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‘धुंआधार बारिश आने वाली या तूफान…’ 3 घंटे पहले मिलेगी जानकारी

MP News: रडार से क्लाउड की सटीक डिटेल इन्फॉरमेशन मिल जाएगी। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलुपर में सी बैंड डॉप्लर रडार लगेंगे।

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धार

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Astha Awasthi

Nov 23, 2025

(Photo Source- Patrika)

(Photo Source- Patrika)

MP News: मिशन मौसम के तहत मध्य प्रदेश के चार शहरों में सी-बैंड डॉप्लर मौसम रडार लगाए जाएंगे। डॉप्लर रडार लगने से हर तीन घंटे में मौसम की सटीक जानकारी मिल सकेंगी। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में डॉप्लर मौसम रडार की जल्द ही स्थापना जाएगी। डॉप्लर मौसम रडार से मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी। इससे किसानों सहित आम लोगों को काफी फायदा होगा। मौसम विज्ञान विभाग के डायरेक्टर (साइंटिस्ट) ई. एके सिंह ने बताया कि डॉप्लर मौसम रडार लगने से अगले दो तीन घंटे में मौसम कैसा रहेगा, उसकी करंट इमेज मिल सकेगी।

अभी ऑब्जर्वेशन में सैटेलाइट इमेज के साथ ग्राउंड ऑब्जर्वेशन है। इस रडार से क्लाउड की सटीक डिटेल इन्फॉरमेशन मिल जाएगी। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलुपर में सी बैंड डॉप्लर रडार लगेंगे। इनमें इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर 200 किलो मीटर की रेंज रहेगी। फिलहाल भोपाल में एसबैंड डॉप्लर रडार 250 किलो मीटर का लगा हुआ है। भोपाल में अब 100 किलो मीटर रेंज का लगेगा।

जिले का क्लाउड डायरेक्शन पता चलेगा

क्लाउड की हाइट कितनी है। उसका माइक्रो फिजिक्स क्या है। यह डॉप्लर मौसम रडार से मिल जाता है। एनालिसिस के लिए काफी उपयोगी है। ठीक तरीके से जानकारी मिलेगी कि कौन से जिले में क्लाउड है। किस डायरेक्शन में जा सकता है। कौन सा टाइप ऑफ फिनोमिना होने वाला है। बादल गरजने वाले हैं या नहीं। गरज के साथ आंधी होगी या नहीं। कम, ज्यादा या भारी बारिश होगी। सटीक जानकारी जिला, ब्लॉक लेवल तक मिल जाएगी।

माइक्रोवेब सिग्नल से मिलेगी जानकारी

डॉप्लर रडार एक माइक्रोवेब सिग्नल छोड़ता है। यह सिग्नल हवा में मौजूद बारिश की बूंदों या धूल के कणों से टकराता है। जब सिग्नल रडार पर वापस लौटता है, तो रडार उसकी आवृत्ति में हुए बदलाव को मापता है, जिसे डॉप्लर शिट कहते हैं। यदि बारिश की बूंदें रडार की ओर आ रही हैं, तो आवृत्ति बढ़ जाती है। और यदि दूर जा रही हैं, तो आवृत्ति कम हो जाती है। मौसम वैज्ञानिक इस बदलाव को माप कर बादलों की चाल और वर्षा की तीव्रता का अनुमान लगाते हैं।