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पांच एकड़़ में बन रहा दिव्यांग पुनर्वास केंद्र मार्च तक होगा तैयार, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से लेकर प्रशिक्षण और थैरेपी तक की मिलेगी सुविधा

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की पहल पर बुंदेलखंड और आसपास के जिलों के दिव्यांगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, पुनर्वास और रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

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निर्माणाधीन भवन

बुंदेलखंड अंचल के दिव्यांगजनों के लिए खुशखबरी है। जिला मुख्यालय छतरपुर में दिव्यांगों के सर्वांगीण विकास और सशक्तिकरण के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश का दूसरा दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (सीआरसी सेंटर) स्थापित किया जा रहा है। यह केंद्र खजुराहो-झांसी हाईवे पर सीएम राइज स्कूल के पास 5 एकड़ भूमि में लगभग 30 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जा रहा है। निर्माण कार्य तेजी से जारी है और मार्च 2026 तक इसे पूरी तरह से तैयार कर संचालन प्रारंभ करने का लक्ष्य रखा गया है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की पहल पर बुंदेलखंड और आसपास के जिलों के दिव्यांगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, पुनर्वास और रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

फिलहाल पुराने तहसील भवन से हो रहा संचालन

जब तक नया भवन तैयार नहीं हो जाता, तब तक केंद्र का संचालन अस्थाई रूप से पुराने तहसील भवन से किया जा रहा है। इस केंद्र का संचालन मुंबई की एक दिव्यांग संस्था द्वारा किया जा रहा है, जो फिलहाल परामर्श, प्रशिक्षण और थैरेपी जैसी सेवाएं उपलब्ध करा रही है। यहां दिव्यांगों की मानसिक स्थिति का आंकलन, फिजियोथैरेपी, एक्युप्रेशर, काउंसलिंग, स्पीच थैरेपी और रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण जैसी गतिविधियां नियमित रूप से संचालित की जा रही हैं।

मार्च तक मिलेगा आधुनिक भवन और नई सुविधाएं

नया भवन तैयार हो जाने पर केंद्र में दिव्यांग जनों के लिए शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। यहां स्पेशल डीएड और डीएलएचएस जैसे कोर्स शुरू किए जाएंगे, जिससे दिव्यांग विद्यार्थी न केवल शिक्षित होंगे बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर सकेंगे। भवन में कृत्रिम हाथ-पैर, श्रवण यंत्र और सहायक उपकरणों के निर्माण की यूनिट भी स्थापित की जाएगी। साथ ही, पुस्तकालय, प्रशिक्षण कक्ष और दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए आवासीय हॉस्टल की भी व्यवस्था रहेगी।

प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग शुरू

सीआरसी केंद्र के निदेशक राजमणि पाल ने बताया कि केंद्र में दिव्यांग प्रतिभागियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग भी प्रारंभ की गई है। वर्तमान में 15 दिव्यांग छात्र-छात्राएं कोचिंग प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा केंद्र में अब तक 70 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।

दिव्यांगजनों के लिए नया युग साबित होगा केंद्र

केंद्र के पूर्ण रूप से तैयार हो जाने पर बुंदेलखंड क्षेत्र के दिव्यांगों को न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं मिलेंगी बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी बड़ा अवसर प्राप्त होगा। यहाँ दिव्यांगों को रोजगारपरक प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने बताया कि यह केंद्र बुंदेलखंड क्षेत्र के दिव्यांग समुदाय के लिए एक आत्मनिर्भरता का मॉडल साबित होगा। अब तक दिव्यांगों को इलाज और प्रशिक्षण के लिए भोपाल या जबलपुर जाना पड़ता था, लेकिन केंद्र के शुरू होने के बाद सारी सुविधाएं यहीं उपलब्ध होंगी।