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पिता बस में टिकट चेकर और बेटा शादियों में गाकर कमाता था पैसे, ऐसा था इस पंजाबी सिंगर का बचपन

KBC 17 In Diljit Dosanjh: फेमस सिंगर दिलजीत दोसांझ टीवी रियलिटी के एक शो में अपनी जिंदगी से जुड़े कई इमोशनल राज खोले। जिसमें दिलजीत ने अपनी स्ट्रगल भरी लाइफ के बारे में बात करते हुए कहा…

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पिता बस में टिकट चेकर और बेटा शादियों में गाकर कमाता था पैसे, ऐसा था इस पंजाबी सिंगर का बचपन

(सोर्स: X @diljitdosanjh)

KBC 17 In Diljit Dosanjh: फेमस सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ इन दिनों अपने AURA वर्ल्ड टूर को लेकर चर्चा में हैं। बता दें कि दिवाली के बाद आए टीवी रियलिटी शो 'केबीसी 17' में पहुंचे एक एपिसोड में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ अपनी जिंदगी से जुड़े कई इमोशनल राज खोले। जिसमें दिलजीत ने अपनी स्ट्रगल भरी लाइफ के बारे में बात करते हुए कहा कि कैसे उनके पिता बस में टिकट चेकर का काम करते थे और उनकी सैलरी महीने के पहले दिन में ही खत्म हो जाती थी।

गाना गाने का शौक

दरअसल, इस रिएलिटी शो में दिलजीत ने आगे ये भी बताया कि बिग बी ने उनके बचपन के बारे में पूछा, जिस पर दिलजीत ने इमोशनल होते हुए कहा 'मेरा बचपन ठीक-ठाक रहा। मैं पढ़ाई में बहुत खास तो नहीं था, लेकिन नॉर्मल था। मुझे गाना गाने का शौक था। जब मैं 10 से 11 साल का था, तो मेरे परिवार वालो ने मुझे मामा के घर भेज दिया था। उन्होंने मुझे बिना मुझसे पूछे भेजा था।

बिग बी के सामने रो पड़े ये फेमस सिंगर

इसके बाद एक बार मेरे एक रिलेटिव ने कहा भी कि बच्चे से तो पूछ लो, 'लेकिन उन्होंने कहा कि पूछकर क्या होना है? इसे ले जाओ। मुझे बुरा लगा और सबसे बड़ी बात ये थी की उस समय कोई फोन भी नहीं होता था। मैं उनसे 3-4 महीने बाद मिल पाता था।' इसके साथ ही दिलजीत ने आगे ये भी बताया कि वे बचपन के दिनों में अमिताभ बच्चन की फिल्में खूब देखा करते थे, जो 'दूरदर्शन पर आया करती थीं।
हमें बहुत मजा आता था क्योंकि उसमें एक्शन होता था। उन्होंने बताया कि उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे और साथ में रोडवेज बस में टिकट चेकिंग का काम किया करते थे और बहुत ही सिंपल लाइफ थी। उस समय ज्यादा डिमांड नहीं थी जबकि पहले हमारे पास आज के मुकाबले चीजें कम थी।

पहली एलबम रिलीज होने के बाद

दिलजीत ने ये भी बताया कि उनकी पहली एलबम रिलीज होने के बाद से पैसे आने शुरू हुए तो अच्छा लगा, क्योंकि पिता की सैलरी आते ही पहले दिन या फिर 2-3 दिन में ही खत्म हो जाती थी। मुझे लगता था कि अच्छा कमा लिया। फिर जब कोई भी हमारे ऑफिस आता था, तो हम किसी को भी खाली हाथ नहीं जाने देते थे। शादी, पार्टी, बर्थडे कुछ भी हो, हम परफॉर्म करते थे। फिर धीरे-धीरे लाइफ पटरी पर आना शुरू हुई और आज मैं जो भी हूं, सब भगवान की कृपा है।