9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Shani Dev: शनिवार के दिन करें यह पाठ, साढ़ेसाती और ढैय्या से मिलेगी राहत

Shani Dev अगर आप भी शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान है तो शनिवार के दिन करें यह पाठ मिलेगी राहत आइए जानते हैं..

3 min read
Google source verification
Shani Dev

Shani Dev

Shani Dev: शनिदेव को कलियुग का "न्यायकर्ता" भी कहा जाता है। शनि बुरे कर्मों की सजा बहुत कठोर देते हैं और सज्जनों को अच्छे कर्मों का शुभ फल देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या जिसकी भी कुंडली में बैठ जाती है, उसे बहुत ही कष्टों का सामना करना पड़ता है, तो आइए जानते हैं शनि के इस पाठ के बारे में।

शनि देव (Shani Dev)

सभी ग्रहों में शनि को सबसे गुस्सैल ग्रह भी माना जाता है। शनि का प्रभाव इतना गहरा है कि शनि की पीड़ा से लोगों में भय पैदा हो जाता है। यह कहा जाता है कि लोग इनकी पूजा प्रेम के कारण नहीं बल्कि डर के कारण होती है। इसका एक कारण यह भी है क्योंकि शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। कहते हैं कि जिसके अच्छे कर्म होते हैं, उन पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति बुरे कर्मों में लिप्त रहता है। उन पर शनिदेव का प्रकोप बरसता है। मान्यता है कि यदि किसी की कुंडली में शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती रहती है, तो जातक का जीवन बेहाल हो जाता है।

शनि की साढ़ेसाती से बचने के उपाय जानिए

यह भी पढ़ेः आखिर क्यों की जाती है हिंदू धर्म में पीपल की पूजा, जानिए क्या है पीपल के पेड़ का लाभ

शनि चालीसा दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

शनि चौपाई

जयति जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।
हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।
मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।
मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।
चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

यह भी पढ़ेः भारतीय शादी की ये हैं 6 अनोखी रस्में, इनके बिना अधूरा है विवाह, जानें महत्व

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।
पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।
बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो।
युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।
लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

शनि की ढैय्या से बचने के उपाय

1. शनि देव के ढैय्या से बचने के लिए काले कुत्ते या काली रंग की गाय को रोटी खिलाना चाहिए।

2. ऐसा भी कहा जाता है कि शनि की ढैय्या से बचने के लिए शनि यंत्र की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

3. हनुमान जी की पूजा करने से या हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

4. भगवान शिव की पूजा-पाठ करने से शनिदेव खुश होते हैं, इन उपायों को करने से शनि की ढैय्या से मुक्ति मिलती है।

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।