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प्रतिबंध के बावजूद भी हर किसी के हाथ में पॉलीथिन

पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली पॉलीथिन का प्रयोग शहर से लेकर देहात में धड़ल्ले से हो रहा है। इसके प्रयोग और होने वाले नुकसान के कारण केन्द्र सरकार ने इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन उसके बावजूद जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर नहीं है। नगर परिषद कभी कभार पॉलीथिन को लेकर कार्रवाई करती दिख जाती है, लेकिन शेष समय कार्रवाई सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहती है। केन्द्र और राज्य के प्रतिबंध और जागरूकता अ

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प्रतिबंध के बावजूद भी हर किसी के हाथ में पॉलीथिन Despite the ban, everyone has polythene in their hands

-जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान, कागजों तक ही सीमित नगर परिषद की कार्रवाई

-छोटे से बड़े दुकानदार धड़ल्ले से कर रहे प्रतिबंधित पॉलीथिन का प्रयोग

धौलपुर. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली पॉलीथिन का प्रयोग शहर से लेकर देहात में धड़ल्ले से हो रहा है। इसके प्रयोग और होने वाले नुकसान के कारण केन्द्र सरकार ने इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन उसके बावजूद जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर नहीं है। नगर परिषद कभी कभार पॉलीथिन को लेकर कार्रवाई करती दिख जाती है, लेकिन शेष समय कार्रवाई सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहती है।

केन्द्र और राज्य के प्रतिबंध और जागरूकता अभियान के बावजूद भी प्रकृति की दुश्मन माने जाने वाली पॉलीथिन प्रतिबंध के बावजूद भी हर हाथ में दिख जाएगी, पॉलीथिन के प्रयोग पर सजा तक का प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद शहर में पॉलीथिन का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है। बड़े और छोटे दुकानदारों से लेकर ठेले वाले बेखौफ होकर इसका उपयोग कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार यह सब देखकर भी बेखबर हैं और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ टालमटोल ही चलता रहता है, लेकिन जब जोर-शोर होता है तो कुछ क्षेत्रों में दिखावे के लिए कार्रवाई की रस्म अदायगी पूरी कर ली जाती है। नगर परिषद ने किसी की सूचना पर चार छह माह पहले गोदाम में छापा मार पॉलीथिन का स्टॉक जप्त किया था, लेकिन शहर में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ मौन स्वीकृति ही नजर आती है। लालबाग बाजार हो या संतर मार्केट या फिर सब्जी मण्डी अथवा किराना दुकानदार सभी ग्राहकों को पॉलीथिन में ही सामान रखकर देते हैं। जिससे हम अपने वर्तमान नहीं आने वाले कल को भी काल के गाल में ढकेल रहे हैं, जो कि चिंतनीय है।

निराश्रित गोवंश हो रहा शिकार

एक ओर जहां प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को दूषित कर बीमारियां परोस रही है तो वहीं निराश्रित गोवंश भी इसका सेवन करने से काल के गाल में समा रहे हैंं। दरअसल सडक़ों पर यहां-वहां घूमता निराश्रित गोवंश भूख के कारण अपना पेट भरने इन पॉलीथिन का सेवन कर लेता है। जो गोवंश के पेट में इकट्ठा हो जाती है नष्ट न होने के कारण यह पॉलीथिन गोवंश के पेट में इक_ा होता रहता है और गोवंश के काल का कारण भी बनता है।

कुछ जिम्मेदारी हम लोगों की भी

देखा जाए तो पॉलीथिन और सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध की जिम्मेदारी जिम्मेदार विभाग की होती है, लेकिन इसके उपयोग से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए कुछ जिम्मेदारी हमारी भी बनती है। इस कारण नागरिकों को भी जागरूक होना होगा और पॉलीथिन के उपयोग से बचना होगा। पॉलीथिन के विकल्प के रूप में थैला का उपयोग करना बेहतर होगा, क्योंकि जब हम खुद ही अपने पर्यावरण को दूषित करेंगेे तो दूसरे पर इसका ठीकरा फोडऩा लाजमी भी नहीं है, इसलिए पॉलीथिन के उपयोग को बंद कर हम पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ बना अपनी आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर कल दे सकते हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर भी प्रतिबंध

केन्द्र सरकार ने देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग पर 2022 में प्रतिबंध लगा दिया था। यानी ऐसी प्लास्टिक जो विशेषकर सिंगल यूज के बाद उपयोग में नहीं लाई जा सकती है। उसके बावजूद भी सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग भी खूब हो रहा है। सरकार ने इसके उल्लंघन पर जुर्माना के साथ सख्त सजा का प्रावधान रखा है। जानकारों के मुताबिक प्लास्टिक कभी गलती नहीं। बस सड़ती रहती है। जिससे उसमें से निकलने वाली खतरनाक गैसें धरती और वायु में मिल जाती है। जो पर्यावरण का सुंतलन बिगाड़ देती है। जिससे अधिक गर्मी, अधिक बारिश, बाढ़ जैसे हालात हमारे सामने होते हैं।

- शहर मेें पॉलीथिन को लेकर अभियान चलाया जाता है और दुकानों से जप्त भी की जाती हैं साथ पॉलीथिन के उपयोग न करने को लेकर लोगों को भी जागरूक किया जाता है।

- नीरज चाहर, एसआई नगर परिषद धौलपुर