
जॉब मार्केट में ग्रोथ घट रही है। (PC: Pexels)
दुनियाभर में ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की वजह से जॉब्स जा रही हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। शेयर बाजार के एक एक्सपर्ट ने भारत पर इसका क्या असर होगा, उस बारे में बताया है। एक पॉडकास्ट के दौरान मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा, 'देश में व्हाइट कॉलर जॉब्स की ग्रोथ का पहिया थम गया है, यह स्लोडाउन अस्थायी नहीं है, बल्कि एक बुनियादी बदलाव है।' वे बताते हैं कि पारंपरिक कॉर्पोरेट जॉब्स की वापसी की संभावना कम है। यह भारतीयों के जीवनयापन के तरीके में बड़े बदलाव का संकेत है।
मुखर्जी ने कहा कि भारत एक ऐसे दौर में कदम रख रहा है, जहां सुरक्षित नौकरियों के मौके कम होते जाएंगे और सेल्फ एंप्लॉयमेंट और गिग वर्क आम बात हो जाएगी। हर साल लाखों की संख्या में भारतीय युवा जॉब मार्केट में आ रहे हैं और ऑटोमेशन कंपनियों को नया रूप दे रहा है। इसलिए आने वाले दिनों में देश को ये सोचना होगा कि काम और कमाई के तरीके क्या होंगे।
सौरभ मुखर्जी चेतावनी देते हैं कि रोजगार में ग्रोथ बिल्कुल रुक गई है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव एकदम साफ दिख रहा है और अब इसे बदला नहीं जा सकता है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में व्हाइट कॉलर जॉब्स में बमुश्किल ही बढ़ोतरी हुई है और उन्हें लगता है कि इनमें किसी भी तरह से सार्थक वृद्धि होने की संभावना एकदम नहीं है।
सौरभ बताते हैं कि बड़ी कंपनियों को अब विस्तार के लिए बड़ी टीमों की जरूरत नहीं है। HDFC बैंक, बजाज फाइनेंस, टाइटन और एशियन पेंट्स जैसी जानी-मानी कंपनियां बिना किसी आक्रामक भर्ती के विस्तार कर रही हैं। वो बताते हैं कि इसकी संभावना बहुत कम है कि ये कंपनियां बहुत से लोगों को नौकरियां देंगी। ऑटोमेशन की वजह से उनके लिए बिना कर्मचारियों की संख्या बढ़ाए काम करना बहुत आसान हो गया है।
सौरभ मुखर्जी बताते हैं कि भारत में स्ट्रक्चर्ड सैलरीड जॉब्स में तेजी से गिरावट देखने को मिलेगी। इसके बजाय, ज़्यादा लोग स्वतंत्र रूप से काम करेंगे, जैसे ड्राइवर, फ्रीलांसर, कोडर, पॉडकास्टर, वित्तीय सलाहकार या क्रिएटर। उन्होंने कहा, "हम गिग जॉब्स की दुनिया में जा रहे हैं। सैलरीड एम्पलॉयमेंट का दौर अब पीछे छूट गया है।" वो आगे बताते हैं कि यह बदलाव अब सिर्फ थ्योरेटिकल नहीं है। उन्होंने कहा, "मैंने इसे 10 साल पहले ही देख लिया था और अब मैं इसे और भी स्पष्ट रूप से देख सकता हूं।"
मुखर्जी का मानना है कि भारत कई देशों की तुलना में बड़े गिग-बेस्ड वर्कफोर्स का प्रबंधन करने के लिए बेहतर स्थिति में है। युवा आबादी, सस्ते डेटा, आधार और UPI जैसी डिजिटल प्रणालियों के साथ भारत के पास डीसेंट्रलाइज्ड काम का आधार है। ये सारी चीजें "गिग कर्मचारियों को एक साथ जोड़ने वाला गोंद" हैं।
मुखर्जी की सलाह उन सभी प्रोफेशनल्स के लिए है जो अभी काम कर रहे हैं और जो आने वाली पीढ़ी है। वो बताते हैं कि पारंपरिक व्हाइट कॉलर जॉब एक चुनौती होगा। हमें अपने बच्चों और खुद को एक ऐसे भविष्य के लिए तैयार करना होगा, जहां हम जीवन का एक बड़ा वक्त गिग वर्कर के रूप में बिताएंगे। ऑफिस कार्ड, ऑफिस कैब और एक ही कंपनी में दशकों तक काम करने का दौर अब खत्म हो रहा है।
Published on:
05 Nov 2025 04:10 pm
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