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Home Loan के साथ बैंक ग्राहकों से लेते हैं काफी सारे हिडन चार्जेज, यहां देखिए लिस्ट

Home Loan Charges: होम लोन के लिए अप्लाई करने पर बैंक लीगल फीस भी लेते हैं। यह फीस प्रॉपर्टी की कानूनी स्थिति (डिस्प्यूट/टाइटल) जांचने के लिए लगती है।

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भारत

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Pawan Jayaswal

Oct 05, 2025

Home Loan Charges

होम लोन के साथ कई सारे चार्जेज भी आते हैं। (PC: Gemini)

Home Loan Charges: भारत में बड़ी संख्या में लोग घर खरीदने के लिए होम लोन का सहारा लेते हैं। लेकिन अगर आप बिना पूर्व तैयारी के होम लोन लेते हैं, तो आपको कई बार पछताना भी पड़ जाता है। होम लोन लेने से पहले विभिन्न बैंकों द्वारा ऑफर की जा रही ब्याज दरों और दूसरे चार्जेज की तुलना कर लेनी चाहिए। जहां सबसे सस्ता लोन मिल रहा हो, वहां से लेना चाहिए। होम लोन देते समय बैंक और एनबीएफसी ग्राहकों से कई तरह के दूसरे चार्जेज भी वसूलते हैं। आइए जानते हैं कि ये चार्जेज कौन कौन से हैं।

आवेदन शुल्क

-होम लोन के लिए अप्लाई करते समय बैंक एक निश्चित फीस लेता है। इसे आवेदन शुल्क या लॉग इन फीस कहा जाता है।
-यह आवेदन शुल्क नॉन-रिफंडेबल होता है।
-लोन अप्रूव हो या न हो, यह फीस देनी ही होती है।

प्रोसेसिंग फीस

-प्रोसेसिंग फीस लोन एप्लीकेशन को प्रोसेस करने के लिए ली जाती है।
-आमतौर पर यह नॉन-रिफंडेबल होती है।
-कुछ मामलों में ग्राहक इसे कम या माफ करवा सकते हैं।
-कुछ बैंक किस्तों में भी यह फीस लेने की सुविधा देते हैं।

टेक्निकल असेसमेंट फीस

-बैंक प्रॉपर्टी की हालत और मार्केट वैल्यू की जांच कराने के लिए एक्सपर्ट भेजते हैं। इसके लिए यह फीस ली जाती है।
-कुछ बैंक इसे प्रोसेसिंग फीस में शामिल करते हैं, जबकि कुछ अलग से वसूलते हैं।

लीगल फीस

-लीगल फीस प्रॉपर्टी की कानूनी स्थिति (डिस्प्यूट/टाइटल) जांचने के लिए लगती है।
-अगर प्रॉपर्टी बैंक से पहले से अप्रूव हो, तो यह फीस माफ हो सकती है।

मॉर्गेज डीड फीस

-मॉर्गेज डीड एक कानूनी डॉक्यूमेंट होता है, जिसमें ग्राहक प्रॉपर्टी बैंक को गिरवी रखने की सहमति देता है।
-यह फीस आमतौर पर लोन अमाउंट के प्रतिशत में होती है।
-कई बार बैंक ऑफर के तहत इसे माफ कर देते हैं।

कमिटमेंट फीस

-लोन अप्रूव होने के बाद तय समय तक लोन नहीं लेने पर यह फीस लगती है।
-इसे Undisbursed Loan Fee भी कहते हैं।

इंश्योरेंस प्रीमियम

-बैंक प्रॉपर्टी डैमेज या ग्राहक के जीवन पर इंश्योरेंस पॉलिसी लेने को कह सकता है।
-इससे अनहोनी की स्थिति में परिवार पर कर्ज का बोझ नहीं आता।
-आमतौर पर यह सिंगल प्रीमियम पॉलिसी होती है।

प्रीपेमेंट पेनल्टी

-लोन की अवधि खत्म होने से पहले लोन चुकाने पर यह पेनल्टी लगती है।
-फ्लोटिंग रेट लोन पर RBI के नियम अनुसार यह पेनल्टी नहीं लगाई जाती है।
-फिक्स्ड रेट वाले लोन पर यह प्रीपेमेंट अमाउंट का लगभग 2% तक हो सकती है।

प्री-ईएमआई चार्ज

-लोन डिसबर्समेंट और घर की पजेशन मिलने के बीच का ब्याज प्री ईएमआई चार्ज कहलाता है।
-पजेशन मिलने तक ग्राहक सिर्फ ब्याज देता है।