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युवा सीखेंगे पायलटिंग, किसान करेंगे सटीक खेती, रोजगार के द्वार भी खुलेंगे

युवाओं को ड्रोन पायलटिंग व डेटा विश्लेषण जैसे कोर्स कर रोजगार और स्टार्टअप के नए अवसर भी मिल सकेंगे।

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फाइल फोटो

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बीकानेर के स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में अब कृषि आधारित ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है। यह केंद्र किसानों को खेत की अद्यतन स्थिति समझने से लेकर कीटनाशक छिड़काव, सर्वे और फसल आकलन तक की उन्नत तकनीक सिखाएगा। वहीं युवाओं को ड्रोन पायलटिंग व डेटा विश्लेषण जैसे कोर्स कर रोजगार और स्टार्टअप के नए अवसर भी मिल सकेंगे। कृषि विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम योगी का कहना है कि ड्रोन तकनीक खेतों की नमी, पोषक तत्व स्थिति और रोग-कीट दबाव को वास्तविक समय में बताती है। इससे सिंचाई, उर्वरक व कीटनाशक का वैज्ञानिक निर्धारण, बड़े क्षेत्रों में कम समय में कार्य व श्रम संकट का समाधान संभव हो सकेगा। आपदा के बाद फसल क्षति आकलन तेज होने से किसानों को बीमा दावों में भी मदद मिलेगी।

युवाओं के लिए नए करियर विकल्प
निदेशक अनुसंधान डॉ. विजय प्रकाश ने बताया कि यह केंद्र युवाओं के लिए कौशल विकास का बड़ा मंच बनेगा। प्रशिक्षण के बाद युवा ड्रोन पायलटिंग, कृषि सर्वे, डेटा विश्लेषण, आपदा प्रबंधन व निगरानी जैसे क्षेत्रों में रोजगार पा सकेंगे। साथ ही ड्रोन आधारित स्टार्टअप शुरू कर स्वरोजगार भी बढ़ा सकेंगे। कृषि विवि ने ड्रोन तकनीक को व्यापक रूप से किसानों तक पहुंचाने के लिए पीबीसी भारत ड्रोन्स के साथ एमओयू किया है। उद्देश्य युवाओं और किसानों को प्रशिक्षित कर उन्हें तकनीकी रूप से दक्ष बनाना है।

ऐसा होगा प्रशिक्षण
कंपनी प्रतिनिधि मुकुल झांब के अनुसार प्रशिक्षण के लिए न्यूनतम योग्यता 10वीं पास रखी गई है। आयु 18 वर्ष से अधिक, प्रशिक्षण अवधि 6-7 दिन, प्रशिक्षण क्षेत्र स्मॉल और मीडियम स्केल ड्रोन रखा गया है।सात दिन का प्रशिक्षण पूरा करने पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।

कम लागत, अधिक उत्पादकता और आसान निगरानी

केंद्र शुरू होने से किसानों को खेती की निगरानी, कीटनाशक छिड़काव और फसल जांच में आसानी होगी। लागत घटेगी, उत्पादकता बढ़ेगी, खेती में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होगा। साथ ही कृषि विश्वविद्यालय को भी प्रशिक्षण से राजस्व प्राप्त होगा।

-डॉ. देवाराम सैनी, रजिस्ट्रार