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आमदनी खूब, फिर भी उपेक्षा का शिकार है राजस्थान का यह रेलवे स्टेशन

इसलिए मंडल से प्रस्ताव व मांग न होने से रेलवे बोर्ड तक स्थानीय यात्रियों की मांगों पर गौर नहीं किया जाता जिसके फलस्वरूप नई गाडि़यों का संचालन इन मार्ग से नहीं किया जाता है। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतान पड़ रहा है। इस कारण से चार से 7 घंटे के बीच डेगाना या चूरू की ओर सवारी गाड़ी सुलभ नहीं है।

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सुजानगढ़. उतर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल का राजस्व आय संग्रहण में महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ रेल प्रशासन की दृष्टि से उपेक्षित व अनदेखी के समान है क्योंकि मंडल कार्यालय से 256 किलोमीटर दूरी पर मंडल का अंतिम स्टेशन होने से रेल अधिकारियों का ध्यान रेल सेवा विस्तार की ओर नहीं जा पाता है।

इसलिए मंडल से प्रस्ताव व मांग न होने से रेलवे बोर्ड तक स्थानीय यात्रियों की मांगों पर गौर नहीं किया जाता जिसके फलस्वरूप नई गाडि़यों का संचालन इन मार्ग से नहीं किया जाता है। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतान पड़ रहा है। इस कारण से चार से 7 घंटे के बीच डेगाना या चूरू की ओर सवारी गाड़ी सुलभ नहीं है।

रेल प्रशासन के इस उपेक्षित रवैये के कारण यहां बसों व टक्सियों का व्यवसाय फल-फूल रहा है। इतना ही नहीं, राजनैतिक दबाव या प्रभाव इस क्षेत्र को लेकर बेरुखा रहा है। नई दिल्ली तक आवाज पहुंचाने वाले नेताओं के लिए सुजानगढ़ उनके क्षेत्र का अंतिम शहर होने से कम ही आवाज यहां के लिए उठाते है।

स्टेशन रहता है 7 घंटे सूना
जोधपुर से चलकर दिल्ली जाने वाली गाड़ी रात के 10.30 बजे के बाद सुबह 5.30 बजे ही दिल्ली से गाड़ी आती है। रात के 7 घंटे के बीच स्टेशन पूरी तरह वीरान रहता है। ऐसे हालात दिन में भी है जब 2 से चार घंटे के बीच रतनगढ़ या लाडनूं के लिए गाड़ी नहीं मिलती है। इसलिए यात्रियों को मजबूरन बसों पर निर्भर रहना पड़ता है।

आमदनी खूब, गाडि़यों की कमी
सुजानगढ़ स्टेशन से वर्ष 23-24 में आय 12 करोड़ 53 लाख 60 हजार 926 रुपए थी जो डेगाना जैसे जंक्शन से अधिक रही, जबकि डेगाना में सुजानगढ़ से दोगनी गाडि़यां हैं। अक्टूबर 24 में सुजानगढ़ की आय एक करोड़ चार लाख 46 हजार 830 रुपए रही, जबकि डेगाना जंक्शन की आय 93 लाख 46 हजार 502 रुपए थी।

मुम्बई के लिए दबाव
मुम्बई, सूरत के लिए सुजानगढ़ से यात्री दबाव अधिक है, लेकिन सप्ताह में दो दिन गाड़ी सुलभ है। इसलिए इस क्षेत्र के यात्रियों को बीकानेर, जयपुर जाकर मुम्बई जाना पड़ता है, जो कष्टदायक व आर्थिक भार वाला साबित होता है। इसी प्रकार कोलकाता के लिए यात्री दबाव काफी है, लेकिन साप्ताहिक गाड़ी के फेरे बढ़ाने पर रेलवे विचार नहीं करता।

हरिद्वार के लिए स्थाई नहीं
अभी हरिद्वार के लिए भावनगर से साप्ताहिक गाड़ी संचालित है, लेकिन उसका जाने-आने के बीच समय का अंतर उचित न होने से वह गाड़ी जनोपयोगी साबित नहीं हो रही है। जोधपुर-सरायरोहिल्ला सुपरफास्ट को हरिद्वार तक विस्तारित करने की मांग 20 सालों से हो रही है और डीआरयूसीसी व जेडआरयूसीसी जयपुर की ओर से इसका प्रस्ताव 5 सालों से भेजा जा रहा है, लेकिन बिना राजनैतिक हस्तक्षेप के गौर नहीं हो रहा है।

रेल सेवाओं का विस्तार जरूरी
बांद्रा-हिंसार सा., बांद्रा-जम्मूतवी सा. को तीन-तीन दिन चलाने, भगत की कोठी-कामख्या सा., जोधपुर से गुवाहाटी सा. को तीन दिन चलाने, जोधपुर-गोरखपुर को तीन दिन चलाने की मांगे पुरानी है। इसी प्रकार गंगानगर से जोधपुर, मेड़ता से बीकानेर वाया रतनगढ़ नई गाड़ी के प्रस्ताव भी तीन-तीन बार डीआरयूसीसी की ओर से भेजे गए लेकिन दिल्ली स्तर से बिना दबाव के ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

इनका-कहना

-मैने रेलमंत्री को पत्र लिखकर डेगाना-रतनगढ़ खण्ड क्षेत्र में नई गाडि़यों के संचालन व अभी संचालित गाडि़यों के फेरे बढ़ाए जाने का लिखा है। तीन नई गाडि़यां संचालित करने की मांग रेलमंत्री से की है। राजेन्द्र नायक, अनुजा वित्त आयोग अध्यक्ष

-सुजानगढ़ की उपेक्षा की ओर मैंने ध्यान दिलाया है। दो बार पत्र लिखा है, सुजानगढ़ से जल्द ही जयपुर-दिल्ली जाकर उच्चाधिकारियों के समक्ष मांगे रखेंगे। हरिद्वार के लिए नियमित गाड़ी जरूरी है ताकी निजी बसों पर अंकुश लगे। विनय माटोलिया, अध्यक्ष भाजपा, सुजानगढ़

-मुम्बई-कोलकाता के लिए नियमित गाड़ी जरूरी है क्योंकि बीदासर, सालासर व बड़े ग्रामीण क्षेत्र लगने से यात्री भार अधिक है। रेल प्रशासन से आग्रह है कि नई गाडि़यां इस मार्ग पर संचालित करे। पवन माहेश्वरी, अध्यक्ष किराना मर्चेन्ट एसोसिएशन सुजानगढ़

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-बीकानेर डीआरएम से रेल सेवाओं के विस्तार व नई गाड़ी को लेकर चर्चा की। इसके अलावा मुम्बई, हरिद्वार के लिए सेवा में विस्तार के लिए रेलमंत्री को लिखा। पूसाराम गोदारा, विधायक रतनगढ़