
लॉकडाउन में अमित कुमार बिहार लौटे, तो फिर वहीं के हो गए। (PC: perplexity.ai)
Mushroom cultivation entrepreneur: आईटी सेक्टर की नौकरी छोड़कर जब अमित कुमार ने खेती करने का सोचा, तो उनके पास कोई खास अनुभव नहीं था। उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो देखे और अपनी पत्नी के साथ उतर गए खेती के मैदान में। आज कुमार मशरूम की खेती में एक बड़ा नाम हैं और उनका टर्नओवर 24 लाख रुपए तक पहुंच गया है। अमित कुमार की कहानी शुरू होती है 2020 में जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी।
मूलरूप से बिहार निवासी अमित कुमार अपनी पत्नी दीपिका के साथ पुणे में रहते थे। उन्होंने पुणे के सिंहगढ़ इंस्टिट्यूट से एमबीए की पढ़ाई की है। अमित की जिंदगी एकदम बढ़िया चल रही थी। पुणे आबोहवा उन्हें रास आ गई थी। वह एक आईटी कंपनी में नौकरी करते थे, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान जब वह अपने गृहनगर लखीसराय गए तो उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई।
लॉकडाउन के दौरान उनके पास कुछ नया एक्सप्लोर करने का समय था। वह कुछ ऐसा शुरू करना चाहते थे, जिसके लिए घर से दूर न जाना पड़े। अमित और दीपिका को मशरूम की खेती के बारे में पता चला। दोनों ने यूट्यूब देखकर इस बारे में आवश्यक जानकारी हासिल की। यूट्यूब उनका पहला शिक्षक रहा, जिसने उन्हें मशरूम की खेती के हुनर सिखाए। 30Stades से बातचीत में अमित कुमार ने बताया कि मशरूम की खेती उस समय लखीसराय में कोई नहीं करता था। इसलिए हमें लगा कि इसमें किस्मत आजमाई जा सकती है।
अमित और दीपिका ने सितंबर, 2020 में 7 किलो ऑयस्टर मशरूम स्पॉन (बीज) बैग के साथ अपने नए करियर की शुरुआत की। उन्होंने बिना किसी प्रशिक्षण के घर के खाली पड़े कमरे में मशरूम उगाए। लेकिन, पहला प्रयास ज्यादा सफल नहीं रहा। महज 20 किलो मशरूम की पैदावार हुई, जो सामान्य से कम थी। हालांकि, उन्हें यह अहसास जरूर हुआ कि मशरूम की खेती लाभदायक है। कुमार ने पाया कि प्रति बैग 30 से 40 रुपए के निवेश पर 100 रुपए का शुद्ध लाभ हो सकता है। इसलिए उन्होंने आगे बढ़ने का फैसला लिया।
अमित कुमार ने स्थानीय कृषि विभाग और सोलन स्थित ICAR-मशरूम अनुसंधान निदेशालय से प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने कमरे के बजाए मशरूम उगाने के लिए बांस और धान के पुआल से झोपड़ी बनाईं। जमीन को ठंडा रखने के लिए मिट्टी का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने 96 रुपए प्रति किलो की दर से 350 किलो स्पॉन खरीदे और 6000 बैग लगाए। अमित का दूसरा प्रयास सफल रहा। उन्हें 5000 किलो से अधिक की बंपर पैदावार मिली। स्थानीय बाजार में इतना मशरूम खपाना मुश्किल था, इसलिए उन्होंने उपज का कुछ हिस्सा सुखा दिया।
अमित ने ताजा मशरूम 150 रुपए प्रति किलो और सूखा मशरूम जबलपुर के एक विक्रेता को 500 से 600 रुपए प्रति किलो में बेच दिया। इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, वह मशरूम की बंपर पैदावार करते रहे और मोटा मुनाफा कमाते रहे। मशरूम उत्पादन के साथ ही अमित और उनकी पत्नी ने बेकरी और आचार जैसे उत्पाद भी बनाते हैं। उनका टर्नओवर 24 लाख रुपए से अधिक पहुंच गया है। अमित दूसरे किसानों को भी मशरूम की खेती में प्रशिक्षित कर रहे हैं।
अमित और दीपिका ने अपने कारोबार को विस्तार देने के लिए मशरूम के दूसरे इस्तेमाल पर भी फोकस किया। दीपिका केक, कुकीज, ब्रेड और बिस्किट जैसे बेकरी उत्पादों में मशरूम इस्तेमाल करने लगीं। उनके इस प्रयोग को काफी पसंद किया गया। उन्होंने आचार भी बनाया, जिसका टेस्ट लोगों की जुबां पर चढ़ गया। आज के समय में दीपिका के बेकरी उत्पाद पुणे, मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में जाते हैं। अमित 4000 वर्गफीट पर मशरूम की खेती करते हैं। जबकि दीपिका की बेकरी 1200 वर्गफुट पर है। पिछले वित्त वर्ष में दोनों का कुल टर्नओवर 24 लाख रुपए से अधिक रहा था।
मशरूम की खेती के बाद अमित के लिए एक चुनौती थी, इसके ग्राहक ढूंढना। यह मौका उन्हें 2022 में एक शादी के दौरान मिला। अमित ने शादी के मेन्यू में ऑयस्टर चिल्ली डिश शामिल करने का सुझाव दिया। यह डिश लोगों को इतनी पसंद आई कि उन्हें दनादन ऑर्डर मिलते चले गए। अमित और दीपिका अब मशरूम से नए उत्पाद बनाने पर फोकस कर रहे हैं। साथ ही वह स्थानीय किसानों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण भी देते हैं।
Published on:
03 Dec 2025 10:40 am
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