। राजस्व अभिलेखों में दर्ज तारीख़ें और नामांतरण आदेश संकेत देते हैं कि यह एक सुनियोजित प्रक्त्रिस्या थी जिसमें एक ही कारोबारी समूह के लोगों को लाभ पहुंचाया गया।

भैरमगढ़ के बैल गांव में सलवा जुडूम हिंसा के दौरान उजड़े घसूराम की ज़मीन मीनू गोयनका रायपुर निवासी के नाम हो गई। राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक खसरा नंबर 7, 8, 11/2, 11/4, 40/3 और 62 की कुल 11.8757 हेक्टेयर भूमि का नामांतरण 3 मार्च 2022 को किया गया। इसी गांव में निसार्क इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से भी मीनू गोयनका के नाम 11.5150 हेक्टेयर भूमि दर्ज की गई है। आदेश की तारीख 3 मार्च 2022 ही है।

जमीन का सौदा एक ही नाम से एक कंपनी को

भैरमगढ़ के ग्राम बड़ेपल्ली में लेदरी सेठिया की जमीन भी वही पैटर्न दिखता है। सलवा जुडूम हिंसा में विस्थापित ग्रामीणों की ज़मीन निसार्क इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से मीनू गोयनका के नाम दर्ज की गई। खसरा नंबर 64, 67, 68, 106, 107, 109, 137, 138, 139, 140, 198, 199 — कुल 22.5900 हेक्टेयर भूमि का नामांतरण आदेश 3 मार्च 2022 को जारी हुआ है।