
रणजी ट्रॉफी में रिकॉर्ड तो बन रहे हैं, पर स्टेंडर्ड्स गिर रहे हैं। (photo - BCCI)
Ranji Trophy 2025: लगातार आठ छक्के, 11 गेंदों में अर्धशतक, तीन घंटे में तिहरा शतक, 1,008 रन की बढ़त और 725 रनों से जीत। ये सब आंकड़े साधारण घरेलू क्रिकेट में सुनने में अजीब लगते है। लेकिन ये अविश्वसनीय आंकड़े भारत की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित प्रतियोगिता रणजी ट्रॉफी के हैं। रणजी ट्रॉफी की प्लेट ग्रुप और एलीट ग्रुप टीमों के बीच असंतुलन भारतीय क्रिकेट की गुणवत्ता को कमजोर कर रहा है।
रणजी ट्रॉफी में 38 टीमें हिस्सा लेती हैं। इनमें टॉप टीमें एलीट ग्रुप में होती हैं और नई या कम अनुभवी टीमें प्लेट ग्रुप में। हर सीजन की समाप्ति पर एलीट ग्रुप की दो सबसे निचली टीमें प्लेट ग्रुप में डिमोट कर दी जाती हैं। वहीं प्लेट ग्रुप की टॉप दो टीमों (फाइनलिस्ट) को अगले सीजन के लिए एलीट ग्रुप में प्रमोट कर दिया जाता है। प्लेट ग्रुप और एलीट ग्रुप के बीच चलने वाले प्रमोशन-डिमोशन सिस्टम ने कमजोर टीमों को आगे आने के मौके तो दिए हैं, लेकिन दूसरी ओर इसने घरेलू क्रिकेट के संतुलन और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जब प्लेट ग्रूप की टीम एलीट में जाती है तो उसका मुकाबला बड़ी- बड़ी टीमों जैसे मुंबई, सौराष्ट्र, कर्नाटक से होता है और मुकाबले एकतरफा बन जाते हैं। जैसे रणजी सीजन 2022-23 में मुंबई ने उत्तराखंड को 725 रनों से हराया था, जो फर्स्ट क्लास क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी जीत है। उसी सीजन में झारखंड ने नगालैंड पर 1009 रन की बढ़त बनाकर नया रिकॉर्ड बनाया था।
जब कोई एलीट टीम प्लेट ग्रुप में डिमोट होती है, तब भी यही हाल होता है। जैसे 2023-24 सीजन में हैदराबाद प्लेट ग्रुप में डिमोट हुई थी। वहां उसके बल्लेबाज तन्मय अग्रवाल ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ 181 गेंदों में 366 रन जड़ दिए, जिसमें 26 छक्के शामिल थे और 147 गेंदों में सबसे तेज तिहरा शतक बनाकर रिकॉर्ड कायम किया।
2025-26: मेघालय के आकाश कुमार चौधरी ने अरुणाचल के खिलाफ लगातार आठ छक्के लगाए और सिर्फ 11 गेंदों में अर्धशतक पूरा किया, जो प्रथम श्रेणी क्रिकेट का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड है।
2022-23: झारखंड 1000+ रन की बढ़त लेने वाली पहली टीम
2022-23: मुंबई ने उत्तराखंड को 725 रनों से हराया
2023-24: हैदराबाद के तन्मय अग्रवाल ने 181 गेंदों में 366 रन बना दिए
2024-25: गोवा के स्नेहल कौठंकर और कश्यप बकले ने अरुणाचल के खिलाफ 606 रन की साझेदारी की
BCCI के पूर्व क्रिकेट ऑपरेशन के हैड सबा करीम ने कहा, "38 टीमों के साथ रणजी ट्रॉफी की गुणवत्ता घट रही है। शायद प्लेट डिवीजन को अलग टीयर-2 सिस्टम के रूप में रखा जाए। जब वे एलिट में प्रमोट हों, तभी उन्हें फर्स्ट क्लास दर्जा दिया जाए।"
वहीं सौराष्ट्र के शेल्डन जैक्सन का मानना है कि इस ढांचे को बदलना आसान नहीं है। उन्होंने कहा, "बीसीसीआई हर साल 1000 से अधिक मैच आयोजित करता है। अगर प्रमोशन-डिमोशन प्रणाली बदली गई तो पूरी घरेलू संरचना को फिर से बनाना पड़ेगा।"
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रणजी ट्रॉफी का लक्ष्य सिर्फ रिकॉर्ड बनाना नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए मजबूत प्रतिभा तैयार करना होना चाहिए। यदि बीसीसीआई ने जल्द कोई संतुलित ढांचा नहीं बनाया, तो घरेलू क्रिकेट का यह प्रमोशन-डिमोशन सिस्टम भारतीय क्रिकेट की वास्तविक प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर सकता है।
Published on:
13 Nov 2025 03:04 pm
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