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किसानों को दोहरा फायदा! अब मत्स्य पालन के साथ झींगा उत्पादन भी बनेगा आय का बड़ा स्रोत

Shrimp Production: तालाबों और पोखरों में झींगा पालन आसान होने के कारण जिले के 9 कृषकों को नई पॉलिकल्चर योजना के तहत चयनित किया गया है।

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मत्स्य पालन के साथ होगा झींगा उत्पादन भी (photo source- Patrika)

मत्स्य पालन के साथ होगा झींगा उत्पादन भी (photo source- Patrika)

Shrimp Production: कृषकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग अब मत्स्य पालन के साथ झींगा उत्पादन को भी बढ़ावा दे रहा है। विभाग का मानना है कि यदि मत्स्य पालन को वैज्ञानिक और व्यावसायिक तरीके से अपनाया जाए, तो यह कृषकों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित होता है।

Shrimp Production: तालाबों और पोखरों में झींगा पालन आसान

इसी क्रम में जिला स्तर पर झींगा पालन को प्रोत्साहित करने के लिए नई कार्ययोजना लागू की गई है। विभाग के अनुसार तालाबों और पोखरों में झींगा पालन आसानी से किया जा सकता है। उत्पादन से लेकर विपणन तक की प्रक्रिया के लिए विभाग ने मार्गदर्शन और सहायक योजनाएं तैयार की हैं। शासन की नवीन पॉलिकल्चर योजना के तहत जिले के 09 कृषकों-सधाम, संतुराम (फुलनार), नाहरूराम कवासी (नागुल), अजय कश्यप (मड़से), रविंद्र नेगी (बारसूर), ताती पोदिया (टिकनपाल), राजेश राना (हल्बारास), राजू नाग (मैलावाड़ा) और सोनाराम मंडावी (मारहराकरका)-को चयनित किया गया है।

प्रशिक्षण दिया गया

Shrimp Production: योजना के सफल संचालन के लिए कृषकों को कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद विभाग द्वारा अनुदान के अंतर्गत मेजर कार्प प्रजाति रोहु, कतला, ग्रास कार्प के साथ झींगा बीज जुवेनाइल भी उपलब्ध कराया गया। उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से पूरक आहार भी प्रदाय किया गया है। मत्स्य विभाग को उम्मीद है कि झींगा और मछली उत्पादन के संयोजन से जिले के कृषकों को दोहरा लाभ मिलेगा और उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।