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फिजां में 5 साल बाद फिर गूंजा कुरजां का कलरव

जिले की प्राकृतिक आबोहवा से आकर्षित होकर आने वाले विदेशी मेहमान परिंदों के कलरव से जलाशय गूंजने लगे है।

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बूंदी

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pankaj joshi

Nov 18, 2025

फिजां में 5 साल बाद फिर गूंजा कुरजां का कलरव

कुरजां पक्षी

गुढ़ानाथावतान. जिले की प्राकृतिक आबोहवा से आकर्षित होकर आने वाले विदेशी मेहमान परिंदों के कलरव से जलाशय गूंजने लगे है। 5 साल से बून्दी के जलस्रोतों से दूर रहने वाले कुरजां पक्षी भी इस साल फिर से पहुंच गए हैं। इस साल बरसात का दौर लंबा चलने से प्रवासी पक्षियों के दल एक माह देरी से जिले के विभिन्न जलाशयों पर पहुंचे है।

जिले के प्रमुख वेट-लेंड बरधा सहित सभी बांधों व तालाबों पर प्रवासी व अन्तरप्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचे है। इनमें चीन-मंगोलिया जैसे ठंडे प्रदेशों में बर्फबारी शुरू होने के साथ आने वाले डेमोसाइल क्रेन या कुरजां पक्षियों के अलावा बार-हेडेड गूज व ग्रे- लेग गूज भी शामिल है। यूरोप महाद्वीप से आने वाले यूरोपियन पिनटेल व नोर्थन शोवलर भी बूंदी के अधिकांश जल-स्रोतों पर दस्तक दे चुके है। इसी प्रकार गुजरात में कच्छ के रण से आने वाले अन्तरप्रवासी ग्रेटर-फ्लेङ्क्षमगो व जिले के बरधा बांध तक सिमटे सारस पक्षी भी आकर्षण का केंद्र बने हुए है।

पक्षियों के प्राकृतिक आवासों में खलल
कुरजां के आश्रयस्थल बने रामनगर के रियासतकालीन बड़े तालाब में खेती करने के लिए तालाब की दीवार तोडक़र पानी नालों में बहाया जा रहा है। छोटे तालाब से भी पानी की निकासी जारी है। जिले के लगभग सभी बांधों व तालाबों पर मछली ठेका होने से पक्षियों के प्राकृतिक आश्रय-स्थल छिन से गए है। ठेकेदार के कार्मिक मछलियों को पक्षियों से बचाने के लिए दिनभर बांध व तालाबों पर आतिशबाजी के धमाके कर पक्षियों की स्वछंदता में विघ्न पैदा कर रहे है।

पेलिकन पक्षी को तो मछली ठेकेदार देखते ही मारने दोड़ते है। यह पक्षी जलीय-पक्षियों में सबसे बड़े आकार का होता है तथा एक दिन में करीब 5-6 किलो मछली खाता है, जिससे मछली ठेकेदारों के लिए एक चुनौती के रूप में होता है। विडम्बना ही है कि जिन जलाशयों पर पङ्क्षरदों का अधिकार होना चाहिए वहां पर चंद पैसों के लालच में मछली ठेके की आड़ में पक्षियों के प्राकृतिक आश्रय-स्थलों पर कब्जे कर लिए है। इसी प्रकार बांधों व तालाबों में अवेध पेटा-काश्त पर भी रोक नहीं लग पाना ङ्क्षचता का विषय है।

तालाबों पर आ रहे नजर
जिले के रामनगर तालाब पर आने वाली कुरजां या डेमोशाइल क्रेन पक्षी 5 साल बाद इस साल फिर से इस वेटलैंड पर नजर आए है, जो अच्छा संकेत है। अपने बड़े आकार के लिए पहचाने जाने वाले पेलिकन पक्षियों की अभी जिले के किसी भी वेट-लेंड पर उपस्थिति नहीं देखी गई है।