
कृषि अधिकारी कार्यालय के बाहर लगी किसानों की कतार। फोटो: पत्रिका
बांदीकुई। क्षेत्र के अन्नदाता खेतों में सरसों, चना आदि की बुवाई में जुट गए हैं, लेकिन उन्हें डीएपी खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी स्तर से जो डीएपी भेजा जा रहा है, वो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। ऐसे में किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है अथवा मंहगे दामों पर बाजार से खरीदना पड़ रहा है।
शुक्रवार को आए 840 डीएपी कट्टों के लिए किसानों की मारामारी रही। बांदीकुई क्रय विक्रय सहकारी समिति में डीएपी आने की सूचना मिलते ही बांदीकुई, करनावर, नंदेरा, बड़ियाल कलां, श्यालावास, आभानेरी, अनंतवाडा सहित दूरदराज के किसान आए गए। पहले किसानों को कृषि कार्यालय में रसीद वितरण की गई।
रसीद लेने के लिए किसानों की दूर तक लंबी लाइन लग गई। कुछ युवक तो कार्यालय के बाहर लोगों को बैठने के लिए लगाई गई बैंच एवं खिड़की के सहारे गेट तक पर चढ़कर शोरगुल करने लगे। पहले रसीद पाने के चक्कर में कई बार किसानों में आपस में धक्का मुक्की की नौबत हो गई। मामला बढ़ता देख पुलिस मौके पर बुलानी पड़ी। पुलिस ने मौके पर हालात का जायजा लिया।
स्थिति यह रही कि महिला एवं पुरुषों की दूर तक लंबी लाइन लग गई। कुछ बुजुर्ग तो नीचे बैठ गए। छाया के लिए एक मात्र पेड़ की सहारा होने से अधिकांश लोगो को धूप में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। रसीद लेने के बाद किसानों को सामने क्रय विक्रय से डीएपी दिया गया। ऐसे में एसडीएम कार्यालय एवं क्रय विक्रय सहकारी समिति सहित बसवा रोड पर यातायात जाम हो गया।
सरकारी स्तर पर जो डीएपी भेजा जा रहा है। उससे पूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह पर्याप्त डीएपी की व्यवस्था कराऐ। जिससे फसल उन्नत हो सके।
-रमेशचंद सैनी, नंदेरा
पहले बाजरे की फसल चौपट हो गई। अब गेहूं, चना, सरसों पर आस है, लेकिन डीएपी नहीं मिलने से परेशानी हो रही है। डीएपी के लिए जगह जगह भटकना पड़ रहा है।
-मंजू सैनी, महिला कृषक
शुक्रवार को 840 कट्टे वितरण के लिए आए थे। जिनका वितरण करा दिया गया। जिन काश्तकारों को डीएपी की किल्लत सता रही है वो यूरिया एवं सुपर फास्ट खाद उपयोग में ले सकते है। उन्होंने बताया कि 1000-1100 रुपए की एक किलो सरसों का बीज खरीदने की जगह 130 रुपये किलो वाला बीपीएम 11, बीपीएम-1825, आर एच 749, आर एच -725 जैसी किस्मो का बीज खरीदें। ये किस्म किसानों को केवीके एवं अन्य सरकारी संस्थानों से जानकारी कर प्राप्त कर ले।
-उदल सिंह गुर्जर, सहायक कृषि अधिकारी
Published on:
04 Oct 2025 12:17 pm
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